दिनांक 25 फरवरी, 2016 को 2016-17 के लिए रेल बजट पेश करते हुए श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु का भाषण
मद क्रं 70 : भारतीय रेल ने परिचालनिक और वाणिज्यिक हॉल्ट के बीच ऐतिहासिक रूप से अपनी पहचान बनाई है। यात्रिओंकी सुविधा के लिए, मै सभी परिचालनिक हॉल्ट स्टेशनों को वाणिज्यिक हॉल्ट में बदलने का प्रस्ताव रखता हूँ। इससे ऊन यात्रीयों को भी लाभ मिलेगा जो इन हॉल्ट से गाड़ी में नही चढ़ सके अथवा गाड़ी से उतर गए।
परसों हमारे ब्लॉग पर इस संदर्भ मे पोस्ट प्रसारित की गई थी। इसका परीपत्रक तो हमे नहीं मिल पाया मगर वर्ष 2016-17 के रेल बजट भाषण का अंश हम यहाँपर उद्धृत कर रहे है। यह भाषण तत्कालीन रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु इन्होंने दिया था। टेक्निकल हॉल्ट को कमर्शियल हॉल्ट मे तब्दील करना यह रेल प्रशासन की नीति थी और उसी के अंतर्गत कुछ स्टेशन जहाँ पर फिलहाल यात्री गाडियाँ परिचालनिक हॉल्ट तो ले रही है मगर वाणिज्यिक हॉल्ट न होने की वजह से उन स्टेशनों से यात्री न ही चढ़ सकते है और न ही उतर सकते है। क्योंकी टिकीटिंग सिस्टम मे उन स्टेशनों के टिकट नहीं खरीदे जा सकते जो वाणिज्यिक ठहराव न हो। यहाँ तक की उस गाड़ी की समयसारणी मे वह स्टेशन दर्ज ही नहीं रहता।
तत्कालीन नीति का यह आधार था, जब गाड़ी अपने निर्धारित परिचालन मे ही चल रही है, समयसारणी मे कोई बदलाव किए बगैर यदि यात्रीओंको सुविधा प्रदान की जा सकती है तो क्यों नहीं टेक्निकल स्टॉपजेस को वाणिज्यिक स्टॉपजेस मे बदला जाए? इसमे रेलवे का कोई भी नुकसान नहीं अपितु यात्री और सामान बुकिंग का फायदा ही होने जा रहा है। अत: यह विषय रेल मंत्री जी ने अपने बजट भाषण मे अंतर्भूत किया और रेल प्रशासन ने इसे तत्काल प्रभाव से लागू भी किया गया था। लेकिन उसके बाद जो जो नई गाडियाँ चली उन गाड़ियों मे इस नीति के तहत टेक्निकल हॉल्ट अभी भी कमर्शियल नहीं बने है।
12753/54 नांदेड निजामुद्दीन नांदेड मराठवाडा सम्पर्क क्रांति यह गाड़ी भुसावल स्टेशन पर केवल टेक्निकल हॉल्ट लेती है, 12751/52 नांदेड जम्मूतवी नांदेड हमसफ़र एक्स्प्रेस यह गाड़ी खंडवा स्टेशन पर केवल टेक्निकल हॉल्ट लेती है, तब ऐसा प्रतीत होता है, रेल प्रशासन समय चलते अपनी अच्छी नीतियों को भी भुला देता है। यह प्रपंच दोबारा इसलिए करना पडा की कुछ पाठकों की मांग थी, संबंधित विषय का परिपत्रक या कुछ तो पत्रक आना चाहिए। साथ मे बजट भाषण के प्रमुख अंश का पृष्ठ जोड़ रहे है।
