
हमारे देश मे रेल प्रेमियों की कोई कमी नहीं है और ऐसे बहुत कम ही लोग होंगे जिन्होंने रेल ही ना देखी हो या उसमे कभी यात्रा ही न की हो। लेकिन रेल प्रेमियों की बात ही कुछ निराली होती है। यह लोग अपने क्षेत्र के लिए दिन रात लगे रहते है। फिर वह गाडियाँ चलवाने की बात हो या ठहराव दिलवाने की। वॉट्स ऐप पर ग्रुप बने रहते है। ट्विटर खोलिए, लगभग हर क्षेत्रीय, हर मण्डल के यूजर आइडी आप को मिल सकते है। यही लोग होते है जो क्षेत्र के यात्रीओं के लिए रेल्वे के अधिकारियों से बहस करते रहते है। सांसदों और क्षेत्र के अन्य राजनीतिक संबंधों से रेल्वे की यात्री सुविधाएं अपडेट कराते रहते है और विशेषता यह है की यह सारे काम वह अपने व्यक्तिगत पसंद से और जुनून के साथ करते है। जब भी हम ऐसे ग्रुप्स के ट्वीट देखते है, तो उनके कार्य और जुनून को सलाम करने की इच्छा होती है।
आज हम यह पोस्ट उनके लिए ही लाए है। पिंकबुक देखते वक्त उसकी कई सारी मदें इतनी पेचीदा होती है की उनसे इन ग्रुप्स मे आपस मे ही विवाद खड़े हो जाते है। रेल बजट मे किसको क्या मिला इस पर चर्चा करते वक्त एक पॉइंट सब के जहन मे अक्सर आता है, वह है पूँजी की जगह रुपये 1000/- का आबंटन। प्रोजेक्ट की कीमत हजारों करोड़ की है और निधि आबंटन मे सिर्फ रु1000/- क्यों? समझने की बात यह है की जो निधि उस प्रोजेक्ट को दिया जाना है वह हो सकता है EBR IF या EBR P से आना हो? अब EBR IF या EBR P यह क्या बला है? EBR याने एक्स्ट्रा बजेटरी रिसीट्स, IF याने इंस्टीट्यूशनल फाइनांस और P याने प्राइवेट। अब जब किसी परोजकत को EBR IF या EBR P का निधि मिलने वाला हो तो उस प्रोजेक्ट को रेल्वे की बुक्स मे हाजिर रखे जाने के लिए रु 1000/- का प्रावधान दिया जाता है और मुख्य निधि की व्यवस्था की जा रही होती है।
दूसरा जो निधि के आँकड़े होते है उनमे भी कई लोग उलझ जाते है। सहज गणित है, जो आंकड़ा दिखाई दे रहा है उसे 1000 से गुना कर लीजिए तो कितना निधि मिला है यह समझ जाएगा। जो बुक की सबसे छोटी इकाई है वही दी गई होती है। आपने देखा होगा, “आँकड़े हजार रुपए मे” यह उसका कारण है। एक विवाद यह भी है S FUND याने क्या? S FUND याने SINKING FUND, यह राखीव निधि होता है जो रेल विभाग की असेट, मालमत्ता को सुरक्षित करने हेतु निकाल गया अतिरिक्त निधि है। यह निधि सरकारी बॉंडस के रूप मे हो सकता है। कोई इसे सेफ़्टी फंड कहता है, ठीक है मगर निधि है यह महत्वपूर्ण बात है। DRF याने घसारा आरक्षित निधि और DF याने डेवलपमेंट फंड SRSF याने स्पेशल रेल्वे सेफ़्टी फंड ऐसे ही RRSK राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोश कुल मिला कर अलग अलग मद मे निधि उपलब्ध कराया जाता है।
आम यात्री बहुतांश उसे कितनी गाडियाँ नई मिलनेवाली है यह जानने के लिए ज्यादा उत्सुक रहता है, वही स्थिति रेल फैन ग्रुप्स की भी होती है। पहले 75 वन्दे भारत गाड़ियों की घोषणा हुई थी और अब बजट मे 400 की। यात्रीओं के मन मे सबसे पहला सवाल यही की हमारे क्षेत्र से कितनी वन्दे भारत चलेंगी? भैय्या वन्दे भारत की संहिता समझिए, यह ज्यादातर शताब्दी की जो संहिता है की किसी दो प्रमुख स्टेशनों के बीच जहाँ सीधे चलने की मांग है वहीं चलाई जाती है। सीधे चलना अर्थात कम ठहराव और कम समय मे दो शहरों को जोड़ना। बताइए कौन से स्टेशनों को, क्षेत्रों को वन्दे भारत की ज्यादा जरूरत है? तेज गतिसे गाडियाँ चलाने की कवायद शुरू हो गई है, 110 – 120 – 130 और अब 160 kmph की गति प्राप्त करने का विश्वास है, मगर प्लेटफ़ॉर्म यह बुनियादी सुविधा, इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है? आज भी बहुतांश जंक्शनों पर गाडियाँ, स्टेशनों के प्लेटफ़ॉर्म खाली नहीं होने की वजह से आउटर सिग्नलों पर खड़ी रहती है। यात्री गाडियाँ प्लेटफ़ॉर्म के बाहर खड़ी रहना यह असामाजिक तत्वों को सीधा सीधा बुलावा है। आज भी यात्री गाड़ियों मे अवैध विक्रेता की कोई न कोई खबर सोशल मीडिया मे आती ही रहती है। यह लोग प्लेटफ़ॉर्म के बाहर से ही आवागमन करते रहते है। मुख्य कारण यह भी है जब तक यात्री इनसे सामान खरीदना नहीं छोड़ेंगे यह हर वह छुपे तरीकों से रेलों मे अवैध विक्री करने का प्रयत्न करते रहेंगे।
खैर, यह सब हमारी अपनी बातें है, आशा करते है आप को अच्छी लगी होगी।