संक्रमण काल के बाद रेल व्यवस्था धीमे धीमे पटरी पर लौट रही है। बन्द यात्री गाड़ियाँ एक एक कर शुरू की जा रही है मगर रेल प्रशासन की ओर से जो सुविधाएं खास कर किरायोंमे रियायत, यात्रिओंको मिल रही थी उसमे खासी कटौती हुई है।
संक्रमनपूर्व काल मे रेल प्रशासन की ओर से तकरीबन 56 प्रकार की श्रेणियों में किरायोंकी रियायत दी जा रही थी, जिसे रेलवे ने घटाकर केवल 4 श्रेणियोंको ही पुनर्स्थापित किया है। दिव्यांग, 11 तरह के मरीज, विद्यार्थि और पत्रकार केवल इन्ही को रेल किरायोंमे रियायत दी जा रही है। वरिष्ठ नागरिकोंकी किराया रियायत को अभी भी बहाली नही मिली है।
सीनियर सिटीजन डिस्काउंट अर्थात वरिष्ठ नागरिक रियायत जो 60 वर्षीय पुरुष को 40% और 58 वर्षीय महिला को 50% किराया रियायत मिलती थी, सबसे लोकप्रिय और आम यात्रिओंके लिए काफी सुविधाजनक थी। यह सुविधा कब बहाल की जाएगी यह प्रश्न तमाम यात्रिओंके मन मे कौंध रहा था। इस लोकसभा सत्र में रेल मंत्री ने इस सम्बन्ध में पूछे गए एक लिखित प्रश्न का उत्तर दिया है। ” रेल प्रशासन फिलहाल रेल किरायोंकी रियायत का दायरा सीमित ही रखना चाहती है और वरिष्ठ नागरिकोंके किराए की रियायत फ़िलहाल बहाल नही करने जा रही। यज्ञपी वरिष्ठ नागरिकोंको रियायत न मिले पर लोअर बर्थ कोटे की आरक्षित बर्थ मिलती रहेगी।”
एक बात ध्यान देने जैसी है, रेल मंत्री ने अपने जवाब में रियायत बन्द करने की बात नही की बल्कि उसे पुनर्स्थापित करने में फिलहाल असमर्थता जताई है। ऐसे में वरिष्ठ नागरिकोंको अपनी रेल किरायोंकी रियायत बहाल होने का इंतजार करना होगा। कुछ ख़बरों में यह रियायत बन्द हो गयी या बन्द कर दी गयी ऐसा बवाल मचाया जा रहा है। यह बात भी सच है, की सुविधा की पुनर्बहाली हुई नही अर्थात फ़िलहाल तो स्थिति बन्द की ही है मगर दरवाजे पूरी तरह बन्द नही हुए है। रियायत फिर से बहाल हो सकती है, बस कितनी देर और लगेगी यह कहा नही जा सकता।
रेल मंत्री ने इस जवाब के दौरान रेल व्यवस्था पर इन रियायतोंके चलते पड़ने वाले भार की बात दोहराई है। हम देख सकते है, रेल प्रशासन एक क्रांतिकारी बदलाव के दौर से गुजर रही है। यात्री किराये की कमाई में भारी टूट आ रही है, माल भाडो मे प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। रेलवे अपने आय के स्रोतों को बेहतर करने का प्रयास कर रही है। यात्री गाड़ियोंकी गति बढ़ाना, सुविधाओंका स्तर उन्नत करना, माल यातायात बढाने का प्रयत्न करने हेतु समर्पित गलियारों पर दृष्टिकोण बढ़ाना इत्यादी प्रयत्न किए जा रहे है।
यह बात भी उतनी ही सच है, कोई भी चलती रियायत, सुविधा बन्द हो जाये या रोक दी जाए तो आम जनता को उस स्थिति को पचा पाना कितना मुश्किल हो जाता है। संक्रमण काल के बाद रेल प्रशासन एक बदलाव लाने में जुट गई है। रेल गाड़ियोंकी गति बढाने में सम्पूर्ण विद्युतीकरण की बात हो या डिब्बों का LHB करण हो या बुनियादी ढांचे में रेल दोहरीकरण, तिहरी करण सब काम तीव्र गति से किए जा रहे। यात्री सुविधाओं में स्टोपेजेस रदद् करना, सवारी गाड़ियोंमे मेल/एक्सप्रेस के किराए लगना, रियायतोंका नदारद होना ऐसी बातें यात्रिओंको नागवाँर गुजर रही है, आखिर यह बदलावों के दौर में यात्रिओंके कौन कौनसी आदतोंकी बलि चढ़नी है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।