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वन्देभारत के 100 रैक का बटवारा, किसके हिस्से कितनी वन्देभारत?

दरअसल देश की पहली सेल्फ प्रॉपलड़, लोको समहित, वातानुकूलित गाड़ी, वन्देभारत एक्स्प्रेस के 100 रैक 2024-25 तक पटरियों पर लाने का खाका खींच गया है। इनमे तरह तरह की तकनीकी बातें मीडिया मे या रही है। यह नया वन्देभारत का अवतार शायिका अर्थात बर्थ वाला रहेंगा। वातानुकूलित 3 टियर मे प्रत्येक कोच की क्षमता 61 यात्री, वातानुकूलित 2 टियर की 48 यात्री और वातानुकूलित प्रथम मे 24 यात्री इस तरह रचना रहेगी। वन्देभारत एक्स्प्रेस के 16, 20 और 24 कोच के रैक तैयार करने की व्यवस्था की जा रही है। 16 कोच की वन्देभारत मे 11 3 टियर, 4 टू टियर और 1 प्रथम श्रेणी के कोच रहँगे। आगे 20 कोच की वन्देभारत मे थ्री टियर के कोच 11 से बढ़कर 15 एवं 24 कोच की वन्देभारत मे थ्री टियर के 19 कोच रखे जाएंगे। टू टियर के 4 और प्रथम श्रेणी का 1 कोच सभी संरचना मे यथावत रहेगा। जिस तरह तैयारियाँ चल रही है, 100 रैकों का अलॉटमेंट भी सामने आया है, जो निम्नप्रकार से है,

मध्य रेल CR को 5 रैक और पश्चिम रेल्वे WR को 5 रैक का आबंटन होगा। मध्य रेल के 5 रैक मे से 2 रैक मुम्बई छत्रपती शिवाजी महाराज टर्मिनस को, 2 रैक पुणे और 1 रैक मनमाड को मिलेगा। उसी प्रकार पश्चिम रेल्वे के 5 रैक मे से मुम्बई सेंट्रल को 2 रैक, अहमदाबाद, सूरत और डॉ आंबेडकर नगर महू को 1 – 1 रैक मिलेगा। आगे इस प्रकार से रैकों का बटवारा किया जाएगा, पूर्व तटीय रेल ECoR को 5, पूर्व मध्य रेल ECR को 4, उत्तर मध्य रेल NCR को 5, पूर्वोत्तर रेल NER को 4, पूर्वोत्तर सीमान्त रेल NFR को 5, सबसे ज्यादा उत्तर रेल NR को 24 रैक मिलेंगे, दक्षिण पश्चिम रेल SWR को 4, पश्चिम मध्य रेल WCR को 5, दक्षिण रेल SR को 13, दक्षिण पूर्व रेल SER को 5, दक्षिण मध्य रेल WCR को 4, दक्षिण पूर्व मध्य रेल SECR को 2, उत्तर पश्चिम रेल NWR को 5 इस तरह कुल 100 रैक का आबंटन दिखाई दे रहा है।

हालांकि यह सारी व्यवस्था टेन्टेटिव याने प्रयोगात्मक रूपसे तय की जा रही है इससे हम केवल यह अनुमान लगा सकते है की जहाँ रखरखाव किया जाएगा तो गाड़ी की शूरवात/समाप्त भी वहीं की जाएगी और इसी सूची के आधार पर कुछ स्टेशनों को वन्देभारत एक्सप्रेस का संचालन करने का सौभाग्य मिलने जा सकता है। दपुमरे का गोंदिया, उपरे का श्रीगंगानगर, पमरे का रीवा, परे का डॉ आंबेडकर नगर महू, उरे का बरेली एवं नांगल डैम, पूर्वोत्तर का टनकपुर, उमरे का ग्वालियर, झाँसी और मरे का मनमाड यह कुछ आश्चर्यकारक प्रविष्टियाँ है। खैर अभी इन सब बातोंके पूर्णत्व हेतु 3 वर्षों की अवधि है, प्रश्न यह है, क्या इन सारी वन्देभारत गाड़ियों को भारतीय रेल खुद चलाएगी या निजी हाथों मे सौपेगी?

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