21 अप्रैल 2024, रविवार, चैत्र, शुक्ल पक्ष, त्रयोदशी, विक्रम संवत 2081
“भारतीय रेल की आरक्षण व्यवस्था पतन के बिल्कुल कगार पर खड़ी है।” यह बयान बहुत नाट्यमय लग रहा हो, मगर यह किसी हद तक सच है। महीनों पहले बुक किया आरक्षित टिकट हो या मुँह मांगा दाम चुका कर लिया गया प्रीमियम तत्काल का आरक्षण हो, आपको अपनी सीट पर बिठाकर यात्रा करने की शाश्वती नही देता। कोच की यात्री क्षमता महज एक ढकोसला बनकर रह गया है।
इस ग्रीष्मकालीन छुटियोंमे केवल एक क्षेत्रीय रेलवे, पश्चिम रेलवे 2200 विशेष अतिरिक्त फेरों का नियोजन कर रहा है और इसी तरह अन्य क्षेत्रीय रेलवे भी यात्रिओंके लिए अतिरिक्त गाड़ियोंकी व्यवस्था कर रहे है। इस वर्ष ग्रीष्मकालीन विशेष गाड़ियोंके फेरोंकी कुल संख्या करीबन दस हजार तक पहुंच गई है। इसके बावजूद नियमित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंमे यात्रिओंका जुनून उन्हें उच्च वर्ग के कोचेस में अतिक्रमण करने को रोकने में असमर्थ हो रहा है।
रेल विभाग उसके काउंटर्स और UTS सिस्टम के जरिए प्रत्येक यात्री को उसकी माँग अनुसार टिकट देते जा रहा है। जिसका गाड़ियोंमे उपलब्ध अनारक्षित आसनों से कोई तालमेल नजर नही आता।
एक तरफ नियमित मेल/एक्सप्रेस की कोच संरचनामें पहले ही अनारक्षित कोच पर्याप्त नही थे और बचीखुची कसर रेल विभाग की ‘कोच संरचना मानकीकरण’ योजना ने पूरी कर दी। इस योजनाने नियमित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंमे अपर्याप्त अनारक्षित कोच की पूर्वपार संख्या को और सिमटा दिया। ऐसे भी ग़ैरवातानुकूलित स्लिपर कोच में कम अंतर यात्रा करनेवाले यात्री, काउंटर से खरीदे हुए और चार्टिंग के बाद प्रतिक्षासूची में कायम रहे चुके यात्री बेहिचक यात्रा कर जाते थे, अब तो रेल विभाग की रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर सुपर तत्काल व्यवस्था (?) कार्यरत है। टिकट चेकिंग दस्ते उन्हें प्लेटफॉर्म्स पर ही अनाधिकृत यात्रा शुरू करने से पहले ही दण्डित कर ‘पैनाल्टी रसीद के तौर पर, आरक्षित कोचों में यात्रा करने का अग्रिम परमिट पकड़ा देते है। यह यात्री भी स्लिपर कोचों में गाड़ी के प्रारम्भिक स्टेशनोंसे से ही “बोनाफाइड पैसेंजर” टिकट चेकिंग स्टाफ़ द्वारा ‘प्रमाणित प्रमाणपत्र’ पेनाल्टी रसीद लेकर जम जाते है। तातपर्य यह है, नियमित मेल/एक्सप्रेस के कुल स्लिपर समेत 7, 8 ग़ैरवातानुकूलित कोच अपने प्रारम्भिक स्टेशन से ही खचाखच भर जाते है। आगे के प्रत्येक स्टेशन पर अनारक्षित टिकट धारकोंकी यह कहानी दोहराई जाती है और गाड़ियोंमे यात्रिओंका हुजूम बढ़ते चला जाता है।
याद कीजिए, यह वहीं उत्तर भारतीय प्रवासी है, जो संक्रमण के फैलाव की रोकथाम के हेतु यात्री गाड़ियोंके बन्द किए जाने पर पैदल ही हजारों किलोमीटर की यात्रा के लिए निकल पड़े थे। आज जब गाड़ियाँ सामने खचाखच भरी दिख रही है तो कोच के टॉयलेट, पैसेज, वेस्टिब्यूल और दरवाजों में लटक कर यात्रा को अन्जाम तक पहुँचाने का जुनून रखते है। इतना भयंकर जुनून इन यात्रिओंपर सवार होता है, की इन्हें अपने जीवन तक की परवाह नही है तो उच्च वर्ग के कोचों में अनाधिकृत प्रवेश की क्या होगी? उच्च वर्ग के कोचेस में कोई एखाद दो अनाधिकृत यात्री पाए जाते तो उनसे ड्यूटी स्टाफ़ निपटने का प्रयत्न करेगा मगर 50, 100 यात्रिओंके हुजूम को यह वाणिज्यिक कर्मी अकेले किस तरह झेल पाए?
टिकट बुकिंग पैटर्न देखिए, आजकल यात्री भले ही लम्बी दूरी की यात्रा करने का इच्छुक हो और उसे उसके निर्धारित गन्तव्य का आरक्षण न मिल पाए तो वह जहाँ तक की आरक्षित टिकट मिल जाए (जॉइनिंग स्टेशन के खाली कोटे में) खरीद कर गाड़ी में चढ़ जाता है और बुक्ड स्टेशन पर जगह खाली करने मे आनाकानी करता है। जे उसने अपनी आरक्षित सीट छोड़ भी दी तो कोच नही छोड़ता, वही आसपास जमे रहता है। ऐसे यात्री भी गाड़ियोंमे भीड़ करते नजर आएंगे। अब रेल टिकट बुकिंग में यात्री की मंशा समझने की तकनीक तो है नही, के वह यह भी सोच ले, गन्तव्य स्टेशन पर यात्री अपने नए आए हुए यात्री के लिए जगह खाली नही करेगा?
