मित्रों, जिस तरह संचार क्रांति हुई है, लगभग हर किसी के पास सोशल मीडिया अकाउंट है। दिन के चौबीसों घंटे मोबाइल पर बिताने वाले लोग भी आप को बड़े आसानी से मिल जाएंगे। अब होता यूँ है, साधन तो दाम चुकाकर मिल जाएगा, खरीद लोगे मगर प्रतिभा कौन बाज़ारोंमें मिलेगी? साधन का सदुपयोग उसके साथ नही मिलता है और ना ही उसका कोई ट्रेनिंग सेंटर है। हम लोग कहीं से कोई मेसेज प्राप्त करते है और दो बटन दबाकर उसे फटाफट अपने मित्रोंको भेजने का “अतुलनीय कौशल” सामाजिक जीवन मे दिखाते है।
इससे होता क्या है? आपने यह बात तो सुनी ही होगी, एक झूठ सौ बार कानोंपर पड़े तो “सच” लगने लगता है। अच्छे अच्छे समझदार असमंजस में पड़ जाते है, की कहीं हम तो गलत नही? आम आदमी का मीडिया पर बहुत विश्वास होता है और क्यों न हो? अब तक अर्थात बीते 10, 15 वर्षोँपहले तक प्रिंट मीडिया में अखबार, साप्ताहिक, मासिक मैगजीन अपना दायित्व बख़ूबी निभा रहे थे। किसी भी खबर को जाँच, परख कर ही छापा जाता था। मगर जब से “ब्रेकिंग न्यूज” का सैटेलाइट टीवी का दौर आया, दिन के चौबीसों घण्टे कुछ न कुछ “ब्रेक” आता ही रहता है। कितना और किस हद तक ब्रेकिंग? कोई सीमा ही नही। उसके आगे की आवृत्ती यह सोशल मीडिया है।
‘सोशल मीडिया’ वह आग है जो पानी मे भी लगा दो तो पेट्रोल का इफेक्ट निर्माण कर सकती है। चेन रिएक्शन की तरह फैलती है, बस जनहित से जुड़ी बात होना चाहिए। आप निम्नलिखित खबर देखिए। बीते आठ दिनोंसे भारतीय रेल, वरिष्ठ नागरिक रियायत पहली जुलाई से शुरू कर देगी यह मैसेज आग की तरह फैलाया जा रहा है। खोखली, झूटी प्रसिद्धि पाने के लिए यूट्यूबर या अन्य सोशल मीडिया के माध्यमोंका उपयोग करनेवाले इसे जमकर उछाल रहे थे। इस तरह के मैसेज हर महीने, दो महीनोंमें उछाले जाते है, अपनी TRP बढाने के लिए।

एक फर्जी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है की भारतीय रेलवे 1 जुलाई, 2022 से वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायतें फिर से शुरू करेगा।
▶️ @RailMinIndia अर्थात भारतीय रेल मंत्रालय द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है
▶️ भारतीय रेलवे वर्तमान में केवल दिव्यांगजनों, रोगियों और छात्रों को ही रियायतें प्रदान कर रहा है।
मित्रों, जो काम सरकारी यंत्रणाओं को करना पड़ता है, या किसी को सामने आकर कहना पड़ता है की यह “फेक न्यूज” है तो का हमारे मीडिया व्यूव्हर, सोशल मीडिया यूजर इतने अज्ञानी तो नही है की उनके हाथ मे इतनी बड़ी ताकत है, उसे जानते न होंगे। वह खुद बड़ी आसानी से फैक्ट चेक कर सकते है। खबर सही है या गलत यह जांच आसानी से कर सकते है, फिर भी बिना जाने, समझे परखे उसे “फॉरवर्ड” करने में अपनी होशियारी क्यों खपाते है?
प्रत्येक सोशल मीडिया यूजर को अपना महत्व, अपनी शक्ति का ज्ञान होना जरूरी है। आपके हाथ का फोन कोई मामूली डिवाइस नही है। वह एक ऐसी अमोघ शक्ति है जिससे आप ऐसी कई फालतू मूर्ख बनाने वाली ख़बरोंको को रोक कर उसे जिसने आपको भेजा है उसे वहीं के वहीं लौटा सकते है। कहिए, किसे बनाये जा रहे हो, यह कोई अधिकृत खबर नही है।
हमेशा सिर्फ रेलवे ही नही, कोई भी खबर की असलियत समझे बिना उसे अन्य लोगोंको मत भेजिए। आज तो कुछ लोग आपको ख़बरोंका स्रोत समझ लेंगे मगर जब उन्हें पता चलेगा की आप बड़ी आसानी से मूर्ख बन इस तरह की ख़बरोंके झांसे में आ जाते है तो आगे आपकी पोस्ट सीधे “बिन” में जाती जाएगी और आपका सोशल मीडिया स्टेटस भी बेमानी बनकर रह जायेगा। अतः जानकार बने, अधिकृत वेबसाइट, घोषणाओंपर ही विश्वास करें।