09 अप्रैल 2023, रविवार, वैशाख, कृष्ण पक्ष, तृतीया, विक्रम संवत 2080
भारतीय रेल में यात्रिओंके रेल यात्रा हेतु विभिन्न श्रेणियाँ उपलब्ध है। वातानुकूल में प्रथम, टू टियर, थ्री टियर, चेयर कार, एग्जीक्यूटिव चेयर कार, हाल ही आविष्कृत थ्री टियर इकोनॉमी, विस्टाडोम और ग़ैरवातानुकूल में स्लीपर, द्वितीय श्रेणी। उपरोक्त सभी श्रेणियों में द्वितीय श्रेणी जनरल वर्ग छोड़ दे तो सबसे किफायती वर्ग स्लीपर क्लास है। यात्रिओंके लिए सुविधाजनक और सुव्यवस्थित लेग स्पेस, सीट्स, बर्थस और वह भी कम दामों में इसके चलते यात्रिओंमें यह श्रेणी अत्याधिक लोकप्रिय है।
स्लीपर क्लास का अविष्कार भारतीय रेल में लगभग 1993 में आया। इससे पहले ग़ैरवातानुकूल शायिका केवल टू टियर फॉर्मेट में थी जिसमें दो स्तर में नीचे सीट्स और बर्थ आरक्षित की जा सकती थी। थ्री टियर में जितनी यात्री क्षमता उतने ही यात्री आरक्षित अर्थात पुराने ICF कोच में 72/75 यात्री क्षमता होती है और नए LHB कोचेस में 80 यात्री क्षमता है।
अब हम इस लोकप्रिय स्लीपर क्लास की आजकल हुई दुर्गति पर आते है। एक वक्त था, स्लीपर क्लास के प्रत्येक कोच पर रेल विभाग के वाणिज्यिक विभाग के कर्मचारी अर्थात TTE अमेनेटीज यात्री सुविधा हेतु हाजिर रहते थे। केवल आरक्षण धारक यात्री ही सम्पूर्ण आरक्षित स्लीपर कोच में यात्रा कर सकता था। यूँ तो अभी भी स्लीपर कोच सम्पूर्ण आरक्षित श्रेणी ही है, मगर रेल विभाग ने अपने कर्मचारियों के अभाव में इनकी देखभाल, यात्री सुविधाओं की और ध्यान देना कम कर दिया है। स्लीपर क्लास के कोचेस में आजकल अनारक्षित यात्री, वेटिंग लिस्ट के यात्री बिना खटके चढ़ जाते है और महीनों पहले आरक्षण किये यात्रिओंको परेशान करते है। स्लीपर क्लास की यहाँ तक दुरावस्था हो गयी है, की टिकट जाँच दल और TTE कोचोंमे किसी अवैध यात्रिओंको नही रोकते, अपितु जनरल टिकट धारक यात्रिओंको दण्डित कर, कोच की लेग स्पेस, दरवाजों, पैसेज की जगहोंपर या ऊपरी बर्थ पर एडजस्ट करा देते है।
एक बेहतरीन यात्री संहिता वाली स्लीपर श्रेणी रेल विभाग के अनदेखी की वजहसे यात्रिओंकी प्राधान्यता से दूर होते जा रही है। थोड़े अधिक धन खर्च कर सकने वाले यात्री सीधे वातानुकूल थ्री टियर की ओर रुख कर गए है और जो अब भी स्लीपर क्लास में यात्रा करते है, रेल विभाग को कोसते रेल की यात्रा पूर्ण करते है। रेल विभाग को स्लीपर क्लास की गरिमा, व्यवस्था को कायम करने के लिए कुछ कठोर कदम उठाने की जरूरत है।
रेल आरक्षण की ARP एडवांस रिजर्वेशन पीरियड, अग्रिम आरक्षण अवधि को 120 दिनोंसे घटाकर 30 दिनोंतक ले आना। इससे अनावश्यक रूपसे महीनों पहले सीट्स का बुक होना, आरक्षित टिकटों का ब्लैक मार्केट कम/ बन्द होगा।
सभी आरक्षित वर्गोमे प्रतिक्षासूची को अनिवार्य रूप से बन्द करना चाहिए। यदि पूर्व आरक्षण रद्द होते है, तो टिकट बुकिंग साइट्स पर अपनेआप ही सीट्स, बर्थ उपलब्ध दिखेंगे अन्यथा “नॉट अवेलेबल” यह पर्याय दिखेंगा। इससे प्रतिक्षासूची धारक का आरक्षित कोचेस में अवैध प्रवेश पर रोक लगेगी और यदि द्वितीय श्रेणी अनारक्षित टिकट धारक सीधे दण्डित या कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ सकेंगे।
सभी स्लीपर कोच (हालांकि अब दिनोंदिन गाड़ी संरचना में घटाए जा रहे) में अनिवार्य रूप से रेल प्रतिनिधि अर्थात TTE यात्री सुविधा के लिए मौजूद हो। इससे आरक्षित यात्री अपनी सीट्स, बर्थ पर सुरक्षित महसूस करेंगे।
सीजन धारक की पास पर अनिवार्य रूप से गाड़ी अंकित की जानी चाहिए, ताकि अन्य गाड़ियोंमे मुक्त रेल यात्रा पर प्रतिबंध लग सके। साथ ही रेल विभाग रोजाना यात्रा करने वाले इन सीजन पास धारकोंके पास आबंटन का उचित जायजा लेकर कम अन्तर की गाड़ियाँ चलवाई जाए।