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बड़ी समस्या : जंक्शनों पर गाड़ियोंके जमावड़े के चलते मार्ग की इतर गाड़ियोंके परिचालन में देरी

06 जुलाई 2023, गुरुवार, श्रावण, कृष्ण पक्ष, तृतीया/चतुर्थी, विक्रम संवत 2080

हम यात्री हमेशा से देखते आ रहे है, प्रत्येक बड़े जंक्शन, टर्मिनल स्टेशन पर गाड़ियोंको प्लेटफार्म पर लेने के लिए बहुत इंतज़ार करना पड़ता है। अब तक रेल प्रशासन इस समस्या से निज़ात पाने के लिए मार्जिन समय का उपयोग करती है। अर्थात मात्र 10, 20 किलोमीटर रन के लिए समयसारणी में 30, 40 मिनट का समय दे देना।

मित्रों, हम सोचते है जितनी मामूली समस्या यह नही है। लगभग सभी क्षेत्रीय रेल, मण्डल इस मार्जिन टाइमिंग्ज की तकनीक का लाभ लेते है। इनमें गाड़ी एखाद घण्टा देरी से भी चल रही है, बड़े जंक्शन, टर्मिनल स्टेशन या झोन/ मण्डल चेंजिंग स्टेशनपर समय पर हो जाती है। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से वाराणसी जंक्शन महज 18 किलोमीटर है, मगर प्रत्येक यात्री गाड़ी को परिचालन समय 40 से 50 मिनट का दिया होता है। इसकी मुख्य वजह है, गाड़ियोंको स्टेशन पर लेने के लिए प्लेटफार्म का खाली न होना। वाराणसी जंक्शन का यह छोटासा उदाहरण है, अमूमन देश भर के सभी जंक्शन, टर्मिनल स्टेशन की लगभग यही हालत है। जैसे ही इस तरह के कोई स्टेशन पर गाड़ी पहुंचने वाली हो, बस रेंगने लग जाती है, या घण्टों खड़ी कर दी जाती है।

अब होता यूँ है, गाड़ियाँ अपनी प्लेटफार्म की माँग लिए स्टेशनोंके बाहरी सिग्नलोंपर खड़ी हो जाती है। बहुतसे यात्री स्टेशन पर खानपान के साधन जुटाने हेतु गाड़ी के दरवाजों के पास आकर खड़े हो जाते है। स्टेशन के अगलबगल ढेरों अवैध बस्तियाँ पायी जाती है और बहुत से अवैध व्यवसाय भी इन्ही बस्तियोंसे पनपते है। यह लोग गाड़ी खड़ी रहती है तब तक यात्रिओंपर नजर रखते है और जैसे ही गाड़ी चल पड़े यात्री के हाथ से उसका बैग, मोबाईल आदि सामान छीन कर भाग जाते है। यह तो हुई गुनहगारी की बात, इसके अलावा गाड़ी अपने टर्मिनल या अगली यात्रा के लिए देरी करती है यह बड़ी परेशानी की सबब है।

रेल प्रशासन मार्जिन समय देकर अब तक इस गाड़ी समयपालन की समस्या से निपट रहा था, बल्कि अभी भी तरीका वही चल रहा है। मगर इस जमावड़े वाली समस्या पर रेल प्रशासन ने कुछ कारगर उपाय भी अपनाए है। तमाम जंक्शन स्टेशन्स पर सीधी यात्री गाड़ियोंका शंटिंग बन्द कर दिया गया है। इसके चलते बरसों पुरानी लिंक एक्सप्रेस गाड़ियाँ, स्लिप कोचेस व्यवस्था बन्द हो गयी।

दूसरा सम्पूर्ण रेल मार्ग का विद्युतीकरण करना। इससे बीच के स्टेशनोंपर लोको बदलना अर्थात डीजल / इलेक्ट्रिक लोको में बदलाव लगभग बन्द हो गया। इससे न सिर्फ गाड़ियोंका समय बच रहा है, अपितु मार्ग की अन्य गाड़ियाँ भी देरी से चलने से बचती है।

इससे आगे का कदम है, सर्वसाधारण गाड़ियोंको ट्रेनसेट में बदलना। यह ट्रेन सेट गाड़ी के दोनों दिशाओं में लोको से सुसज्जित होता है, जिसे सेल्फ प्रोपल्ड कहा जाता है। आधुनिक वन्देभारत एक्सप्रेस इसका उदाहरण है। साथ ही मेमू, डेमू और ई एम यू गाड़ियाँ भी इन्ही ट्रेन सेट से चलती है। देशभर की सवारी गाड़ियोंको मेमू ट्रेनसेट में बदलना, साथ ही देशभर में वन्देभारत एक्सप्रेस गाड़ियोंका परिचालन बढाना यह इसी महत्वाकांक्षी योजना का एक भाग है। इन सेल्फ प्रोपल्ड गाड़ियोंके वजह से टर्मिनल स्टेशन्स के प्लेटफार्म शीघ्रता से खाली कर लिए जाते है। अलग से शंटिंग करने की आवश्यकता नहीं रहती।

भारतीय रेल जिस तरह देशभर में प्रीमियम वातानुकूलित वन्देभारत एक्सप्रेस गाड़ियोंको बढ़ाती चली जा रही है, उसी तर्ज पर वन्दे – साधारण एक्सप्रेस का भी प्रस्ताव उनके विचाराधीन है। यह वन्देसाधारण बना-बनाया ट्रेन सेट तो नही होगा, मगर मध्य रेल की एकमेव राजधानी 22222/21 की तरह सम्पूर्ण LHB कोच से सज्जित पुश-पुल दोनों सिरोंपर लोको वाली एक साधारण एक्सप्रेस गाड़ी होंगी, ऐसी चर्चा है। इज़ तरह की पुश-पुल गाड़ी से ट्रेनसेट की तरह सारे फायदे लिए जा सकते है। केवल एक गाड़ी में दो लोको अटक जाने की समस्या रहेगी। खैर, आगे देखते है, रेल प्रशासन के किस तरह निर्णय आते है!

रेल प्रशासन अपने समस्याओं को अच्छे से समझती है और उस दिशामे काम भी कर रही है। हालाँकि इस महत्वकांक्षी कार्य को समय भी लग ही रहा है, तब हम यात्रिओंको यही सलाह देंगे, कृपया जब तक गाड़ी प्लेटफार्म पर न पहुंचे, कोच के दरवाजोंपर जाकर खड़े न होइए। यह आपके जान-माल के लिए जोख़िम भरा हो सकता है।

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