वहीं हुवा जिसका आम यात्री को अंदेशा था। “इकोनॉमी” नामक जो अविष्कार रेल प्रशासन ने अपने वातानुकूल यात्रिओंके लिए बड़े प्रचार के साथ अवतरित किया था, उसे अब नियमित वातानुकूलित थ्री टियर में तब्दील किया जा रहा है।
नियमित वातानुकूल थ्री टियर कोच के किरायोंसे तकरीबन 8% कम किराए में, रेल प्रशासन ने वातानुकूल इकोनॉमी श्रेणी को शुरू किया था। शुरू में इन कोचों में लिनन, बेड रोल नही दिए जा रहे थे और इस (अ)व्यवस्था से लम्बी दूरी के यात्री खासे नाराज थे। यह कोचोंमे यात्री बुकिंग केवल मजबूरी में ही की जाती थी। एक तो किराया लगभग वातानुकूल का दो और सबसे बड़ी सुविधा बेडरोल की उससे वंचित रहो? यात्री को बहुत बड़ी नाइंसाफी लगती थी, जब घरसे बाड़-बिस्तर ढोना है तो आधी कीमत वाले स्लीपर में ही क्यों न निकल जाए? खैर! प्रशासन की ट्यूबलाइट जली और इस इकोनॉमी कोच में वातानुकूल थ्री टियर की तरह किरायोंमे अंतर्भूत, लिनन, बेडरोल तुरन्त प्रभाव से शुरू किए गए।
अब वातानुकूल थ्री टियर की तरह ही बेडरोल देना है, ज्यादा की बर्थ में से बेडरोल स्टोरेज में 3 बर्थ भी जा रहे है, तो प्रशासन के लिए कैसी इकोनॉमी? वैसे भी इकोनॉमी कोच में यात्री से ज्यादा रेल प्रशासन की आय का गणित था जो बेडरोल सुविधा शुरू करने से जाता रहा। फिर रेल प्रशासन ने निर्णय लिया, भई, यह अलग से “इकोनॉमी श्रेणी” चलाने का चक्कर हटाओ और इसे अब वातानुकूल थ्री टियर की नियमित श्रेणी में ही चलाया जाना चाहिए। एक परिपत्र निकाला गया और आने वाले आरक्षण तिथि से, अर्थात 1 नवम्बर से 120 दिन के बाद से “इकोनॉमी श्रेणी” की बुकिंग नियमित वातानुकूल थ्री टियर के किराया दर से ही होगी।
आप निम्नलिखित परिपत्र देख लीजिए। हाँ, अब आपने वातानुकूल थ्री टियर में आरक्षण करवाया है तो आपकी तक़दीर की नियमित कोच रहेगा या इकोनॉमी! ☺️☺️ वैसे यह भी तय समझिए, आगे सारे वातानुकूल थ्री टियर कोच “इकोनॉमी” ही निर्माण किये जा रहे है।
