एक बार फिर न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि मेन स्ट्रीम मीडिया मे भी वरिष्ठ नागरिक रेल किराया रियायत चर्चा मे है। उम्र के 58 वर्ष और उससे आगे की महिलाओं को 50% एवं उम्र मे 60 वर्ष और उससे आगे के पुरुषों को 40% की रेल किराया रियायत रेलवे के सभी वर्गों और सभी प्रकार की गाड़ियोंमे दी जा रही थी। इसमे केवल सवारी गाड़ियों मे किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी जाती क्योंकी उन गाड़ियोंके मूल किराये अपने आप मे रियायती है।
अब तमाम चर्चाओं यहाँतक की संसद के सदन मे तक इस विषय पर बहस की जा चुकी है और मा. रेल मंत्री जी की ओरसे यह मांग खारिज भी की जा चुकी है तब यह मुद्दा फिर से अलग हवा पकड़ रहा है। सूत्रों (?) के आधार पर यह चर्चा है की रेल प्रशासन फिर से यह किराया रियायत अर्थात रद्द की जा चुकी अन्य भी रियायतें जिसमे खिलाड़ी और पदक प्राप्त व्यक्ति सम्मिलित है, शुरू करने पर विचार कर रही है।
गौरतलब यह है की, रेल प्रशासन के विचार मे, वरिष्ठ नागरिकों की उम्र 58/60 की जगह 70 वर्ष और उससे ऊपर के व्यक्ति पात्र समझे जाए और सभी रियायतें केवल गैरवातानुकूलित श्रेणियों अर्थात स्लीपर और द्वितीय श्रेणी तक सीमित कर दी जाए।
हमारा यह मानना है, की रेल प्रशासन की सोच यदि सचमुच इस दिशामे जा रही है तो यह एक प्रकार से वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराया रियायत स्वीकार करने के लिए हतोत्साहित करना ही है। भारतीय रेल्वे के द्वितीय श्रेणी और स्लीपर वर्ग की हालत किसीसे भी अछूती नहीं है, और शायद ही कोई मध्यम वर्ग का यात्री अपने बुजुर्गों को द्वितीय श्रेणी रियायत मिल रही है इसलिए यात्रा करने के लिए बाध्य करेगा। शयनयान स्लीपर वर्ग तो फिर भी ठीक है मगर वह भी केवल कम दूरी की यात्राओं के लिए। आगे प्रश्न यह भी है, लंबी दूरी की गाड़ियों मे रैक के मानकीकरण के चलते गैरवातानुकूलित डिब्बे दिन ब दिन कम किए जा रहे है और 12-13 कोच से घटते घटते इन की संख्या मात्र 5 या 6 रह गई है।
खैर यह सारी मीडिया मे चर्चित बातें है और रेल प्रशासन ने अभी तक किसी बात की पुष्टि नहीं की है।