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रेल प्रशासन श्रमिकों के लिए अनारक्षित, अन्त्योदय जैसी गाड़ियाँ चलाने पर विचार कर रही है।

20 जुलाई 2023, गुरुवार, अधिक श्रावण, शुक्ल पक्ष, तृतीया, विक्रम संवत 2080

भारतीय रेल पर फिलहाल 28 किस्म के कोचेस चलते है, मगर आम श्रमिक वर्ग में द्वितीय साधारण याने प्रचलित भाषा मे जनरल और स्लिपर यह दो वर्ग ही लोकप्रिय है। जनरल वर्ग की टिकट अनारक्षित और हर समय उपलब्ध रहती है, इसके लिए यह ‘मोस्ट कॉमन’ सर्वाधिक उपयोग में आने वाला टिकट या यूँ कहे वर्ग है। इस वर्ग के लिए उधना – दानापुर और दिल्ली – गौहाटी के बीच एक – एक नियमित अनारक्षित यात्री गाड़ी चलाने का रेल प्रशासन विचार कर रही है।

हमारे देश मे उत्तरी, पूर्वी भारत से अधिकांश श्रमिक दक्षिण और पश्चिम भारत के बड़े शहरोंकी ओर स्थलांतर करते है। बड़े शहरोंकी ऊँचे दरों की मजदूरी इन्हें आकर्षित करती है। खैर, यह अर्थतज्ञों वाली बातें छोड़कर हमारे मुद्दे पर आते है। तो रेल विभाग देश के आम यात्रिओंके लिए अनारक्षित गाड़ियाँ लाने पर विचार कर रही है। ऐसे प्रयोग अन्त्योदय एवं जनसाधारण एक्सप्रेस के नाम पर पहले भी हो चुके है, जो दुर्भाग्यपूर्ण रूप से असफल रहे है। यात्रिओंकी असीमित माँग होने के बावजूद यह गाड़ियाँ असफल क्यों हुई? अक्सर खाली ही चलती है। जिसमे टाटानगर – लोकमान्य तिलक टर्मिनस द्विसाप्ताहिक अन्त्योदय एक्सप्रेस को बन्द किया जा चुका है। अन्य अन्त्योदय गाड़ियोंकी यात्री स्थिति के आँकड़े भी बाहर नहीं आते। क्या रेल विभाग इसकी प्रसिद्धि बराबर, सही तरीकेसे नही कर पाया? आइए, चर्चा करते है।

अनारक्षित गाड़ियोंका असफल होनेके पीछे महत्वपूर्ण कारण है इन गाड़ियोंका अनारक्षित होना, कैसे? हम समझाते है, अनारक्षित गाड़ियोंमे जो द्वितीय साधारण वर्ग की टिकट चलती है, उसकी बुकिंग असीमित अर्थात बिना किसी सीलिंग के की जाती है। और ठीक उसी तरह यात्री के उन कोचोंमे यात्रा करने पर भी कोई सीलिंग अर्थात बन्धन नही होता। इसे यूँ समझिए, एक जनरल कोच में 90 से 100 आसन उपलब्ध है और नियमित मेल/एक्सप्रेस जिनमे बमुश्किल 2 जनरल कोच रहते है, 200, 300 यात्री ठूंस ठूँस कर यात्रा कर रहे होते है। जब इस तरह की अनारक्षित गाड़ी चलाई जाती है, तो सर्वसाधारण यात्री यह सोचता है, इसके सारे कोचेस आम मेल/एक्सप्रेस की तरह ‘ओवर पैक्ड’ रहेंगे। क्योंकि मेल/एक्सप्रेस में आरक्षित कोच की बुकिंग देखकर उसे गाड़ी में रहनेवाली भीड़ का अंदाजा आ जाता है मगर इस अनारक्षित गाड़ी को प्रत्यक्ष देखने के सिवा उसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि यह गाड़ी पूर्णतयः अनारक्षित होती है, तो इसकी बुकिंग्ज कितनी हो पाई है, कीतनी भर कर चलेगी यह केवल प्रत्यक्षदर्शी ही बता पायेगा।

दूसरा महत्वपूर्ण कारण भी इसकी अनारक्षित बुकिंग्ज से ही जुड़ा है। चूँकि अनारक्षित गाड़ी होने से यह गाड़ी IRCTC की ऑनलाइन टिकट बुकिंग वाली सूची में दिखाई नही देती और इसके चलते बहुतें अकस्मात रेल यात्रा करनेवाले यात्रियोंको इस गाड़ी के परिचालन की जानकारी समझ नही आती। एक तरह से जो स्टेशनोंपर घण्टों नियमित मेल/एक्सप्रेस गाडियोंके जनरल कोच ताकते रहते है और थोड़ीबहुत खाली जगहोंको इंतज़ार करते रहते है, उन यात्रियोंके लिए यह गाड़ियाँ उपयुक्त है। इसके बावजूद भी वह यात्री इन गाड़ियोंपर विश्वास नही रखते और खचाखच भरे नियमित मेल/एक्सप्रेस के जनरल कोच में ही सवार हो जाते है।

इसका बहुत ही आसान इलाज है, इन गाड़ियोंकी अनारक्षित बुकिंग्ज को द्वितीय सिटिंग अर्थात ‘2S’ में बदलना। 2S की टिकट किराया दर और जनरल द्वितीय साधारण के किराया दरों में मामूली सा केवल ₹15/- का ही फर्क है। जनरल टिकट दर में केवल प्रति व्यक्ति आरक्षण शुल्क ₹15/- ही बढ़ते है। मगर इसके फायदे बहुत हो जाएंगे। गाड़ी ऑनलाइन टिकट वेबसाइट, ऍप पर दिखाना शुरू हो जाएगी। यात्रिओंको गाड़ी में भीड़ कितनी रह सकती है, इसका अंदाज़ा आ जाएगा और सबसे महत्वपूर्ण, उसकी सीट अग्रिम बुक रहेंगी।

रेल विभाग यदि उपरोक्त निर्णय लें, तो इन श्रमिक वर्ग की रेल गाड़ियोंका सही उपयोग होगा।

तस्वीरें साभार : indiarailinfo.com

*पुरी – अहमदाबाद के बीच अन्त्योदय, जनसाधारण अनारक्षित एक्सप्रेस चली थी, जिसे असफलता के चलते, द्वितीय साधारण के 18 कोच हटाकर, 2A, 3A, SL वर्ग के कोच जोड़ दिए गए और नियमित मेल/एक्सप्रेस बना दिया गया। आज यह गाड़ियाँ पूर्व तटीय रेल ECoR की सर्वाधिक लोकप्रिय गाड़ियोंमे से है।

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