रेल विभाग ने एक अरसे से अपना एमिनिटीज स्टाफ़ कम कर के बहुत बड़ी चूक कर दी है। पहले प्रत्येक आरक्षित कोच चाहे वह वातानुकूल हो या ग़ैरवातानुकूलित चल टिकट निरीक्षक TTE रहता ही था, जो प्रत्येक आरक्षित यात्री का लेखाजोखा रखता था। साथ ही अनाधिकृत अवैध यात्रिओंकी घुसपैठ को भी कड़ाई से रोके रखता था। धीरे धीरे रेल विभाग टिकट चेकिंग की मूल्यावर्धित आय के ऊँची छलांगे लगाते लक्ष्यों की ओर आकर्षित होता गया और आरक्षित यात्रिओंकी सारी सुख-सुविधाओं को उसने ताक पर रख दिया। अब पूर्ण 22 कोच की गाड़ियोंके 20 यात्री कोच में बमुश्किल 2 से 3 TTE, कन्डक्टर एमिनिटी स्टाफ़ की ड्यूटी पर होते है, जो अपना काम सुचारू रूप से कतई नही कर पाते।
दूसरा कारण है, यात्रिओंका हुजूम, जुनून। कोई इनको समझाए, प्रशासनिक कायदे, कानून आम जनता याने उनके स्वतः के हितों को सहेजने के लिए बने है। अनारक्षित कोच पर यात्री क्षमता जब 90/100 यात्री लिखी हो तो उसमे 500 यात्री क्यों सवार होना चाहते है? इस तरह तो दस हजार क्या लाख भर के फेरे चलवा दिए तब भी कम पड़ेंगे और यह रोडवेज नही है, इस पर मनमाने तरीके से गाड़ियाँ नही चल सकती, न ही यात्री लद सकते है। रेल परिवहन के अपने नियम, तरीके और क्षमताएं है।
शायद वह वक्त दूर नही, की अब रेल प्रशासन मिक्स्ड यात्री वर्ग की गाड़ियाँ चलाना बन्द कर दे। ग़ैरवातानुकूलित गाड़ियाँ अलग चलेंगी और वातानुकूल गाड़ियाँ बिल्कुल अलग। हवाई जहाज की तरह सम्पूर्ण वातानुकूल गाड़ियाँ 500/1000 किलोमीटर बिना रुके चलेगी और ग़ैरवातानुकूलित गाड़ियाँ अपने सभी नियमित स्टोपेजेस के साथ चलती रहेंगी। रेल विभाग की वन्दे सीरीज शायद इस तरह की गाड़ियोंके परिचालन का आगाज़ है। कम अंतर के लिए मेमू, वन्दे मेट्रो गाड़ियाँ आ गई है, आने जा रही है। जो 300 से कम किलोमीटर के गन्तव्य के यात्रिओंको साधेंगी।
लम्बी दूरी की, किसी भी तरह की गाड़ी चाहे वह ग़ैरवातानुकूलित अमृत भारत ट्रेन हो या सम्पूर्ण वातानुकूल वन्देभारत स्लिपर ट्रेन हो पूर्णतः आरक्षित ट्रेन रहें। द्वितीय श्रेणी के लम्बी दूरी के टिकटोंको 2S आरक्षित श्रेणी में बदला जाना चाहिए। फिलहाल चल रही, लम्बे अंतर की नियमित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंमे भी ARP किसी भी अग्रिम आरक्षण तिथि को आधार बनाकर अनारक्षित टिकट बुकिंग को पूर्णतः बन्द करना आवश्यक है।
300 किलोमीटर से ज्यादा अंतर का अनारक्षित टिकट और उसपर की जाने वाली 36, 48 घण्टों की रेल यात्रा अमानवीय श्रेणी में समझ, उसके आबंटन पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। काउंटर्स पर बेचे जानेवाले PRS प्रतिक्षासूची टिकट भी तत्काल स्वरूप में बन्द करना होगा। अवैध यात्रा करने के अग्रिम परमिटों की जो दुकानदारी रेलवे प्लेटफार्म पर चलाई जा रही है, उसे बन्द करना होगा। ट्रेनोंसे उतरने वाले यात्रिओंके टिकटोंकी की जाँच के साथ अब प्लेटफॉर्म्स पर अन्दर आने वाले सम्भावित यात्रिओंके टिकटोंकी जाँच करना होगा। आनेवाले 60 मिनटों में यदि कोई अनारक्षित ट्रेन न हो तो उस टिकटधारियों का प्लेटफॉर्म्स पर प्रवेश रोक दिया जाए।
रेल विभाग को यदि अपनी यात्री व्यवस्था में सुधार करना है तो इस तरह के कड़े निर्णय लेना ही होगा।
( आरक्षित कोचों में अवैध घुसपैठ के अनगिनत वीडियो, तस्वीरें सोशल मीडिया पर उपलब्ध है। कई तो हम हमारे ब्लॉग में पहले डाल भी चुके है और पाठक भी इन परिस्थितियों से भलीभाँति अवगत है। इसीलिए प्रस्तुत लेख में उन्हें जोड़ने के लिए, कटाक्ष से टाला गया है।)
