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अरे! हमारी रेल्वे में ऐसा भी होता है?☺️😊

29 जुलाई 2023, शनिवार, अधिक श्रावण, शुक्ल पक्ष, एकादशी, विक्रम संवत 2080

भारतीय रेल में कुछ ऐसी घटनाएं भी हो जाती है, की आम आदमी चौंक जाता है, आश्चर्यचकित हो जाता है, अरे! ऐसे भी हो सकता है?

फिलहाल पूरे रेल नेटवर्क पर कहीं न कहीं तकनीकी कार्य चल रहे है। कहीं रेल दोहरीकरण, तिहरीकरण चल रहा है तो कहीं रेल मार्ग को विद्युतीकरण से अद्ययावत किया जा रहा है। इन कार्योंके चलते रेल विभाग कुछ समय के लिए रेल मार्ग ब्लॉक करती है और यात्री गाड़ियोंको रद्द/आँशिक रद्द या मार्ग परिवर्तन कर चलाती है। इन्ही कारणोंसे अनेक गाड़ियाँ अपने नियोजित समयसारणी से कई घण्टों देरी से चलती है। 2,4,6 घण्टोंकी देरी यात्री को समझ आती है, मगर 24 घण्टे, 30 घण्टे? 😊 दपुमरे पर आज़ाद हिंद एक्सप्रेस यह कारनामा करती है। दरअसल दपुमरे क्षेत्र में नागपुर से बिलासपुर के बीच अलग अलग खण्डोंमे रेल तिहरीकरण कार्य बड़े ज़ोरोंसे चल रहा है। जब जब यह तीसरी लाइन, पहले बिछी हुई मुख्य दो लाइनोंसे जोड़ी जाती है, सम्बंधित विभाग रेल ब्लॉक करता है और यात्री गाड़ियोंका ‘शेड्यूल’ पूरी तरह अस्तव्यस्त हो जाता है। चूँकि आज़ाद हिंद एक्सप्रेस बारों माह ‘फुल्ली बुक्ड’ अवस्था मे रहती है, उसे रद्द करना बहुत मुश्किल हो जाता है, और उसे देरी से ही सही चलाया जाता है।

यह तो हुवा तकनीकी कारणोंसे देरी की अवस्था, जो की विभाग को पता रहती है, पूर्वनियोजित रहती है। मगर कुछ अवांछित कारणोंसे भी यात्री गाड़ियाँ अपनी समयसारणी बिगाड़ देती है। वह है, अतिवृष्टि से ट्रैक की गिट्टी खिसकना, पटरियों पर चट्टानों का आ जाना या किसी ‘फ्रेटर’ मालगाड़ी का ‘फ़ेल’ होना। ऐसे में रेल विभाग को आननफानन में निर्णय लेना पड़ता है, और यात्री गाड़ियाँ जो अपने प्रारम्भिक स्टेशन से यात्रा शुरू कर चुकी है, उन्हें किसी तरह, मार्ग परिवर्तन कर या डिटेन, नियंत्रित कर गन्तव्योंतक पहुंचाने का भरकस प्रयास किया जाता है। ऐसी अवस्था मे जो यात्री गाड़ी के आखिरी स्टेशन तक यात्रा कर रहा है, वह तो देर-सवेर अपने स्टेशन पहुंच जाता है। दिक्कत ऐसे यात्रिओंकी होती है, जिन्हें ऐसे स्टेशनोंपर उतरना या चढ़ना है जो स्टेशन मार्ग परिवर्तन के चलते ‘स्किप्ड’ अर्थात मार्ग परिवर्तन के चलते अब गाड़ी ‘टच’ नहीं करेंगी, भयंकर हो जाती है। उन बेचारों को सूझता ही नही की गाड़ी में कैसे चढ़ेंगे या कहाँ उतर अपने घर पहुंचेंगे। 😢

खैर, हम बता रहे थे, ऐसे ही एक मार्ग परिवर्तन वाली गाड़ी की विचित्र कथा। वास्को से हज़रत निजामुद्दीन के बीच चलनेवाली गोवा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, हुब्बाली जंक्शन से आगे भूस्खलन की वजह से मार्ग परिवर्तन कर चलाई जा रही थी। यह गाड़ी नियमित मार्ग लौंडा, मिरज, पुणे की बजाय कोंकण रेलवे के मडगांव, पनवेल, कल्याण होकर मनमाड़ आने वाली थी और मनमाड़ से आगे अपने नियमित मार्ग से हज़रत निजामुद्दीन को जानेवाली थी। चूँकि गाड़ी मार्ग परिवर्तन कर चल रही थी, उसे मनमाड़ तक किसी भी स्टेशनपर स्टोपेजेस लेने का कोई टाइमटेबल नही था। उसे अपने शेड्यूल को मनमाड़ स्टेशन से फॉलो करना था, जो सुबह 10:30 को पहुंचना और 10:35 को निकलना था। गाड़ी अपने ‘अनशेड्यूल्ड’ रन में धड़धड़ाते सुबह 9:00 बजे ही मनमाड़ पहुंच गई और पता नहीं रेल्वे कण्ट्रोल विभाग ने क्या सोचा, क्या समझा 😊 और गोवा एक्सप्रेस को 9:05 पर मनमाड़ से भुसावल की ओर रवाना कर दिया। हड़कंप तो तब मचा, जब मनमाड़ से सवार होनेवाले 45 यात्री गाड़ी के नियोजित समयानुसार सुबह 10:00 बजे स्टेशनपर पहुंचे। गाड़ी जा चुकी है, 90 मिनट पहले ही रवाना हो चुकी है यह सुन भौचक्के रह गए।

अब शुरू हुवा, डैमेज़ कंट्रोल! पीछे से भुसावल की ओर जानेवाली गीतांजलि एक्सप्रेस मनमाड़ को पहुंचने को थी। हालाँकि इस गाड़ी का मनमाड़ स्टेशनपर शेड्यूल्ड स्टोपेज नहीं है, उसे रोका गया और गोवा एक्सप्रेस से बिछड़े यात्रिओंको उसमे बिठाकर रवाना किया गया। गोवा एक्सप्रेस का मनमाड़ से चलने के बाद सीधे जलगांव स्टोपेज है, उसे गीतांजलि एक्सप्रेस जलगाँव पहुंचने तक रोका रखने की सूचनाएं दी गयी, और इस तरह बिछडोंका मेल साधा गया।

तो भईया, रेल में भी रेलमपेल हो सकता है।😊😊

लेख में उधृत तस्वीरों के लिए हम indiarailinfo.com के आभारी है।

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