यूँ तो यह सूची लगभग डेढ़-दो वर्ष पुरानी है, मगर न सिर्फ रेलवे बोर्ड से बल्कि सम्बन्धित सभी क्षेत्रीय रेल से भी सम्मति प्राप्त है। वैसे कई बार देखने मे भी यह सूची आ गयी है और जितनी बार देख लिए उतनी बार मे जो झटका पहले देखने मे लगा था, उसकी तीव्रता लगातार कम कम होते गयी है। यह ठीक वैसा है, जैसे हम से हमारे परिजनों के बिछड़ने का गम धीरे धीरे कम होते चलता है।
दोबारा इसे यहांपर लाने की वजह यह है, मार्च 31 से संक्रमण के सारे निर्बन्धों को साधारण करने की चर्चा सुनने में है और ऐसी स्थिति में बन्द पड़ी या विशेष श्रेणी में चलाई जा रही सभी गाड़ियोंके नियमितीकरण के आदेश निकलने की सम्भावना दिखाई दे रही है। बहुत सी मेमू गाड़ियोंमे मेल/एक्सप्रेस के किराए वसूले जा रहे है। आम यात्री इस पेशोपेश में है, यह गाड़ी सवारी है या शुद्ध मेल/एक्सप्रेस? आशा तो यही है, की रेल प्रशासन भी अब यात्रिओंसे ‘नॉर्मल’ तरीकेसे पेश आएंगी ☺️ और यात्रिओंको इस उलझन से निकाल देगी, की उसे अब सवारी जैसी 35 kmph की गति वाली और हरेक छोटे से छोटे स्टेशनपर भी रुकने वाली गाड़ियोंको भी मेल/एक्सप्रेस मान लेना होगा।










very good article
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Thanks!!
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