2 फरवरी 2023, गुरुवार, माघ, शुक्ल पक्ष, द्वादशी, विक्रम संवत 2079
प्रस्तुत लेख, PIB दिल्ली की प्रस्तुति का हिन्दी अनुवाद है।
रेलवे ने आरक्षित यात्री खंड में 48% और अनारक्षित यात्री खंड में 361% की वृद्धि दर्ज की।
अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के दौरान शुरुआती आधार पर भारतीय रेलवे के लिए यात्री खंड में कुल अनुमानित कमाई की तुलना में 73 % की वृद्धि दर्ज करते हुए 54733 करोड़ रुपये हुई। पिछले वर्ष इसी अवधि में 31634 करोड़ की उपलब्धि हासिल की थी।
आरक्षित यात्री खंड में, 1 अप्रैल 2022 से 31 जनवरी 2023 की अवधि के दौरान बुक किए गए यात्रियों की कुल अनुमानित संख्या पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 6181 लाख, की तुलना में 6590 लाख है, जो 7% की वृद्धि दर्शाती है। 1 अप्रैल 2022 से 31 जनवरी 2023 की अवधि के दौरान आरक्षित यात्री खंड से उत्पन्न राजस्व पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 29079 करोड़ की तुलना में 48% की वृद्धि दर्शाता है।
अनारक्षित यात्री खंड में, 1 अप्रैल 2022 से 31 जनवरी 2023 की अवधि के दौरान बुक किए गए यात्रियों की कुल अनुमानित संख्या पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 19785 लाख की तुलना में 45180 लाख है, जो 128% की वृद्धि दर्शाती है। 1 अप्रैल से 31 जनवरी 2023 की अवधि के दौरान अनारक्षित यात्री खंड से उत्पन्न राजस्व पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 2555 करोड़ रुपये की तुलना में 11788 करोड़ रुपये है, जो 361% की वृद्धि दर्शाता है।
मित्रों, क्या अब हम रेल प्रशासन से यह प्रश्न कर सकते है,
अनारक्षित यात्री खण्ड में बुक किये गए यात्रिओंकी संख्या में 128% और इसी खण्ड से राजस्व में 361% वृद्धि दर्ज की गई फिर रेल प्रशासन ने इस अनारक्षित खण्ड के यात्रिओं के लिए कौनसी सुविधा बढाई?

photo courtesy : indiarailinfo.com
क्या रेल प्रशासन ने अनारक्षित गाड़ियोंमे, कोचेस में वृद्धि की है या आगे वृद्धि करने का कोई निर्णय लिया है?
जहाँतक आम यात्री जानता है, रेल प्रशासन लगातार अपनी यात्री गाड़ियोंसे अनारक्षित कोचेस कम कम करती जा रही है। इसके अलावा अनारक्षित सवारी गाड़ियाँ पूर्ण भारतिय रेल से नदारद है और उनके ऐवज में मेमू, डेमू गाड़ियाँ विशेष एक्सप्रेस के स्वरूप में आम यात्रिओंपर लादी गयी है।
शून्याधारित समयसारणी के अंतर्गत बदलाव करने के कवायद में कितने ही ठहराव और कितनी ही गाड़ियाँ रद्द की जा चुकी है। जिसकी भरपाई रेल प्रशासन ने अब तक नही की है।
यह 128% यात्री संख्या और 361% आय की वृद्धि यह साफ साफ दर्शाती है, अनारक्षित गाड़ियाँ और कोचेस कम किए जाने के बावजूद यह वृद्धि हुई है तो यह बढ़े हुए यात्री बेशक आरक्षित यानोंमें यात्रा कर रहे है। इसका एक प्रमाण और है, रेल विभाग में टिकट जाँच दल द्वारा अर्जित की दण्ड की आय में जबरदस्त वृद्धि।
अब आम यात्री जिसे आरक्षित टिकट नही मिल पाता वह सीधे टिकट जाँच दल के पास अनारक्षित टिकट लेकर पहुंचता है और जुर्माने की रकम देकर, उसकी रसीद अपने अनारक्षित टिकट को जोड़कर बेहिचक आरक्षित कोच में सवार हो जाता है। समूचे भारतीय रेल में स्लीपर क्लास की यही अवस्था है और यह अव्यवस्था वातानुकूलित थ्री टियर, टू टियर की तरफ बढ़ रही है। यह सारा खेल टिकट जाँच दल के सामने होता है, जिसकी असुविधा को महीनों पहले बुक किए गए, दुगुने तिगुने मूल्य के आरक्षित टिकट धारी यात्री भुगतते है।
क्या रेल प्रशासन इसी तरह आँखों पर पट्टी बांधकर, आरक्षित यात्रिओंकी असुविधाओं को नजरअंदाज करता रहेगा या अपने सांख्यिकी से कुछ बोध लेकर अनारक्षित यात्रिओंके लिए गाड़ियाँ, कोचेस बढ़ाएगा?