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मतलब, अनावश्यक रियायतोंके, सब्सिडियोंके दिन ढल गए!

रेल प्रशासन ने अपनी नीति बदल, बढ़ते घाटे का बोझ अब झटकने तैयारी कर ली है। माननीय रेल राज्यमंत्री दर्शना जरदोश WCR पमरे के गुना स्टेशन निरीक्षण दौरे पर आयी हुई थी। वहाँ पत्रकारोंसे जो वार्तालाप हुवा, उसकी विस्तृत खबर दैनिक भास्कर के संस्करण में छपी है। पहले आप निम्नलिखित खबर पढ़ लीजिये,

दैनिक भास्कर, गुना के सौजन्य से

संक्रमण के यात्री गाड़ियाँ बन्द के बाद, यज्ञपी कई गाड़ियाँ चल पड़ी मगर कुछ ऐसी नियमित गाड़ियाँ भी है जिसके बारे में रेल प्रशासन गहरी चुप्पी साधे था। गुना में जब पत्रकारोंको रेल मंत्री से रूबरू बात करने का मौका मिला तो उन्होंने जनमानस की चिन्ता दर्शनाजी के सामने रख दी और जवाब भी मिला और ऐसा मिला की सारे देशभर में जो यात्री अपनी बन्द पड़ी गाड़ियोंका इन्तजार कर रहे थे अब उनकी उम्मीदोंपर काले बादल छा गए। अब उनको यह तलाशना होगा, क्या उनकी बन्द पड़ी रेलगाड़ी, जो अब तक चालू नही हो रही है क्या उसके पीछे का कारण उसकी कम कमाई तो नही?

दरअसल रेल प्रशासन ने अपने कार्यप्रणाली में सुधार करने हेतु देश की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग शिक्षण संस्था आईआईटी मुम्बई से सलाह ली और उसके तहत ZBTT अर्थात शून्याधारित समयसारणी का एक कार्यक्रम तय किया। इस शून्याधारित समयसारणी में अनेकों यात्री गाड़ियाँ बन्द करने, सवारी गाड़ीयोंको एक्सप्रेस में बदलने, अनेकों पडावोंको रदद् करने और नियमित गाड़ियोंकी समयसारणी को शून्य समय से पुनर्निर्धारण करने की बात रखी गयी है। माननीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में वरिष्ठ नागरिक के साथ अन्य कई रेल टिकट रियायतोको स्थगित ही रखे जाने का समर्थन किया था और अब रेल राज्यमंत्री का यह सपाट बयान।

मित्रों, रेल प्रशासन अब जनतुष्टीकरण राजनीतिक निर्णयों से उठकर, कडी नीति अपनाकर अपने घाटे से उबरने की तैयारी कर रहा है। कई रदद् हुए पड़ाव फिर से पुनर्स्थापित तो हुए है मगर अस्थायी रूप में 6 – 6 माह तक दिए जा रहे है। सवारी गाड़ियाँ जारी तो हो रही है मगर समयसारणी बदलकर, और एक्सप्रेस की किराया श्रेणी में हो रही है। आखरी नियमित समयसारणी वर्ष 2019 में आयी थी और अब 2022 चल रहा है। सारी यात्री गाड़ियाँ अस्थायी, बिना छपे समयोंमे चलाई जा रही है। रेल प्रशासन केवल एक सूचना जारी करती है, और समयसारणी, मार्ग, पडावोंकी सूची बदल जाती है। क्या यात्री अब यह समझले, यह सब अस्थायी कार्य प्रणाली ही उसके रेल जीवन का हिस्सा बनकर रह जाएगी या आनेवाले दिनोंमें कुछ और भी अनचाहे अकल्पित लगनेवाले निर्णयोंको उसे झेलना होगा?

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