28 अप्रैल 2023, शुक्रवार, वैशाख, शुक्लपक्ष, अष्टमी, विक्रम संवत 2080
‘कचरा डस्टबिन में फेंके’ ऐसे पोस्टर सार्वजनिक जगहोंपर आम तौर पर दिखाई देते है, मगर जब सार्वजनिक जगह खुद ही डस्टबिन बन गयी हो तो? हर कोना कचरा, कचरा। हर दीवाल पर ‘केसरी जुबाँ’ का रंगरोगन। 😊
कहते है, कोई जगह साफ-सुथरी हो तो वहाँ गन्दगी फैलाने की मानसिकता नही बन पाती है, लेकिन थोड़ी भी धूल,मिट्टी हो तो उसे कचरापेटी बनने में देर नहीं लगती। याद कीजिये कुछ ही वर्षों पहले के हमारे रेल्वे स्टेशन। किस तरह अस्तव्यस्त रहते थे। गाँव, शहर की तमाम गरीबी, लाचारी रात रेल्वे स्टेशनोंपर गुजारती थी, या यूँ कहें रेल्वे स्टेशन उनका रैन बसेरा बन जाता था। स्टेशनोंके आहाते बेगैरतों के साथ साथ मवेशियों के भी अड्डे बने रहते। खैर, यह अब बीती बातें हो गयी। रेल्वे स्टेशनोंने अपना रूप खूब बदला है।
अब रेल्वे स्टेशनोंको हवाईअड्डे की तर्ज पर बदला जा रहा है। साफसफाई, जगह जगह डस्टबिन, ग्रेनाइट, कोटा फर्श लगे फ़्लोर, एल ई डी लाईटों से लखदख करते स्टेशनोंके आहाते, प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले साइन बोर्ड। जहाँ दिव्यांगों के लिए एखाद रैम्प की माँग को रेल प्रशासन अचरज़ भरी निगाहों से देखता था, वहीं लगभग हर छोटेबड़े स्टेशनोंपर रैम्प, लिफ्ट्स, एस्कलेटर, बैटरी चलित वाहन उपलब्ध कराए जा रहे है।
ऐसी बहुत सी बातें है, जिन्हें श्री प्रकाशजी ने अपने ट्वीटर अकाउंट @Gujju_Er पर संकलित किया है। उनके सौजन्य से हम यह सारी तस्वीरें यहाँ पर साँझा कर रहे है। देखिए किस तरह हमारे रेल्वे स्टेशनोंने अपना रूप बदला है,
इज्जतनगर उत्तरप्रदेश

इगतपुरी, महाराष्ट्र

हाजीपुर, बिहार

धारवाड़, कर्नाटक

अलीपुरद्वार, पश्चिम बंगाल

जबलपुर, मध्यप्रदेश

गांधीनगर, गुजरात

गुंतकल, आंध्र प्रदेश

होसापेटे, कर्नाटक

भद्रख, ओड़िशा

जालना, महाराष्ट्र

बदायूँ, उत्तर प्रदेश

बुरहानपुर, मध्यप्रदेश

दुल्लहपुर, उत्तरप्रदेश

बीदर, कर्नाटक

बेलगावी, कर्नाटक

अडोनी, आंध्र प्रदेश

गौरीगंज, उत्तर प्रदेश

सोगारिया, कोटा मध्यप्रदेश

होजाई, असम

बड़ी सादड़ी, राजस्थान

लोनावला, महाराष्ट्र


जेजुरी, महाराष्ट्र

दावणगेरे, कर्नाटक

वरंगल, तेलंगाना

लंका, असम


वडनगर, गुजरात
बरकाकाना, झारखंड

छायापुरी, वडोदरा गुजरात

यह तो छोटासा नमूना है, अमूमन मंझोले, बड़े स्टेशन लगभग आधुनिकता में, सुन्दरता और साफसफाई में बदल गए है।