26 अगस्त 2023, शनिवार, निज श्रावण, शुक्ल पक्ष, दशमी, विक्रम संवत 2080
मित्रों, ‘रेल दुनिया’ एक वेब फॉर्म में वर्ष 2018 से आपकी सेवा में उपलब्ध है। शनै शनै इसके वह्यूज़ और सपोर्टर बढ़ते गए और इस कैलेंडर वर्ष में, जनवरी 2023 से अगस्त तक ही हमने पाँच लाख वह्यूज़ के आंकड़े को छू लिया है। यह सारा श्रेय हमारे पाठकोंके असीम प्यार और सपोर्ट को जाता है। इस अवसरपर कुछ ‘मन की बातें’ आज हम भी आपसे करना चाहते है।

आप ‘रेल दुनिया’ के पोस्ट, विविध जानकारी पूर्ण लेखोंके ज़रिए, वर्ष 2018 से, बीते पाँच वर्षोँसे देखते आ रहे है।
हम हमेशा प्रयत्न करते है, जो भी रेल सम्बन्धी जानकारी अपने लेखोंके जरिए आप तक पहुंचती है, सटीक, सच और स्पष्ट रहे। इन पाँच वर्षोंमें हमारे साथ कई ऐसे मौके आए, सोशल मीडिया के वह्यूज़ में तत्काल स्पाईक आए, जबरदस्त इज़ाफ़ा हो इसलिए औरों की तरह गोलमोल भाषा का प्रयोग कर, पाठकोंको भ्रम में रख वेबसाइट पर आने के लिए मजबूर करना पड़े, लेकिन हमने इन मौकों का कभी नाजायज़ लाभ नहीं उठाया। हमेशा तथ्योंको निर्विवाद सबूतोंके साथ ही पेश किया।
इस यात्रा में हमे कई मित्र, साथी मिले, जिन्होंने हमारे लेखनी में भरकस योगदान दिया, ताकि पाठकों तक हमेशा सच पहुंचे और तथ्योंके साथ पहुंचे।
मित्रों, ‘वर्ड प्रेस’ यह प्लेटफार्म जिसके जरिए हम आपके सामने आते है, उन्होंने एक योजना बनाई है। जब हमारी वेबसाइट पर पहुंचते है तो शीर्षक के ऊपर एक विण्डो प्रकट होती है, जिसमे लिखा है, “आप रेल दुनिया वेबसाइट का आनन्द ले रहे है? तो ‘वर्ड प्रेस’ के वार्षिक प्लान को आप इन वेबसाइट के लेखक को गिफ़्ट कर सकते है।” 😁

ग़ौरतलब यह है, यह पूरी प्लानिंग, योजना ‘वर्ड प्रेस’ की ही है। उन्होंने हमारा आपतक पहुंचने का खर्च आप के सामने रख दिया है।
आय – व्यय की जोड़तोड़, उधेड़बुन छोड़िए हम रेल के दीवाने है और आपसे हररोज वाली मुलाक़ात भी उसी दीवानगी की वजहों से होती रहती है। हम तो चाहते है, यह अटूट नाता हमेशा चलता रहे, चाहे जो भी लागत लगती है, हम आपके लिए हमेशा ही ‘फ़्री’, मुक्त-हस्त से जानकारियाँ प्रस्तुत करते रहें। फ़ीस कभी आप और हमारे बीच बाधा न बनें।
वैसे भी हमारा काम लेख और विचारों से है, बाकी वाणिज्यिक लेनदेन के लिए कई और है। 😁 बस! हम और आप निर्बाध रूप से रेल की पहेलियों को सुलझाते रहे, समझते रहे और आनन्द लेते रहे।
शेष शुभ!
