
यह बहुत अच्छा निर्णय है, हम आशा करते है पश्चिम रेलवे भी इसी अंदाज में इन गाड़ियोंको अहमदाबाद तक ले जाए तो बेहतर होगा।
यह जो सैटेलाइट टर्मिनल्स का प्रचलन रेल विभाग में हो रखा है, इसका स्थायी उपाय करना बहुत ही जरूरी है। जब मुख जंक्शन पर गाड़ी को टर्मिनेट करने में कोई परेशानी है तो क्यों न उस स्टेशन के दोनों ओर टर्मिनेट कर दे? इस विषय पर हम पहले भी विस्तृत चर्चा कर चुके है और फिर से कह रहे है, चूँकि जंक्शन स्टेशन पर चारों दिशाओंकी गाड़ियाँ, उनमें से उतरे यात्री रहते है जिनको आगे की गाड़ियाँ पकड़नी होती है। यदि कोई यात्री मुम्बई की ओर से अहमदाबाद पहुंचता है और आगे जालोर के लिए ट्रेन पकड़ना चाहता है तो उसे अहमदाबाद की जगह साबरमती जाना पड़ेगा।
अहमदाबाद – साबरमती के बीच कोई उपनगरीय सेवाएं तो आप चला नही रहे, फिर वह यात्री साबरमती कैसे जाए? रोड से बस या ऑटो कर के? इसमें बहुत समय और सामान ढोने की दिक्कतें आती है। बुजुर्ग यात्री इसके चलते अपनी यात्रा बस से करना पसंद कर लेते है, ना ही प्लेटफार्म और टर्मिनल्स बदलने की झंझट और न ही गाड़ियाँ समझने और ढूंढने की परेशानी।
रेल विभाग को चाहिए की जब भी सैटेलाइट टर्मिनल बनाने की योजना तैयार करते है तो जंक्शन से किस तरह लिंक करता है यह अवश्य ध्यान में ले अन्यथा वह सैटेलाइट टर्मिनल किसी टापु की तरह बन जाएगा। अब मध्य रेलवे में पुणे के पास हड़पसर और नागपुर के पास अजनी रेल टर्मिनस विकसित किए जाने की बात की गई है। यह ठीक वही परेशानी खड़ी करनेवाली व्यवस्था है। हड़पसर से पुणे के लिए कितनी उपनगरीय गाड़ियोंकी व्यवस्था है, तो बमुश्किल दिनभर में 4 गाड़ियाँ और वह कतई पर्याप्त नही वैसे ही अजनी से नागपुर के बीच तो रेलवे की ओरसे कोई व्यवस्था ही नही है।
ऐसे में रेल विभाग नागपुर के लिए अजनी और इतवारी दोनो स्टेशनोंको नागपुर स्टेशन को सम्मिलित कर गाड़ियोंको टर्मिनेट करें तो बेहतर होगा। उसी तरह हड़पसर – पुणे – शिवाजीनगर / खड़की / चिंचवड़ इस तरह टर्मिनल विकसित करें तो उपयोगी होगा। जोधपुर के एक ओर भगत की कोठी टर्मिनल है तो दूसरी ओर भी एक टर्मिनल होना आवश्यक है। इसी तर्ज पर प्रत्येक मुख्य जंक्शन पर जहाँ जहाँ लम्बी दूरी की गाड़ियाँ टर्मिनेट की जाती है, वहाँ पर दोनों दिशाओंमें टर्मिनल विकसित करें, और यह बहुत आसानी से हो सकता है, रेल विभाग के लिए सुविधाजनक भी है।