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मध्य रेल CR की 37 जोड़ी गाड़ियोंका होगा LHB मानकीकरण!

खबर बहुत अच्छी है मगर यात्रिओंके पल्ले क्या आने वाला है यह भी समझ लीजिए! सम्पूर्ण गाड़ी की संरचना में केवल दो जी हाँ, केवल दो कोच द्वितीय श्रेणी जनरल और दो ही कोच शयनयान स्लीपर के रह जाएंगे। 21 – 22 कोच की संरचना में लगभग 15 कोच वातानुकूल थ्री टियर, टू टियर, प्रथम श्रेणी के रहेंगे।

जरा सूची पे नजर डालियेगा, आप चौक जाओगे। मुम्बई अमृतसर के बीच चलनेवाली 11057/58, कोल्हापुर गोंदिया के बीच चलनेवाली 11039/40 महाराष्ट्र एक्सप्रेस, 12139/40 मुम्बई नागपुर मुम्बई सेवाग्राम एक्सप्रेस, दादर साईं नगर शिर्डी के बीच चलनेवाली 3 जोड़ी गाड़ियाँ यह ऐसी गाड़ियाँ है जिनमे बहुतसे यात्री कम दूरी की यात्रा करनेवाले द्वितीय श्रेणी के टिकटधारी होते है। हालिया स्थिति यह है, इन गाड़ियोंमे 4 – 4 कोच द्वितीय श्रेणी के है, 6 से 10 कोच शयनयान के है जो बारों मास फुल्ल रहते है। प्रतिक्षासूची लगी रहती है और द्वितीय श्रेणी अनारक्षित में पग धरने की जगह तक नही रहती।

अब कोच मानकीकरण के चलते यात्रिओंके होने वाले नुकसान की बात और विस्तार से समझाते है। द्वितीय श्रेणी जनरल क्लास अनारक्षित वर्ग है जिसमे यात्री तुरन्त ही टिकट खिड़की से टिकट लेकर अपनी यात्रा शुरू कर सकता है। कोई अग्रिम आरक्षण कराने की जरूरत नही और किराया दर न्यूनतम। लगभग वहीं बात शयनयान स्लीपर में भी लागू होती है। हालाँकि स्लीपर में आरक्षण करना पड़ता है मगर किराया दर यात्रिओंके बजट में होता है। न्यूनतम किराये लगभग ₹100/- होते है। वहीं यात्री वातानुकूल श्रेणी में यात्रा करें तो न्यूनतम किराये लगभग दुगुने और आरक्षण मिलना दुभर होते जाता है।

पहले ही कम दूरी की सवारी गाड़ियाँ भारतीय रेल पर बेहद कम है। इन्टरसिटी गाड़ियाँ न के बराबर है। 100 से 200 किलोमीटर की यात्रा करनेवाले यात्रिओंको आज भी अपनी छोटीसी रेल यात्रा के लिए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। टिकट लेकर भी रेल में वह एक अपराधियों की तरह स्लीपर के किसी कोने में यात्रा करता है, क्योंकि आम यात्री अपने परिवार के साथ द्वितीय श्रेणी में तो चढ़ ही नही पाता।

ऐसी स्थितियों में रेल प्रशासन यदि दिन में चलनेवाली लोकप्रिय गाड़ियोंका मानकीकरण कर, उनका वातानुकूलिकरण कर रही है तो उन्हें चाहिए की उपरोक्त मार्गोंपर इन्टरसिटी गाड़ियाँ, कम दूरी की डेमू / मेमू गाड़ियोंका परिचालन सुनिश्चित करना चाहिए अन्यथा द्वितीय श्रेणी यात्री मजबूरन आरक्षित यानोंमें यात्रा करेंगे और उनके दुर्भाग्य से धरे भी जाएंगे।

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