21 मार्च 2023, मंगलवार, चैत्र, कृष्ण पक्ष, अमावस्या, विक्रम संवत 2079
वन्देभारत एक्सप्रेस भारतीय रेल की महत्वाकांक्षी परियोजना है। हमारे प्रधानमंत्री खुद इसमे रस ले रहे है। साथ ही प्रत्येक रेल यात्री, विभिन्न क्षेत्र के सांसद अपने अपने क्षेत्र में वन्देभारत एक्सप्रेस चलें इसके लिए आग्रही है। संसद में वन्देभारत एक्सप्रेस के परिचालन के बारे में चर्चाएं, प्रश्नोत्तर भी आते रहते है। हाल ही में, राज्यसभा सांसद जी वी एल नरसिम्हा राव जी ने रेल मंत्रालय से वन्देभारत एक्सप्रेस के बारे में कुछ प्रश्न किये। यह प्रश्न सभी रेल यात्रिओंके मन मे भी उठते रहते है। आशा है, रेल मंत्रालय के विस्तृत उत्तर के कारण, हम सभी रेल यात्री और रेल और रेल प्रेमियों की उत्सुकता का शमन होगा।


चलिए, हम उपरोक्त विषयपर चर्चा करते है,
फिलहाल 10 जोड़ी वन्देभारत एक्सप्रेस भारतीय रेल नेटवर्क पर चलाई जा रही है। उनमेसे वाराणसी – नई दिल्ली, श्री माता वैष्णो देवी कटरा – नई दिल्ली, मुम्बई सेंट्रल – गांधीनगर कैपिटल, हावडा – न्यू जलपाईगुड़ी, विशाखापट्टनम – सिकंदराबाद इन शहरों के बीच चलने वाली वन्देभारत गाड़ियाँ लोकप्रिय है, यात्रिओंके अच्छे प्रतिक्रिया के साथ चल रही है। वहीं बिलासपुर – नागपुर, नई दिल्ली – अम्ब अंदुरा, चेन्नई – मैसूरु, मुम्बई – शिर्डी एवं सोलापुर के बीच की गाड़ियोंमे अभी यात्रिओंका प्रतिक्रिया थोड़ी कम है।
जिन गाड़ियोंमें यात्रिओंका रिस्पॉन्स कम है, उसके कारण विभन्न हो सकते है जैसे मार्ग पर अन्य कम किरायोंवाली गाड़ियोंकी उपलब्धि, यात्री अनुपूरक समयसारणी का न होना इत्यादि। एक अभ्यास यह बताता है, एसी चेयर कार में वंदे भारत एक्सप्रेस का मूल किराया शताब्दी ट्रेन की एसी चेयर कार के मूल किराए से 1.4 गुना ज्यादा है और एक्जीक्यूटिव क्लास का किराया शताब्दी ट्रेन सेवाओं के एक्जीक्यूटिव क्लास के मूल किराए से 1.3 ज्यादा है। जब हम वन्देभारत एक्सप्रेस की तुलना शताब्दी एक्सप्रेस से करते है तो मुम्बई – सोलापुर, चेन्नई – मैसूरु इन मार्ग पर शताब्दी एक्सप्रेस चलती है मगर बिलासपुर – नागपुर, मुम्बई – शिर्डी या नई दिल्ली – अम्ब अंदुरा मार्ग पर शताब्दी जैसी कोई प्रीमियम इंटरसिटी गाड़ियाँ नही चलती, केवल मेल/एक्सप्रेस/सुपर गाड़ियाँ है। मगर वह गाड़ियाँ उन मार्गोंपर यात्रा करनेवाले यात्रिओंके लिए समुचित है और दूसरा कारण वन्देभारत का ज्यादा किराया भी है, जो सर्वसाधारण यात्री को वन्देभारत गाड़ियोंकी सवारी करने के लिए विचार करने मजबूर करता है।
कई रेल विशेषज्ञ का विचार है, देशभर के सभी मार्गोंपर वन्देभारत गाड़ी चलाने की जगह जहाँ यात्रिओंकी अत्याधिक माँग है, वहाँ वन्देभारत की आवृतियोंको बढ़ाना चाहिए। खैर! इस तरह के विचार जनमानस में वन्देभारत एक्सप्रेस के प्रति उत्सुकता को कम नही कर पायेगी। रेल प्रशासन वन्देभारत के स्लीपर और कम कोच की मिनी गाड़ियोंपर भी काम कर रहा है। जब यह आवृत्तियाँ पटरियोंपर आएंगी तब वन्देभारत एक्सप्रेस पर जो उच्च वर्ग की सुविधा वाली ट्रेन होने की, आम रेल यात्री की सोच को बदलकर रख देगी। हमारे देश मे रेल गाड़ियाँ जनसाधारण का मुख्य परिवहन है। स्लीपर वन्देभारत लम्बी दूरी के यात्रिओंमें खासी लोकप्रिय हो सकती है, वहीं मिनी वन्देभारत गाड़ियाँ लोकप्रिय मार्गोंपर कम यात्री संख्या ने, प्रीमियम सेगमेंट और तेज परिवहन को अद्यक्रम देनेवाले यात्रिओंके लिए बेहतर संसाधन मुहैया कराएगी।
रेल मंत्रालय के उत्तर में एक बात गौर करने लायक है, “गाड़ी सेवाएं राज्यवार आधार पर नही शुरू की जाती, क्योंकी रेल नेटवर्क राज्यों के आरपार फैला होता है” यह क्षेत्रिय रेल्वेके दफ्तरों, उनके कार्यक्षेत्रोंको और कार्यकलापों को सम्बंधित राज्य के अधीन समझ लिया जाता है। उनके निर्णयों पर विवाद भी छेड़ा जाता है। अमुक मण्डल को अमुक क्षेत्र में स्थानांतरित करने या अमुक क्षेत्रीय रेल का कार्यक्षेत्र किसी राज्य से जोड़ कर अनावश्यक बखेड़ा किया जाता है, उन रेल एक्टिविस्ट के लिए यह सीधा और कोरा जवाब है।