02 अप्रैल 2024, मंगलवार, चैत्र, कृष्ण पक्ष, अष्टमी, विक्रम संवत 2080
आजकल चुनावी दौर में विधानोंको एक अलग दृष्टिकोण से जनमानस के सामने लाया जाता है। इससे आम जनता के मन किंतु निर्माण होता है। धीरे धीरे एक छोटे से किन्तु को सहलाकर, सुलझाकर उसका बड़ा मुद्दा बनाया जाता है। खैर, हम हमारे रेल वाले विषय की ओर रूख़ करते है। विषय है, रेल सेवा में वरिष्ठ नागरिकोंको यात्री किरायोंमे दी जाने वाली रियायत।
यूँ तो 01 मई 1989 से पहले रेल किरायोंमें वरिष्ठ नागरिकोंको किसी भी रेल किराए में कोई रियायत नही मिलती थी। इसे 01 मई 1989 से, मेल/एक्सप्रेस के द्वितीय श्रेणी मूल किरायोंका आधार बनाकर, उन किरायोंमे 25% छूट का प्रावधान किया गया। यह छूट अपनी उम्र के 65 या 65 वर्ष से आगे के सभी पुरुषों, स्त्रियों के लिए लागू थी। आरक्षण शुल्क वगैरा अलग लागू रहेंगे। हाँ, एक और शर्त थी, यात्रा 500 किलोमीटर से ज्यादा होना आवश्यक थी। रियायत केवल द्वितीय श्रेणी, ग़ैरवातानुकूलित वर्ग और मेल/एक्सप्रेस में ही उपलब्ध थी।
वर्ष बितते गए और राजनीतिक कारणोंसे, इन रियायतोंका विस्तार किया जाने लगा और शर्ते हटती चली गई। वर्ष 1999 में यह रियायत भारतीय रेल के सभी वर्गों और राजधानी, शताब्दी सहित सारी गाड़ियोंमे उपलब्ध करा दी गई। वर्ष 2001 में वरिष्ठ नागरिक किराया रियायत के लिए पुरुष की उम्र 65 या उससे ज्यादा और महिला की उम्र 60 या उससे ज्यादा तय की गई और साथ ही छूट का प्रावधान 25% से बढ़कर 30% हो गया।
मित्रों, आगे राजनीति में गठबन्धन के सरकारोंके राज आए और छूट और व्यापक की गई। वरिष्ठ नागरिकोंको अब रेलवे के सभी वर्ग और गाड़ियोंमे 50% की छूट और महिलाओं की उम्र 60 की जगह 58 कर दी गई।
यह सारी रियायतोंकी व्यवस्था संक्रमण आने तक जारी थी। संक्रमण काल मे सारी यात्री गाड़ियाँ बन्द की गई और उसके साथ ही यह वरिष्ठ नागरिकोंकी रियायत भी बन्द कर दी गयी। तब यह तर्क दिया गया था, वरिष्ठ नागरिकोंको किराया रियायत देकर यात्रा करने के लिए उत्तेजित नही करना है। गाड़ियाँ तो शुरू हो गई मगर वरिष्ठ नागरिक रियायत शुरू नही की गई। मगर एक प्रावधान यथावत जारी रहा, वरिष्ठ नागरिकोंके लिए निचली बर्थ गाडीके तत्काल आरक्षण खुलने तक उपलब्ध रखी गई। अर्थात यह योजना पहले आओ, पहले पाओ तत्व पर थी और जब तक बुक नही हो जाती तब तक उपलब्ध रहती थी।
आज की अवस्था मे, सोशल मीडिया में जब ‘भारतीय रेल ने वरिष्ठ नागरिक रियायत बन्द कर पाँच हजार करोड़ कमाए’ ऐसी खबरें वायरल की जाती है, तब आश्चर्य होता है। एक तरफ रेल विभाग यात्रिओंको शून्य मूल्य पर कई सुविधाओं को मुहैया कराता है। प्लेटफार्म पर पहुंचने के लिए रैम्प, लिफ्ट, एस्केलेटर, बैठने के लिए व्यवस्था, वेदर शेड्स, पंखे, पीने के लिए शीतल जल इसके अलावा पानी के नल, शौचालय इत्यादि व्यवस्था की जाती है। बड़े स्टेशनोंपर इन्ही व्यवस्थाओंका प्रीमियम वर्जन अधिमूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है। यही सारी व्यवस्था राज्य परिवहन निगम के बस अड्डों पर ना ही दिखाई देती है और न ही कोई उसके लिए आग्रह करता दिखता है।
सोशल मीडिया का छोड़िए, वहाँ बहुतेरे इंफ्लुएंसर्स रहते है और उनका काम ही है, विविध विषयोंको लेकर आम जनता को उत्तेजित करना। मगर आम जनता इन किराया रियायतोंके बारे में क्या सोचती है? मित्रों, यकीन मानिए, बहुत से वरिष्ठ नागरिक यह सोचते है, उन्हें व्यर्थ कृपा दृष्टि की आस नही है। यदि, रेल प्रशासन सोचती है, उन्होंने सभी टिकट धारकोंको ऐसे ही 56% मूल्य में टिकट देते रहना है ( ध्यान दें : रेलवे के टिकटों पर छपा वाक्य 😊) तो और अतिरिक्त रियायत की क्या आवश्यकता है? मगर वरिष्ठ नागरिकोंकी सुविधा, जैसे की ‘लोअर बर्थ कोटा’ बदस्तूर जारी रहना चाहिए। प्रत्येक बड़े स्टेशनपर लिफ्ट, एस्केलेटर, यथोचित मूल्य पर बैटरी कार आवश्यक रूप में उपलब्ध रखी जाए। रेलवे प्लेटफार्म पर जो भी व्यवस्था अर्थात वेदर शेड्स, पानी के नल, शौचालय, बैठक व्यवस्था, कोच इंडिकेटर, आवश्यक सहायता अद्यतन प्रकार से उपलब्ध रहें।
जाहिर सी बात है, देश की आबादी की औसत उम्र अब बढ़ती ही जा रही है और साथ ही साथ इस उम्र के यात्रिओंकी संख्या भी बढ़ती रहेगी। ऐसी स्थिति में वरिष्ठ नागरिक की यह अपेक्षा है, उन्हें रियायत की कृपा नही अपितु सुविधाओं का सहकार्य मिलना चाहिए।
