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रेल यात्रिओंकी अपेक्षाएँ, जिसका कोई अन्त नही!

01 फरवरी 2024, गुरुवार, माघ, कृष्ण पक्ष, षष्टी, विक्रम संवत 2080

आज बजट आनेवाला है और तमाम आशाएँ, अपेक्षाएँ संजोए रेल यात्री यह सुनने, जानने के लिए बेताब है, उनकी झोली किन वादों से भरी जानी है। चूँकि आम बजट के साथ ही रेल बजट के आँकड़े जोड़ दिए गए है, अलग से घोषणाएं नही होती तो विस्तृत जानकारी के लिए उचित प्रतीक्षा करनी है।

शीर्षक में लिखा है, अपेक्षाओं का अन्त नही, यह त्रिकालबाधित सत्य है की कभी भी किसी भी अपेक्षा का सिरा समाप्त नही होता। रेल यातायात में यात्री संख्या बढ़ती ही जा रही है और संसाधनों की वृद्धि उस प्रकार, उस मात्रा में नही बढ़ी। खैर, बीते कुछ वर्षों में इस दिशा में काफी अच्छी पहल या बढ़त दिखाई दी है। देश के दो प्रमुख रेल मार्ग, दिल्ली – हावड़ा और दिल्ली – मुम्बई पूर्णतः समर्पित मालगाड़ी गलियारों (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) कार्यान्वित हो जाएंगे, निश्चित ही यात्री गाड़ियोंको उसका फायदा मिलेगा।

यात्री गाड़ियोंकी गतिसीमा बढाई जा रही है, वन्देभारत जैसे ट्रेन सेट तेजी से भारतीय रेल के यात्री यातायात बेड़े में अपनी जगह बना रहे है। यह बात बिल्कुल सच है, आम यात्री के लिए ऐसी प्रीमियम गाड़ियाँ ‘यूजर फ्रेंडली’ अर्थात उनके बजट अनुकूल नही है मगर तेज परिवहन के लिए यह गाड़ियाँ उपयुक्त है और जब हम प्रीमियम सेवा, प्रायोरिटी, अग्रक्रम चाहते है तो उसके लिए उचित मूल्य की माँग, कोई गलत बात नही होनी चाहिए।कहा गया है, वन्देभारत सीरीज में लगभग 500 गाड़ियाँ चलनेवाली है और देश आज जिस विकास दर पर अपनी बढ़त बनाए जा रहा है, सीधी सी बात है, ऐसी यातायात व्यवस्था की माँग बढ़ती ही रहेगी।

रेल विभाग से यात्री उचित सुविधाओं की चाहत रखता है। चाहता है, उसे यथास्थित जगह मिले, गाड़ियाँ समयपर चले और उसके लिए उसकी ज्यादा मूल्य चुकाने की मानसिकता भी बनी है। तब ही तो प्रीमियम गाड़ियाँ और सर्वसाधारण गाड़ियोंमें प्रीमियम वर्ग की टिकटों की बुकिंग्ज बढ़ी है। कमसे कम आज, बजट घोषणाओं के सामने, बहुत सारी टेक्निकल बाते करने का कोई अर्थ नही है। केवल यात्रिओंकी सर्वसाधारण आशा, अपेक्षा है, रेल यात्री सेवाएं बढ़े, सम्पर्कता बेहतर हो, गाड़ियाँ अपना समयपालन यथास्थित करें और क्या?

वैसे, विस्तृत सूचनाएं आने के बाद हम सारे मामलोंपर चर्चा तो करेंगे ही। 😊

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