भारतीय रेल अपने यात्री गाड़ियोंमे विविधतापूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराती है। नई संकल्पनाएं और नए नए गन्तव्य को यात्री सेवाओंसे जोड़ने का सिलसिला।
राजधानी एक्सप्रेस ऐसी गाड़ी है जो राज्य की राजधानी या महत्वपूर्ण शहर को देश की राजधानी से जोड़ती है। शताब्दी एक्सप्रेस किसी दो बड़े शहर, पर्यटन या औद्योगिक केंद्र को जोड़ती है। इस गाड़ी की विशेषता यह है, वह अपना फेरा एक दिन में पूरा करती है और दिन की यात्रा में पूरा करती है। जनशताब्दी एक्सप्रेस शताब्दी एक्सप्रेस का ही किफायती रूप है। राजधानी या शताब्दी एक्सप्रेस वातानुकूलित सेवाएं है तो जनशताब्दी ग़ैरवातानुकूलित, साधारण वर्ग की आरक्षित रेल सेवा।
दुरंतों यह बड़े शहरोंके बीच तेज सम्पर्क कराने वाली गाड़ी है। सम्पर्क क्रान्ति एक्सप्रेस तकरीबन दुरंतों या राजधानी एक्सप्रेस की ही संकल्पना है। राज्य के प्रमुख शहरोंके पड़ाव लेने के बाद सीधे देश की राजधानी से जोड़ना। हमसफ़र एक्सप्रेस सम्पूर्ण आरक्षित गाड़ी, किसी दो महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्रों के बीच नियमित मार्ग के अलावा अपारम्परिक मार्गक्रमण करते हुए चलना। सुविधा एक्सप्रेस यात्रिओंके मांग के दबाव को हल्का करने के लिए विशेष किराया श्रेणी में चलाई गई गाड़ी।
अंत्योदय एक्सप्रेस की संकल्पना सुविधा एक्सप्रेस से मिलती जुलती है फर्क यह है की यह यात्री सेवा पूर्णतयः साधारण वर्ग द्वितीय श्रेणी संरचना की है। गरीब रथ एक्सप्रेस इस सेवा में वातानुकूलित थ्री टियर संरचना के साथ रियायती किराया श्रेणी में यात्री सेवा देना। इन गाड़ियोंके साथ साथ एक राज्यरानी एक्सप्रेस की भी संकल्पित सेवा चलती है। राज्य की राजधानी से दैनिक यात्रिओंकी इंटरसिटी यातायात करना।
हालांकि इतनी संकल्पित यात्री सेवाओंके बीच कुछ सेवाएं अपने संकल्प की पूर्तता में अधूरापन छोड़ देती है। सम्पर्क क्रान्ति एक्सप्रेस गाड़ियाँ अलग अलग राज्योंके नाम से चलती है, जैसे कर्नाटक सम्पर्क, गोवा सम्पर्क राजस्थान या मध्यप्रदेश सम्पर्क क्रान्ति एक्सप्रेस गाड़ियाँ। मगर महाराष्ट्र सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस जो मुम्बई से दिल्ली के बीच चलती है और मुम्बई के बाद महाराष्ट्र के केवल एक स्टेशन बोरीवली पर से गुजरात, मध्यप्रदेश से गुजरती हुई दिल्ली निकल जाती है। जबकी यह गाड़ी भुसावल होकर चले तो कमसे कम 30, 40 प्रतिशत तो महाराष्ट्र का देश की राजधानी से सम्पर्क करा ही सकती है। शायद महाराष्ट्र सम्पर्क क्रान्ति की महाराष्ट्र को दूर से टाटा बाई बाई करते हुए मार्ग को देखते है नान्देड़ दिल्ली के बीच चलनेवाली मराठवाड़ा सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस को पटरी पर लाया गया।
कुछ इसी तरह राज्यरानी एक्सप्रेस की भी संकल्पना अधूरी ही रह जाती है। मुम्बई राज्यरानी जब घोषित हुई तो मुम्बई – मनमाड़ के बीच चलना शुरू हुई और वर्षोंतक चलती भी रही। लगातार भुसावल, अकोला, बडनेरा या मनमाड़ से नान्देड़ तक विस्तारित करने की मांग के बावजूद इसका विस्तार नही किया जा रहा था। आखिरकार रेल विभाग की तांत्रिक सुविधाओंका जायजा लेकर इसे नान्देड़ तक विस्तारित किया गया।
भारतीय रेल देश के यात्री यातायात का सबसे किफायती, सुरक्षित और लोकप्रिय साधन है। इतनी बहुल संख्या में यात्री यातायात है उसके मुकाबले रेल गाड़ियाँ उपलब्ध नही है। ऐसे में किसी संकल्पना के साथ कोई गाड़ियाँ चलती है और अपने नाम के विपरीत आचरण दिखाती है तो बड़ा ही हास्यास्पद लगता है। गरीब रथ के वातानुकूलित थ्री टियर के कोचेस का यात्री शायद ही गरीब रहता होगा उसी तरह नाम सुविधा मगर किराये बेहद असुविधाजनक और हाँ एक महामना भी सन्कल्पना गाड़ी है जिसके डिब्बे विशेष तरीके से सुसज्जित किये गए थे, किराये भी विशेष दर से लिये जाते है मगर किसी भी महामना एक्सप्रेस में शुरु वाले संकल्पित कोचेस अब नही रहे है, किरायोंकी वसूली मात्र महामना रेट से ही जारी है।
खैर, हम तो सुनते है की नाम मे क्या रख्खा है मगर भारतीय रेल उसे साबित भी करती है।