16 मई 2023, मंगलवार, जेष्ठ, कृष्ण पक्ष, द्वादशी, विक्रम संवत 2080
रेल प्रशासन यात्रिओंकी सुविधाओं को मद्देनजर रखने के साथ ही अपनी आय के स्रोत किस तरह बढ़ाए जा सकते है, इस पर भी विचार मन्थन करते रहता है। ज्यादातर रेल विभाग की आय मालभाड़े से होती है। कोयला, सीमेन्ट, अयस्क, लोहा इत्यादि मगर बहुत से छोटे पार्सल्स जिनमे नाशवान फल, सब्जियाँ, दूध ई. सम्मिलित है। इनका वाहन यात्री गाड़ियोंकी पार्सल वैन, गार्ड ब्रेक वैन द्वारा किया जा सकता है, जिनकी मात्रा और बढ़ाई जा सकती है।

इन छोटे पार्सल और नाशवान वस्तुओं के लिए रेल विभाग ने अलग से रेल गाड़ी बनाने की सोची। इसी संहितामे “कार्गो-लाइनर” रेल गाड़ी, रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला में विकसित की जा रही है। इन गाड़ियोंमे दो स्तरीय यातायात व्यवस्था रहेंगी। ऊपरी स्तर अर्थात अपर डेक पर यात्रिओंके बैठने की व्यवस्था और निचली डेक में सामान, माल वहन की व्यवस्था होगी।
शुरू में जहाँ पार्सल लोडिंग की मांग ज्यादा है, उन मार्गोंपर यह गाड़ियाँ प्रायोगिक तौर पर लाई जाएगी। यदि यह व्यवस्था कामयाब रही तो आगे बहुतसे मार्गोंपर हमें “कार्गो-लाइनर” गाड़ियाँ दिखाई देंगी। कुल मिलाकर रेल और रेल यात्री दोनों के लिए यह विन-विन व्यवस्था रहेगी।