रेल प्रशासन ने आज तत्काल प्रभाव से देश भर की सभी रेल गाड़ियोंके वातानुकूलित कुर्सी यान और उसी प्रकार के एग्जीक्यूटिव चेयर कार, अनुभूति, विस्टा डोम कोचेस के किरायोंमे 25% तक छूट दिए जाने का निर्णय जारी किया है। अर्थात इन किराए के छूट में विभिन्न किंतु / परन्तु जोड़े गए है।
वातानुकूलित चेयर कार वाली वन्देभारत एक्सप्रेस का फिलहाल बड़ा बोलबाला चल रहा है। एक सुन्दर, आरामदायक, वेगवान और यात्री माँग के आधारित समयसारणी वाली यह प्रीमियम गाड़ी देशभर में अब तक 23 मार्गोंपर चलाई जा रही है। प्रचण्ड लोकप्रियता हासिल हुई इस वन्देभारत एक्सप्रेस के कुछेक संस्करण को यात्रिओंका प्रतिसाद कम मिल रहा है। जिसमे मुख्यतः नागपुर – बिलासपुर के बीच चल रही वन्देभारत और दूसरी हाल ही में शुरू की गई इन्दौर – भोपाल एवं भोपाल – जबलपुर वन्देभारत एक्सप्रेस गाड़ियाँ है।
इन वन्देभारत गाड़ियोंको यात्रिओंका रेल यात्रा हेतु प्राधान्य कम है, इसके कारण मात्र किराया ज्यादा होना, सिर्फ यह नही है। जैसे नागपुर – बिलासपुर में समय सारणी बदले तो भी यात्री भार बढ़ सकेगा। तो इन्दौर भोपाल के बीच सड़क परिवहन से मुकाबला न तो किराए के ऐवज में और न ही बोर्डिंग/ एग्जिट पॉइंट के आधार पर आसान रहेगा। मात्र 400 रुपयोंमें इन्दौर भोपाल के बीच आरामदायक बसें चलती है। जहाँ 810 रुपये वन्देभारत का इन्दौर – भोपाल का किराया है, उसमे से ₹140/- कैटरिंग के घटे तो ₹670/- लगेगा।
अब इसी उदाहरण को इस रियायत वाली स्किम से जोड़े तो, इन्दौर भोपाल के बीच बेसिक किराया है ₹551/- इसका 25% रियायत कम कर होगा ₹415/- इसमे ₹40 आरक्षण के, ₹45 सुपरफास्ट के और जीएसटी के ₹30/- कैटरिंग फिर छोड़ देते है, फिर भी कूल जोड़ हुवा ₹530/- मतलब सड़क परिवहन से फिर भी 30, 35 % ज्यादा। अब बताए क्या रेल प्रशासन किरायोंको कम कर के इन खाली जगहोंको भर पाएगा?
इस सारी कवायदों में एक बात बिल्कुल नई और आश्चर्यभरी है, ऑनबोर्ड यात्रा में TTE को रियायती टिकट बनाने की अनुमति।

रेल प्रशासन के इतिहास में कभी भी काऊंटर्स के आगे किसी भी सूरत में कोई रियायत नहीं दी गई और न ही दी जाती रही है। क्या यह ख़ज़ाने की चाभी उसी के चौकीदार के साथ ही छोड़ देने वाला प्रकार नहीं होगा? कृपया चेकिंग स्टाफ़ इस बात को अन्यथा न लेवे। लेकिन पूरी गाड़ी में यात्री सुविधाओं का ध्यान रखने वाले ऑनबोर्ड TTE स्टाफ़ जो नाममात्र गिनती में केवल 2 या 3 होते है, क्या उनपर यह अतिरिक्त बोझ न होगा? क्या वह हर स्टेशन पर बाहर खड़ा होकर टिकट बनाएगा या प्रत्येक स्टेशन प्रस्थान के बाद प्रत्येक टिकट जांच कर रियायत वालोंके टिकट बनाएगा?
यह बहुत आश्चर्यजनक और हैरत भरा निर्णय है। आगे चलकर कार्यप्रणाली में ही पता चल पाएगा उपयोगी है या परेशानी भरा।
खैर, वन्देभारत और अन्य वातानुकूलित कुर्सी यानों के कई नियमित यात्री अब असमंजस में है की उन्हें इस रियायत का लाभ लेने के लिए हर समय बुकिंग साइट्स पर यह खोजना होगा की कौनसी गाड़ी, उसका कौनसा खण्ड और कौनसा वर्ग रियायत वाला है? चूँकि यह सारी कवायद रेल प्रशासन ने सम्बंधित क्षेत्रीय रेल्वेके वाणिज्यिक अधिकारियोंके के ऊपर और यात्री भार के गुणा गणित पर छोड़ रखी है। वह निगरानी रख रियायत को बदल करने, बन्द करने या इस तरह का कोई भी निर्णय ले कर तत्काल प्रभाव से लागू कर सकते है।
