21 जुलाई 2023, शुक्रवार, अधिक श्रावण, शुक्ल पक्ष, पंचमी, विक्रम संवत 2080
यात्री गाड़ियोंके डिब्बा संरचना मानकीकरण का कार्यक्रम जोरशोर से जारी है। इसी कड़ी में उत्तर पश्चिम रेल NWR ने अपने क्षेत्र की पाँच जोड़ी गाड़ियाँ नामित की है। उक्त बदलाव नवम्बर के आखरी सप्ताह से कार्यान्वित किये जायेंगे। निम्नलिखित परिपत्रक देखे,

19601/02 उदयपुर सिटी न्यु जलपाईगुड़ी उदयपुर सिटी साप्ताहिक एक्सप्रेस की डिब्बा संरचना के दो स्लिपर बदलकर दो वातानुकूलित थ्री टियर इकोनॉमी कोच लगाए जाएंगे।
19615/16 उदयपुर सिटी कामाख्या उदयपुर सिटी कवि गुरु साप्ताहिक एक्सप्रेस की डिब्बा संरचना के दो स्लिपर बदलकर दो वातानुकूलित थ्री टियर इकोनॉमी कोच लगाए जाएंगे और एक वातानुकूल थ्री टियर की जगह एक वातानुकूल टू टियर लगेगा।
20971/72 उदयपुर सिटी शालीमार उदयपुर सिटी साप्ताहिक एक्सप्रेस की डिब्बा संरचना के दो स्लिपर बदलकर दो वातानुकूलित थ्री टियर इकोनॉमी कोच लगाए जाएंगे।
12486/85 श्रीगंगानगर हुजूर साहिब नान्देड़ श्रीगंगानगर द्विसाप्ताहिक एक्सप्रेस डिब्बा संरचना के दो स्लिपर बदलकर दो वातानुकूलित थ्री टियर इकोनॉमी कोच लगाए जाएंगे।
12440/39 श्रीगंगानगर हुजूर साहिब नान्देड़ श्रीगंगानगर साप्ताहिक एक्सप्रेस डिब्बा संरचना के दो स्लिपर बदलकर दो वातानुकूलित थ्री टियर इकोनॉमी कोच लगाए जाएंगे।
रेल प्रशासन लगातार लम्बी दूरी की गाड़ियोंसे गैर वातानुकूलित कोच को कम करती जा रही है और उनकी जगह वातानुकूलित थ्री टियर या थ्री टियर इकोनॉमी कोच संरचना में बढ़ा रही है। आम यात्री जिसे कम बजट में स्लिपर या द्वितीय श्रेणी कोच के जरिये सस्ते किरायोंमे (वातानुकूलित श्रेणी के किराया अनुपात में) रेल यात्रा करने की आदत है, उसे यह बदलाव बड़ा खटकता है।
दरअसल इसी सम्बन्ध में एक रेल विशेषज्ञ ने कहा, उपरोक्त बदलाव की कारणमीमांसा की जाए तो समझने की बात है, प्रथमतः आधुनिक LHB गाड़ियोंमे वातानुकूलित कोच बढ़ाए जा रहे है। यह लम्बी दूरी की गाड़ियोंके स्टैटिस्टिक्स, सांख्यिकी का अभ्यास किया जाता है। ज्यादातर प्रतिक्षासूची वातानुकूलित बुकिंग्ज में रहती है। इससे रेल प्रशासन यह समझती है, वातानुकूलित कोच/आसनोंकी माँग ज्यादा है। दूसरा कारण यात्री सुरक्षा के मद्देनजर है। LHB गाड़ियोंकी गति उच्चतम क्षमता 130 किलोमीटर प्रति घण्टे से चलाई जा रही है। जिसमे यात्री की कम्फर्ट लेवल ग़ैरवातानुकूल कोचोंमे कम रहती है। हालाँकि इस तरह कारण रेल प्रशासन की ओरसे कभी सामने नही आये है। रेल प्रशासन केवल रैक मानकीकरण का ही कारण सामने रखता है। मानकीकरण के कारण उन्हें रैक को बदलने में कोई परेशानी न हो।
कुल मिलाकर कम अन्तर की रेल यात्री करनेवाले यात्री को इन गैर-वातानुकूलित कोचों की कमी होने से अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। रेल प्रशासन को चाहिए, कुछ खण्डोंमे मेमू/डेमू/इंटरसिटी गाड़ियाँ बढाने का प्रयास करना चाहिए।
