भारतीय रेलवे स्टेशन, आधुनिकता और नई तकनीक की ओर तेजी से विकास कर रहे है। जो लिफ्ट या एलिवेटर जिसे शुद्ध हिंदी में उद्वाहक कहते है या एस्केलेटर्स, चलती यांत्रिक सीढिया जो कभी सिर्फ महानगरोंके स्टेशनोंपर या हवाई अडडों पर ही दिखाई देती थी, आजकल हर छोटेबड़े रेलवे स्टेशनोंपर मौजूद है।
आज रेलवे स्टेशन तो आधुनिक हो रहे है, लेकिन क्या हम लोग इन चीजोंको इस्तेमाल करने के सही तरीके जानते है? आइए कुछ जानकारी बढ़ाते है।
एस्कलेटर शुरू है तो ही उसका इस्तेमाल करे, बन्द स्थिति के एस्केलेटर पर कतई न चढ़े। दुर्घटना होने का खतरा रहता है।
एस्कलेटर की दिशा पर ध्यान दे, विपरीत दिशा में एस्कलेटर का उपयोग न करे। जैसे ऊपर जाने वाले में उतरना या उतरने वाले में चढ़ना।
ढीले ढाले कपडे पहनकर यदि एस्कलेटर का उपयोग करना पड़े तो अपना खास ख्याल रखे, कपड़े एस्कलेटर में कहीं फंसे नही।
एस्कलेटर की सीढ़ियों के साथ साथ, हेण्ड रेल भी चलते रहती है। उस पर हाथ जरूर रखिए और यह भी ध्यान रखें यदि वह सीढ़ी के गति से मेल खाती है या नही। यदि कम ज्यादा चले तो बीच बीच मे हैंडरेल को छोड़कर फिरसे पकड़ें।
जूते, चप्पल नर्म रबर वाले हो तो एस्कलेटर का उपयोग न करे तो बेहतर होगा।
एस्कलेटर पर चक्कों वाली लगेज ट्रोली, ट्राइसिकल आदी ना ले जाए, फिसलने का खतरा हो सकता है।
एस्कलेटर पर छोटे बच्चे साथ मे है तो उनका हाथ या बाँह थामे रहिए, उन्हें खुला नही छोड़ना है और नाही उन्हें एस्कलेटर की सीढ़ियों पर बैठाना है। बच्चोंको हैंडरेल पर भी कभी नही बैठाना है।
एस्कलेटर की दीवार से सटकर खड़े नहीं रहना है।
एस्कलेटर की सवारी पूरी होते ही बिना किसी झुंझलाहट के बाहर होना है और उसके सामने से दूर जाना है ताकी और पहुंचने वाले यात्रिओंको असुविधा या टकराने वाली स्थिती न हों।
एस्कलेटर पर सीढ़ियों के बीचोंबीच एक पिले रंग की मार्किंग होती है, यदि आप एस्कलेटर का इस्तेमाल पहलीबार कर रहे है, असहज है या आपको कोई जल्दी नहीं है तो मार्किंग के बायीं ओर खड़े रहिए और दायीं साईड जिन्हें एस्कलेटर पर जल्दी से आगे जाना है उनके लिए छोड़ दीजिए।
स्टेशनोंपर यात्रिओंके तेजीसे आवागमन के लिए ही एस्केलेटर और लिफ्ट लगाए जाते है, लेकिन तौरतरीकों का पता न होने से कुछ लोग एस्केलेटर के बीचोंबीच खड़े हो कर जल्दी वाले लोगोंकी राह के रोड़े बन जाते है। लिफ्ट में भी लोग चढ़ने और बाहर आने की जगहोपर भीड़ लगाए खड़े हो जाते है। अपने विवेकसे काम करे। हमेशा लिफ्ट पहले खाली होने, याने लिफ्ट छोड़ने वालोंको पहले जगह दे, पूर्ण खाली होने पर अंदर बढ़े।
तो समझदार बने, आधुनिक बने और सुविधाओं का सही इस्तेमाल करे।
