31 मई 2023, बुधवार, जेष्ठ, शुक्ल पक्ष, एकादशी, विक्रम संवत 2080
भारतीय रेल की सबसे पुरानी गाड़ी, पंजाब मेल ने गौरवशाली 111 वर्ष पूर्ण कर दिनांक 1.6.2023 को 112 वें वर्ष में कदम रखे हैं। 22 मार्च, 2020 से कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान सभी यात्री ट्रेन सेवाओं को बन्द कर दिया गया था, धीरे-धीरे सेवाओं को दिनांक 1.5.2020 से अनलॉक के बाद स्पेशल ट्रेनों के रूप में फिर से शुरू किया गया। दिनांक 1.12.2020 से पंजाब मेल स्पेशल ने एलएचबी कोचों के साथ अपनी यात्रा शुरू की है। इस गाड़ी की नियमित सेवा दिनांक 15.11.2021 से शुरु की गई।

पंजाब मेल के इतिहास की बात करते है तो मुम्बई तत्कालीन बॉम्बे से पेशावर जो अब पाकिस्तान में है,निश्चित रूप से कब शुरु हुई यह स्पष्ट नहीं है। वर्ष 1911 के अख़बार और लगभग 12 अक्टूबर 1912 को एक नाराज यात्री की शिकायत के आधार पर, ‘दिल्ली में ट्रेन के देर से आगमन’ के बारे में, कमोबेश यह अनुमान लगाया गया है की पंजाब मेल ने 1 जून 1912 को बैलार्ड पियर मोल GIPR ग्रेट इण्डियन पेनांझुला रेलवे का पहला टर्मिनल स्टेशन, से यात्रा शुरू की है।
पंजाब मेल, सुप्रसिद्ध फ्रंटियर मेल से 16 वर्ष से चलने लगे गयी थी। वास्तव में बैलार्ड पियर मोल स्टेशन जीआईपीआर सेवाओं का केंद्र था। पंजाब मेल, तब पंजाब लिमिटेड, इस नाम से जानी जाती थी, 1 जून 1912 को आरंभ हुई। भारत में ब्रिटिश राज के अधिकारी अपनी पोस्टिंग पर पी एंड ओ स्टीमर मेल में ब्रिटेन से अपने परिवार के साथ यात्रा करते थे। साउथेम्प्टन और बॉम्बे के बीच स्टीमर यात्रा तेरह दिनों तक चलती थी। चूंकि ब्रिटिश अधिकारियों के पास ब्रिटेन से बंबई की अपनी यात्रा के साथ-साथ भारत मे अपनी पोस्टिंग के स्थान तक जाने के लिए रेल से अपनी अंतर्देशीय यात्रा के लिए संयुक्त टिकट रहते थे। इसलिए वे जहाज से मुम्बई उतरने के बाद, आगे मद्रास, कलकत्ता या दिल्ली के लिए जाने वाली ट्रेनों में सवार हो कर आगे बढ़ते थे।

पंजाब लिमिटेड बंबई के बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से जीआईपी रेल मार्ग से पेशावर तक, लगभग 2,496 किमी की दूरी तय करने के लिए 47 घंटे लेती थी। ट्रेन में छह डिब्बे होते थे, जिनमे तीन यात्रियों के लिए, और तीन डाक सामान के लिए रहते थे। तीन यात्री डिब्बोंमें केवल 96 यात्रियों को ले जाने की क्षमता थी, जो केवल ब्रिटिश अधिकारियों के लिए आरक्षित थी।
विभाजन के पूर्व की अवधि में पंजाब लिमिटेड ब्रिटिश भारत की सबसे तेज रफ्तार वाली गाड़ी थी। पंजाब लिमिटेड के मार्ग का बडा हिस्सा जीआईपी रेल पथ पर से भुसावल, इटारसी, आगरा, दिल्ली, अमृतसर तथा लाहौर से गुजरता था और पेशावर छावनी में समाप्त हो जाता था। इस गाडी ने 1914 से बंबई विक्टोरिया टर्मिनस (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई) से आवागमन प्रारंभ किया। बाद में इसे पंजाब लिमिटेड के स्थान पर पंजाब मेल कहा जाने लगा और इसकी सेवाएं दैनिक कर दी गई।
1930 के मध्य में पंजाब मेल में तृतीय श्रेणी का डिब्बा लगाया गया। 1914 में बांबे से दिल्ली का जीआईपी रूट 1,541 किमी था, जिसे यह गाडी 29 घंटा 30 मिनट में पूरा करती थी। 1920 के प्रारंभ में इसके समय को घटाकर 27 घंटा 10 मिनट किया गया। 1945 में पंजाब मेल में वातानुकूलित शयनयान लगाया गया। 1972 में गाडी फिर से 29 घंटे लेने लगी। सन् 2011 में पंजाब मेल 55 अन्य स्टेशनों पर रूकने लगी।
भाँप के इंजिन से चलनेवाली पंजाब मेल, 1968 में डीजल इंजन से झॉंसी तक चलाया जाने लगा तथा बाद में डीजल इंजन नई दिल्ली तक चलने लगा। 1976 में यह गाड़ी फिरोजपुर तक जाने लगी। 1970 के अंत या 1980 के प्रारंभ में पंजाब मेल भुसावल तक विद्युत कर्षण पर डब्ल्यू सीएम/1 ड्यूल करंट इंजन द्वारा चलाई जाने लगी। जिसमें इगतपुरी में डीसी से एसी कर्षण बदलता था। पंजाब मेल मुंबई से फिरोजपुर छावनी तक की 1930 किमी तक की दूरी 32 घंटों 35 मिनट में पूरी करती है, मार्ग में 52 स्टेशनों पर रुकती है। अब इसमें रेस्टोरेंट कार के स्थान पर पेंट्रीकार लगाई जाती है।
वर्तमान में पंजाब मेल में एक फर्स्ट एसी सह वातानुकूलित टू टीयर, 2 -एसी टू टियर, 6-एसी थ्री टीयर, , 6 शयनयान, एक पैंट्रीकार, 5 सेकेंड क्लास के कोच तथा एक जनरेटर वैन है।
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दिनांक 31/5/2023
पीआर नं. 2023/05/41
यह विज्ञप्ति जनसंपर्क विभाग, मध्य रेल , छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस द्वारा जारी की गई है।
