मध्य रेल CR हमेशा की तरह इस बार भी अपनी गिनी चुनी त्यौहार विशेष गाड़ियोंकी सूची लेकर आयी। जिसमे मुम्बई – नागपुर और पुणे – नागपुर के बीच केवल एक एक विशेष साप्ताहिक गाड़ी चलाई गई।
ग़ौर करने की बात यह है, मुम्बई, पुणे और नागपुर यह तीनों ही स्टेशन मध्य रेल के अंतर्गत आते है, लेकिन मध्य रेल लम्बी दूरी याने लखनऊ, दरभंगा, बलिया, गोरखपुर इत्यादी स्टेशनोंपर ज्यादा ध्यान देती है और स्थानीय यात्री बेचारे ताकते रह जाते है। ऐसे भी पुणे – नागपुर के बीच दिनांक 04 से 20 अक्टूबर कालावधि में एक प्रतिदिन चलनेवाली महाराष्ट्र एक्सप्रेस और कई साप्ताहिक गाड़ियोंको रद्द कर दिया गया है। वह तो जाने कहाँ से सुबुद्धि आई के पुणे नागपुर पुणे त्रिसाप्ताहिक एक्सप्रेस को पूर्वसूचित रद्द से पुनर्बहाली की निर्णय लिया गया, अन्यथा पता नही पुणे – नागपुर के बीच चलनेवाले यात्रिओंके क्या बुरे हाल होते।
आज भी यह स्थिति है, पुणे, मुम्बई से नागपुर, जबलपुर, भोपाल के लिए सैकड़ों वेटिंग लगी पड़ी है और रेल प्रशासन कोई हरकत लेने के मुड़ में नही है। ना ही अतिरिक्त कोच की व्यवस्था की जा रही है और ना ही कोई विशेष गाड़ी की। रेल प्रशासन को चाहिए की 20 से 24 अक्टूबर तक मुम्बई, पुणे से अतिरिक्त गाड़ियोंकी व्यवस्था शीघ्रता से करें। पुणे, मुम्बई से नागपुर के बीच न सिर्फ नियमित मार्ग बल्कि पुणे दौंड कुरडुवाडी लातूर होकर या मुम्बई से मनमाड़, औरंगाबाद, पूर्णा मुदखेड़ होकर जो शून्याधारित समयसारणी के पहले चलती थी उन गाड़ियोंको भी पटरी पर लाया जाना चाहिए। यही समय होता है, लोग प्रशासन की ओर हसरत भरी निगाहों से देखते है और प्रशासन उनकी उम्मीदों पर कतई खरा नही उतरता।
दपुमरे क्षेत्र में नागपुर से बिलासपुर तक महिनों से रेल विकास काम चल रहे है और उस मार्ग से आने वाली और पुणे, मुम्बई की ओर जानेवाली लगभग सभी गाड़ियाँ 4,6,8 घंटो तक देरी से चली आ रही है। जो गाड़ियाँ अपने गन्तव्य पर देरी से पहुंचती है तो अपनी वापसी यात्रा भी देरी से शुरू करती है और यह देरी वाला चक्र महिनों चलते ही रहता है। दूसरा “शॉर्ट नोटिस” पर रेल ब्लॉक लेना यह रेल विभाग एक अलग ही फितरत बनते जा रही है। आज 12103 पुणे लखनऊ एक्सप्रेस का दौंड होकर मनमाड़ वाला मार्ग बदलकर लोनावला, पनवेल इगतपुरी मनमाड़ होकर चलाने का निर्णय थोंपा गया है। यात्री रेल यातायात पर निर्भर है, रेल विभाग की इस तरह की मनमानी पर भी यात्रा करने के लिए मजबूर है।
कुल मिलाकर समस्या का समाधान बड़ी आसानी से किया जा सकता है। प्रतिक्षासूचीयों को देखते हुए रेल विभाग अतिरिक्त गाड़ियाँ, डिब्बे की व्यवस्था करें। भले ही विशेष गाड़ियाँ नियमित मार्ग से अलग मार्गों पर चले मगर चले जरूर।