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अब ली जा रही सुध… रेल मंत्री ने अपना अंदाज़ बदला!

14 जून 2024, शुक्रवार, जेष्ठ, शुक्ल पक्ष, अष्टमी, विक्रम संवत 2081

भारतीय रेल के यात्री बीते दिनों, महीनों में किस अराजकता का सामना कर अपनी रेल यात्रा कर रहे थे, इसका अंदाजा भी नही लगाया जा सकता है। यात्री गाड़ियोंका असाधारण देरी से चलना, आरक्षित यानों में अवैध यात्रिओंकी बेख़ौफ़ घुसपैठ, अवैध विक्रेताओं की मनमर्ज़ी और क्या क्या! यूँ समझिए, सर्वसाधारण रेल यात्री की रेल यात्रा नर्क बन गई थी।

ट्वीटर पर शिकायतोंके रोजाना अम्बार लगे पड़े थे। पहले ट्वीटर पर महज यात्री सेवा में कमी की शिकायतें दिखाई देती थी। फलाँ कोच में साफसफाई की कमी है, इलेक्ट्रिक स्विच काम नही कर रहे या बेड रोल की शिकायतें पोस्ट की जाती थी मगर बीते 2 – 4 महीनोंमें आरक्षित यानों में यात्रिओंकी अवैध घुसपैठ की शिकायतें बहुत बढ़ गई। अवैध यात्रिओंने आरक्षित शयनयान स्लिपर कोच से आगे बढ़कर वातानुकूलित यानों में भी अपना कब्ज़ा जमाना शुरू कर दिया। वन्देभारत जैसी प्रीमियम, सम्पूर्ण आरक्षित गाड़ियोंको तक नही बख्शा। माना की चुनावी आचार संहिता लगी हुई थी मगर रेल प्रशासन ने तो अपने रोजमर्रा की ड्यूटी तो मुस्तैदी से निभानी थी न?

यात्री गाड़ियोंके समयपालन हेतु दी गई
स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन्स

खैर, अब रेल मंत्री अपने कार्यों पर लौट आए है और दुरुस्त आए है। सुना जा रहा है, रेल मंत्री ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों को उपरोक्त शिकायतोंके मद्देनजर आड़े हाथों लिया है, उनसे जवाब मांगा है। साथ ही परिचालन विभाग को स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन्स दी गई है, किसी भी यात्री गाड़ी को मालगाड़ियों के लिए साइड नही किया जाए। यात्री गाड़ियोंका समयपालन यथास्थित तरीके से होना चाहिए।

आम यात्रिओंकी रेल मंत्री से गुजारिश है, आरक्षित यानोंमें अवैध घुसपैठ पर भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। अवैध यात्रिओंपर जो दण्ड की रकम ₹250/- है, टिकटोंकी ब्लैक मार्केटियों की माँग से भी शायद बहुत कम होगी, जिस से अवैध यात्री आजकल सीधे रेल गाड़ियोंमे बिना टिकट या साधारण टिकट लेकर आरक्षित यानों में घुसपैठ करने लगे है। रेल प्रशासन को चाहिए की आरक्षित यानों में रेल प्रशासन की ओरसे लगाए गए एमिनिटीज, यात्री सेवा-सुविधा कर्मचारी उचित संख्या में हाज़िर रहे। रेल टिकटोंकी ब्लैक मार्केटिंग पर नकैल कसी जाए। यात्रा के दौरान, यात्रिओंके टिकटोंकी यथासंभव जाँच की जाए।

अवैध विक्रेताओं की जिम्मेदारी पूर्णतः रेल सुरक्षा बल के जिम्मे हो। स्थानीय वाणिज्यिक अधिकारी भी प्लेटफार्म स्थित खानपान स्टॉल पर आकस्मिक निरीक्षण करते रहें और उनके कर्मचारियों की भी ख़बर लेते रहना चाहिए। कई बार स्टॉल से ही अवैध कारोबार चलाए जाते लोग धराए गए है।

माननीयों को अब तक केवल विकास और विकास ही समझ आ रहा था। मगर विकास के साथ साथ पुनरावलोकन करना भी उतना ही आवश्यक है। केवल प्रीमियम गाड़ियाँ आपके विकास का आईना नही बन सकती। खास कर जब, लाखों आम यात्रिओंकी बुनियादी सुविधाओं में सेंध लग चुकी हो, उसके मौलिक अधिकारों की अनदेखी हो रही हो।