Uncategorised

भारतीय रेल ने “हाई स्पीड डीज़ल” के उपयोग को सुनियोजित तरीकेसे कम किया

भारतीय रेलवे ने 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की संकल्पना की है। अन्य बातों के साथ-साथ, इस संबंध में निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:

ब्रॉड गेज (बीजी) रेलवे नेटवर्क का 100% विद्युतीकरण।

लगभग 142 मेगावाट सौर संयंत्र (प्लेटफार्म की दोनों छतों पर एवं खाली भूमि पर) और लगभग 103 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्रों को चालू किया गया है (31.10.2022 तक)।

लोकोमोटिव, इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) ट्रेनों, मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (एमईएमयू) मेमू ट्रेनों, कोलकाता मेट्रो रेक और इलेक्ट्रिक ट्रेन सेटों में पुनर्योजी ब्रेकिंग के साथ इंसुलेटेड गेट बाइपोलर ट्रांजिस्टर (आईजीबीटी) आधारित 3-फेज प्रणोदन प्रणाली का उपयोग।

ध्वनि, वायु प्रदूषण और डीजल की खपत को कम करने के लिए एंड ऑन जेनरेशन (ईओजी) ट्रेनों को हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) ट्रेनों में बदलना।

बिजली की खपत में कमी के लिए रेलवे स्टेशनों, सेवा भवनों, आवासीय क्वार्टरों और कोचों सहित सभी रेलवे प्रतिष्ठानों में प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एलईडी) प्रकाश व्यवस्था का प्रावधान।

कार्बन सिंक बढ़ाने के लिए रेलवे भूमि का वनीकरण।

ग्रीन सर्टिफिकेशन- विभिन्न औद्योगिक इकाइयों, रेलवे स्टेशनों और अन्य रेलवे प्रतिष्ठानों का ग्रीन सर्टिफिकेशन किया जा चुका है।

पर्यावरणप्रबंधन प्रणाली (ईएमएस): विभिन्न रेलवे स्टेशनों का आईएसओ 14001 प्रमाणन भी किया जा चुका है।

पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) का निर्माण।

अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना। इसके अलावा, IR ने पारंपरिक स्रोतों के माध्यम से ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए उत्तरोत्तर नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद करने का निर्णय लिया है।

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s