जिन संक्रमण काल मे रेल कर्मियोंने अपने जान हथेली पर रख देशवासियों के राशन की आपूर्ति की, उन्हें अपने घरोंतक पहुंचाया, आज उन सारी बातोंको भुलाकर देश के कई भागोंमें आंदोलनकारियोंने रेल गाड़ियाँ फूँकी है, रेलवे स्टेशनोंपर लूटपाट मचाई है। इतना ही नही रेल यात्रिओंके जान माल की तक इन आन्दोलनकारियोंने परवाह नही की। कल और आज रेल गाड़ियोंके जलते डिब्बे, आँसू बहाते, अपने जान को बचाने इधर उधर भागते यात्रिओंको देखकर मन व्यथित हो जाता है। रेल आपकी अपनी सम्पत्ति है, कोई भला कैसे अपने ही घरोंमें आग लगा सकता है?
रेल विभाग के पास ऐसे ही संसाधनों की कमी है। युद्धस्तर पर कोचों का, लोको और मेमू गाड़ियोंका निर्माण किया जा रहा है। बिहार के दानापुर मण्डल मे डीआरएम प्रभात कुमार के कथनानुसार, कम से कम 50 कोच, सात इंजन क्षतिग्रस्त हो गए। जले हुए डिब्बों के लिए 90 करोड़ रुपये, लोकोमोटिव इंजन के लिए 61 करोड़ रुपये, वाणिज्यिक संसाधन के लिए 7 करोड़ रुपये और सिग्नलिंग प्रणाली में 5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि पार्सल कार्यालय के पास 50 से अधिक दोपहिया वाहन जलाए गए। ठीक इसी तरह लखीसराय और अन्य जगहोंपर भी आगजनी की घटनाएं हुई है। सिकंदराबाद स्टेशन पर एक गाड़ी की तोड़फोड़ का वीडियो कई न्यूजचैनलों पर दिखाया गया है। ऐसे दृश्य और वीडियो है की आम आदमी बेहद विचलित हो सकता है।

इन्ही आंदोलन के चलते आज सैकड़ों गाड़ियाँ रद्द, आँशिक रद्द या मार्ग बदल कर चलानी पड़ रही है। हमने कल भी यात्रिओंसे निवेदन किया था और आने वाले कुछ दिनोंतक कह रहे है, अपनी रेल यात्रा का नियोजन रेल हेल्पलाइन 139 की सहायता लेकर करें। गाड़ियाँ रद्द किए जाने के कारण नियमित गाड़ियोंका परिचालन अस्ताव्यस्त होता है और उनका रैक शेयरिंग भी गड़बड़ा जाता है।