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औचित्य क्या है, इस ‘सहयोग’ का? 😁

रेलवे स्टेशनोंपर आपका इन्क्वायरी काउन्टर अर्थात पूछताछ खिड़की से कभी तो पाला जरूर पड़ा होगा? जी उसी का नामकरण, रेल प्रशासन “सहयोग” यह करने जा रही है।

वैसे यह खबर आज दोपहर की ही है, हमारे सहयोगी ने दी थी और तभी मन मे विचार कौंधा, इस “सहयोग” का औचित्य क्या है? और शाम पड़ते कुछ बादल छंटने लगे। पता चला है, पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मण्डल में इस “सहयोग” सेवा का निजीकरण हो रहा है।

बादशाहनगर, गोरखपुर, लखनऊ ऐशबाग, सीतापुर, लखनऊ जंक्शन, मनकापुर, बस्ती, खलीलाबाद और गोंडा यह वे 09 स्टेशन है। इन नौ स्टेशनोंपर आज ही से हरेक स्टेशन पर 15 के हिसाब में निजी कर्मचारी तैनात किए जाएंगे जो रेल बिभाग द्वारा उपलब्ध यात्री सुविधाओं के लाभ लेने हेतु, रेल यात्रिओंको सहयोग करेंगे।

रेलवे स्टेशन की उद्घोषणा, डिस्प्ले बोर्ड, गाड़ियोंके कोच की संरचना और क्लॉक/लॉकर रूम याने अमानती सामान घर इनके जिम्मे होगा। ज्ञात रहे, पहले यह सारे काम रेलवे के वाणिज्य विभाग में सम्मिलित थे।

कुल मिलाकर यह समझिए, निजी क्षेत्र की रेलवे के वाणिज्य विभाग के सेवाओं में “सहयोग” की शुरूवात हो चुकी है।

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