यूँ तो रेल यात्रा में वरिष्ठ नागरिकोंको मिलने वाली किराया रियायत बन्द है, जिसे अर्सा हो गया और बन्द ही रहेगी ऐसे माननीय रेल मंत्री के बयान को भी कई महीने बीत गए मगर कुछ न्यूज चैनल और ब्लॉगर्स जबरन ठहरे हुए पानी मे कंकड़ डाल तरंगे बनाते रहते है।
वरिष्ठ नागरिकोंकी रेल किराया रियायत यह एक दिल से लगा हुवा विषय है। 100 रुपये का रेल टिकट जब 200 रुपये में खरीदना पड़े तो ठेस तो लगती ही है, इसमे बिल्कुल दो राय नही है। पहले इस विषय पर तर्क था, संक्रमणकाल चल रहा है वरिष्ठ नागरिकोंका रेल यात्रा करना ठीक नही है और उनको हतोत्साहित करने हेतु रियायत बन्द की गई लेकिन अब जब सब खुल गया है तो दलील यह आ रही है, रेल विभाग को बड़ा घाटा हुवा है, अतः रियायतों को पुर्नस्थापित नही किया जा रहा है।

हम क्या सभी रेल प्रेमी और देश के आम नागरिक यह नही चाहते कि रेल घाटे में चले या उसे नुकसान हो। आज भी रेल मार्ग बाधित होते है या दुर्घटना होती है तो अखबारों में सुर्खियां बनती है, चैनलोपर ब्रेकिंग न्यूज झलकती है, इतनी रेलवे आम लोगोंके दिलोंमें रची-बसी है।
जब कोई चलती व्यवस्था बन्द कर दी जाए तो उसे हज़म होने में तकलीफ होती है, निशानेपर अन्य सुविधाभोगी आ जाते है। कोई राजनेताओं पर प्रश्न उठा रहा है तो कोई कॉरपोरेट जगत को दी गयी छूट के आँकड़े गिनवाता है। कोई यह दलील देते नजर आता है, की हजार, पन्ध्रहसौ करोड़ वरिष्ठ नागरिकोंपर खर्च क्यों नही किये जा सकते? भाई, सभी दलीलें, सभी प्रश्न वाज़िब लगते है, जब हम दायरे के इस तरफ है मगर संहिता, नियम बनाने वाले कोई एक नही, पूरी टीम, पूरे अर्थतज्ञों का दल होता है और हर एक निर्णय विचार विमर्श कर लिया जाता है।

तर्क पर तर्क ही आ सकते है और बहस का कोई अंत नही। आज भी रेल किराये किसी भी यातायात साधनोंमें बेहद सस्ते और किफायती है, यज्ञपी सवारी गाड़ियोंमे भी मेल/एक्सप्रेस के किराए वसूले जा रहे है। आज रेलवे स्टेशनोंकी यात्री सुविधाएं दिन ब दिन उन्नत हो रही है। वरीष्ठ नागरिकोंके लिए लिफ्ट्स, रैम्प, एस्कलेटर, बैटरी कार उपलब्ध कराई गई है। इसमें केवल बैटरी कार के लिए समुचित दर चुकाने पड़ते है, बाकी सेवाएं मुफ्त है। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकोंके लोअर बर्थ का आरक्षण यथावत है, उन्हें आज भी लोअर बर्थ में अलग से कोटा आबंटित है, उपलब्ध रखा गया है।
वरिष्ठ नागरिकोंके रेल किराया रियायत के लिए हमे अभी इंतजार करना होगा, जिन्हें भले ही पुनर्रचना कर लाया जाए मगर बन्द किया जाना ठीक नही है। यह जरूरी भी नही है, की हर वरिष्ठ नागरिक पेंशनभोगी हो, उसे थोड़ी बहुत ही सही मगर कुछ निश्चित आय मिलती हो? जहाँ जरूरी यात्रा है, वहाँ जो यात्री खर्च लगता है वह तो चुकाना पड़ता ही है, मगर दो पैसे बचाने के पीछे की सोच भी बहुतांश इसी उम्र के वर्ग की होती है। उपर से थोड़ी रकम बचाकर भी इन्हें उसे अपने दुलारोंपर ही खर्च करनी होती है।
हम बस आशा और इन्तजार ही कर सकते है, और क्या?
लेख में उधृत तस्वीरों के लिए times group, indiarailinfo.com के हम आभारी है।