भाई, ऐसी हमारी मांग नहीं, यह रेल प्रशासन का नीतिगत निर्णय था जो 01 अक्तूबर 2015 से लागू किया गया था। इस निर्णय से न सिर्फ यात्रीओं का फायदा होने वाला था अपितु रेल प्रशासन को भी परिचालन समय जाया किए बगैर यात्री संख्या बढ़के मिलने वाली थी।
दरअसल हुवा यूँ था की तत्कालीन रेल मंत्री ममता बैनर्जी एक सुपरफास्ट गाड़ी जो नॉन स्टॉप चले और सूका नामकरण किया गया था दुरांतों एक्स्प्रेस। यह गाडियाँ काफी लोकप्रिय हुई अर्थात अब भी है मगर बिना किसी ठहरावों के चलने की वजह से कुछ खाली खाली सी चल रही थी। गाड़ी की जो संकल्पना थी बहुत उपयोगी थी मगर राह के बड़े बड़े जंक्शन स्टेशनोंपर परिचालन स्टाफ मतलब लोको पाइलट, ट्रेन मैनेजर, चेकिंग स्टाफ अपनी ड्यूटी बदलने के लिए या लोको बदलने के लिए या रिवर्सल के लिए रुकती तो थी मगर वाणिज्यिक स्टोपेज न होने से यात्री उसमे सवार नहीं हो पाते थे। रेल प्रशासन ने उसमे यह एक तोड़ निकाली की गाड़ी की संकल्पना भी बनी रहे और यात्रीओं को भी फायदा मिले साथ ही रेल्वे की भी कमाई बढ़े, अतः भारतीय रेल्वे ने सारे यात्री गाड़ियोंके तकनीकी ठहराव को वाणिज्यिक ठहरावों मे बदलने का निर्णय लिया। शूरवात 27 जोड़ी दुरांतों गाड़ियों से हुई और आगे रेल मंत्री नीतीश कुमार द्वारा संकल्पित सम्पर्क क्रांति गाड़ियोंमे भी अपनाई गई।
हालांकि इस निर्णय से भुसावल, नागपूर, मनमाड, ईगतपुरी, दौंड, भोपाल, गुंतकल, रतलाम ऐसे स्टाफ, क्रू चेंजिंग स्टेशनों को सुपरफास्ट गाड़ियों का स्टोपेज मिला मगर शायद इन दिनों रेल प्रशासन अपनी इस नीति पर काम नहीं कर रहा है या इसे भुला दिया है। मध्य रेल की एकमेव मुम्बई निजामुद्दीन राजधानी जिसका क्रू अर्थात परिचालन करने वाला स्टाफ भुसावल मे बदला जा सकता है मगर उसे भुसावल से 25 किलोमीटर दूरी के स्टेशन जलगाँव मे बदला जा रहा है और इसका कारण यूँ बताया गया की जलगाँव वाणिज्यिक ठहराव है और मात्र 25 किलोमीटर अंतर मे राजधानी जैसी सुपरफास्ट गाड़ी को दोबारा ठहराया नहीं जा सकता है। खैर, रेल प्रशासन ने कारण दिया है और भुसावल मे स्टोपेज देने की मंशा नहीं है, ना दें, मगर कम दूरी का कारण ना दे क्योंकी 25 किलोमीटर के भीतर के स्टोपेज लेने वाली 12953/54 अगस्त क्रांति राजधानी वापी- बलसाड 24 km, 12431/32 त्रिवेंद्रम राजधानी का त्रिशूर – शोरानूर 30 km, 12441/42 बिलासपुर राजधानी का दुर्ग-रायपुर 40 km, 12423/24 डिब्रूगढ़ राजधानी का दानापुर- पाटलीपुत्र 5 km ऐसे दस और कम अंतर के स्टोपेज गिनवाए जा सकते है।
भुसावल से क्रू जलगाँव जाता है और वहाँ से ड्यूटी शुरू करता है उसी तरह भोपाल या मुम्बई से क्रू जलगांव मे गाड़ी छोड़ता है और भुसावल तक दूसरी गाड़ी से खाली आता है। क्या यह अतिरिक्त खर्च रेल प्रशासन के ख्याल से परे है? रेल प्रशासन चाहे तो भुसावल मे वाणिज्यिक ठहराव न दे मगर क्रू चेंजिंग भुसावल मे ही करे तो बेहतर है। इससे रेल विभाग का पारिचालिक खर्च निश्चित ही बचेगा। इसी तरह एक मराठवाडा सम्पर्क क्रांति भी चलती है जिसे जलगाँव स्टोपेज है और उसका क्रू चेंजिंग पॉइंट भुसावल ही है हालांकि यह गाड़ी भुसावल मे वाणिज्यिक ठहराव नहीं लेती। इस तरह राजधानी एक्सप्रेस को भी चलाया जा सकता है।

