
उपरोक्त विशेष गाड़ियोंवाला परिपत्र देखिए। खासकर मद क्रमांक C में की नोट; साफ साफ लिखा है, “यात्रिओंको पहले ही सूचित कर दीजिए, इस गाड़ी में ना ही लीनन मिलेंगी और न ही OBHS सेवाएं”
इसका अर्थ यह है, 20, 21 घंटे की यात्रा करने वाली, कहने को विशेष राजधानी सम्पुर्ण वातानुकूलित गाड़ी में किसी भी यात्री को चद्दर, तकिया, कम्बल उपलब्ध नही कराए जा सकेंगे। साथही OBHS अर्थात ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग सर्विस, गाड़ी की साफसफाई, पेंट्रीकार इत्यादि सेवा भी नदारद रहेंगी।
अब बताइए, यात्री क्यों भला ऐसी गाड़ियाँ चुने, और क्यों भला 1.3 गुना किराया ज्यादा दे? जब बेसिक सुविधाएँ ही उपलब्ध ना कराई जा रही हो? रेल प्रशासन का तर्क यह है, उपरोक्त विशेष गाड़ियाँ, कुछ नियमित गाड़ियोंके “लाय ओवर पीरियड” को समाहित कर चलाई जा रही है। यानी नियमित गाड़ियोंके OBHS कर्मी अपने रेस्ट अवर्स में रहेंगे और लीनन साधन धुलने जाएंगे तब तक गाड़ियोंका यह अतिरिक्त फेरा हो जाएगा।
अब यह यात्री के विवेकपर छोड़ दिया गया है, की बिना बेडिंग और बिना OBHS सुविधा के बावजूद वह अतिरिक्त किराया देकर यात्रा करना चाहे तो उसके लिए यह विशेष गाड़ियाँ उपलब्ध है।
तो मित्रों, आगे किसी भी विशेष गाड़ी में आप रेल यात्रा करने हेतु टिकट बुकिंग करने का विचार कर रहे हो तो सुनिश्चित कर लीजिए, वातानुकूल कोच में बेड रोल्स उपलब्ध है या नही और क्या पुड़ी-सब्जी घर से ही बन्धवा लेना है या रेलवे स्टेशन से लेना है?☺️😊