महाराष्ट्र के 20 सांसदों ने रेलवे समिति से इस्तीफा दिया, कारण यह कहा जा रहा है की महाराष्ट्र में रेल परियोजनाओं को बैक ट्रैक और उपेक्षित किया गया है।
महाराष्ट्र के पुणे, सोलापुर मण्डल के साँसदोंकी बैठक में पीछे भी काफी हंगामे की खबर थी। दरअसल साँसद नई गाड़ियाँ, नए ठहराव की मांग करते है जो की मण्डल अधिकारी के कार्यक्षेत्र में नही आते। मण्डल अधिकारी महज मण्डल के स्टेशनोंपर सुविधाओं का उन्नयन करा सकते है। स्टॉपेज या गाड़ियाँ शुरू करवाने का प्रस्ताव रेल बोर्ड को भेजा जाता है और वह उसपर निर्णय कर उसे कार्यान्वित करने का आदेश जारी करते है।
चूंकि लोकप्रतिनिधि पर जनता का सीधा दबाव रहता है। खास कर संक्रमण के बाद रद्द की गई गाड़ियाँ, रद्द किए गए ठहरावों और शून्याधारित समयसारणी के तहत बदले गए गाड़ियोंके समय से रेल संगठन खासे परेशानी में है। रेल संगठन में अक्सर रोजाना अप डाउन करनेवाले यात्री होते है। अब इनकी रोजमर्रा की गाड़ियोंके समय बदल जाने से इन्हें अपने ड्यूटी पर जाने आने के समय बदलने पड़े है।
दूसरा विषय प्रोजेक्ट्स का है, उसमे देरी का विषय राज्योंके निधि से या अन्य जमीनी कार्रवाई से प्रलंबित हो सकता है। कुल मिलाकर मण्डल अधिकारी इन प्रश्नों पर उचित हल निकालने में असमर्थ रहते है और लोकप्रतिनिधि उनके उत्तर सुनकर असहज हो जाते है।
आगे चर्चा यह भी सुनने में है, रेल मंत्री खुद इस विषयपर संज्ञान ले कर साँसदोंकी समझाईश करेंगे।