04 मई 2024, शनिवार, वैशाख, कृष्ण पक्ष, एकादशी, विक्रम संवत 2081
कल 01471 पुणे दानापुर विशेष पुणे से पूरे 25 घण्टे देरी से रवाना हुई। इतनी देर इन्तजार के बाद भी उसे गिनीचुनी ही सवारियों के साथ ही रवाना होना पड़ा ☺️ आम तौर पर लोकल ट्रांसपोर्टर गाड़ी के दरवाज़ों पर लटक लटक कर बोली लगाते रहते है। जा रही, जा रही, चलो, अब्बी छूट रही, बस दो सवारी ली के, चली…😊
भाई, जोक्स अपार्ट, भारतीय रेल नैशनल कैरियर है, देश का मान है। मगर.. इन दिनों हालात कुछ बदले बदले से है। अमूमन विशेष गाड़ियाँ अपने घोषित समयसारणी को लजाते हुए चार से चालीस घण्टों की देरी से चल रही है। अमूमन नियमित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियाँ जो दपुमरे या पंजाब राज्य से आ रही है, चार से आठ घण्टे देरी से चल रही है। पंजाब मे आन्दोलन कर्ता पटरियों पर बैठे है इसलिए गाड़ियाँ अपने निर्धारित मार्ग के बजाय जैसे-तैसे अन्य उपलब्ध मार्ग से चलाई जा रही है।
दपुमरे में क्या चल रहा है, या तो वह खुद बता सकते है या बोर्ड, मगर बोलता दोनों में से कोई नही। दपुमरे से एक गाड़ी चलती है, 12129/30 पुणे हावड़ा पुणे आज़ाद हिन्द। यह गाड़ी अपने समय बन्धन से पूर्णतः मुक्ति, आज़ादी पा चुकी है। एखाद बार आपको स्टेशनपर आज़ाद हिन्द गाड़ी समयपर दिख भी जाए तो पहले यह जाँच लीजिएगा, गाड़ी आज की ही है या कल, परसों की आज आई है। हैरत की बात यह है, गाड़ी में बैठी सवारियाँ ऐसे सहमी सी बैठी रहती है, जैसे गौना कर ससुराल जाती दुलहन, बिल्कुल ख़ामोश और बिना किसी शिकायतोंके। रेल विभाग दोनों दिशाओंके एक – एक फेरे रद्द कर के उन्हें समयसारणी में लाने का प्रयत्न क्यों नही करती? या एखाद अतिरिक्त रैक को व्यवस्था में जोड़ कर संचालन को सुचारू करने का प्रयत्न क्यों नही किया जाता? अनाकलनीय है।
रेल विभाग की गाड़ियोंके परिचालन सम्बन्धी अपनी परेशानियाँ, समस्याएं होंगी मगर जब गाड़ियोंके समयपालन की बात आती है, तो खासकर इन छुट्टियों के काल मे रेल विभाग हमेशा ही गड़बड़ा जाती है। क्यों नियंत्रित नही कर पाते है गाड़ियोंका परिचालन? यहाँ तक की यात्री जो थोड़ा बहुत रेल यात्रा कर चुका है, विशेष गाड़ियोंका विशेष स्वाद परख चुका है, दोबारा कभी इन गाड़ियोंमे यात्रा करना पसन्द नही करता और शायद इसीलिए नियमित गाड़ियोंमे भीड़ समाती नही है और विशेष गाड़ियोंके सीटों पर यात्री दिखाई नही देते।
इतने वर्षोँसे इन विशेष गाड़ियोंका परिचालन चलाया जा रहा है। रेल विभाग के पास सांख्यिकीय गणना है, क्या उन्हें समझकर विशेष गाड़ियोंके 120 दिन पहले नियोजन नही किया जा सकता? नियमित गाड़ियोंके साथ जब अग्रिम बुकिंग में विशेष गाड़ियाँ दिखाई देगी तो यात्री बड़ी सुगमता से अपनी यात्रा का नियोजन कर पाएगा। साथ ही रेल विभाग को भी अपने परिचालनिक व्यवस्थाओंका तालमेल यथास्थित करते आएगा।
रेल विभाग आपात स्थितियोंमे अपने सुव्यवस्थित नियोजन के लिए अपना नाम कमा चुकी है। संक्रमण काल में यात्रिओंका नियोजन, गाड़ियोंका परिचालन, स्टेशनोंकी चाकचौबंद व्यवस्था बहुत उपयुक्त रही। क्या ग्रीष्मकाल में यात्रिओंकी बेतहाशा भीड़ को पूर्वनियोजन कर नियंत्रित नही किया जा सकता? रेल विभाग ने इस विषय मे चिन्तन करने की आवश्यकता है। नही तो लाखों यात्रिओंकी भीड़ को सैकड़ों चेकिंग स्टाफ़ कभी भी यथास्थित सेवा नही दे पाएंगे। रेल यात्रा में, आरक्षित हो या अनारक्षित, यात्री केवल मजबूर और बेबस ही दिखाई देगा। रेल यात्राओंसे प्रसन्नता, आनन्द छोड़िए, किसी एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँच जाए और छुटकारा मिले यह भावना रह गई है।
