02 सितम्बर 2024, सोमवार, भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, अमावस्या, विक्रम संवत 2081
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए)
कैबिनेट ने 309 किलोमीटर लंबी नई लाइन परियोजना को मंजूरी दी : दो प्रमुख वाणिज्यिक केंद्रों – मुंबई और इंदौर के बीच सबसे छोटी रेल मार्ग की सम्पर्कता प्रदान करने के लिए नई रेल लाइन।

स्वीकृत परियोजना सबसे छोटे रेल मार्ग के माध्यम से वाणिज्यिक केंद्रों मुंबई और इंदौर को जोड़ने के अलावा, महाराष्ट्र के 2 जिलों और मध्य प्रदेश के 4 जिलों से गुजरते हुए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के असंबद्ध क्षेत्रों को भी जोड़ेगी।
परियोजना की कुल लागत 18,036 करोड़ रुपये है और यह 2028-29 तक पूरी हो जाएगी।
परियोजना निर्माण के दौरान लगभग 102 लाख मानव दिवसों का प्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने रेल मंत्रालय के तहत ₹ 18,036 करोड़ (लगभग) की नई रेलवे लाइन परियोजना को मंजूरी दे दी है। इंदौर और मनमाड के बीच प्रस्तावित नई लाइन सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और गतिशीलता में सुधार करेगी, जिससे भारतीय रेलवे को बेहतर दक्षता और सेवा विश्वसनीयता मिलेगी। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगी जिससे उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है और लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
यह परियोजना 2 राज्यों यानी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 6 जिलों को कवर करती है, जिससे भारतीय रेलवे का मौजूदा नेटवर्क लगभग 309 किलोमीटर बढ़ जाएगा।
इस परियोजना से 30 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे आकांक्षी जिला बड़वानी को रेल कनेक्टिविटी मिलेगी। नई लाइन परियोजना लगभग 1,000 गांव और करीब 30 लाख आबादी को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
यह परियोजना मध्य भारत के साथ देश के पश्चिमी/दक्षिण-पश्चिमी भाग के बीच छोटा मार्ग प्रदान करके क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगी। इससे श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सहित उज्जैन – इंदौर क्षेत्र के विभिन्न पर्यटक/धार्मिक स्थानों पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।
परियोजना जेएनपीए के गेटवे बंदरगाह और अन्य राज्य बंदरगाहों से पीथमपुर ऑटो क्लस्टर (90 बड़ी इकाइयां और 700 छोटे और मध्यम उद्योग) को सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह परियोजना मध्य प्रदेश के बाजरा उत्पादक जिलों और महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों को सीधी कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगी, जिससे देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में इसके वितरण में सुविधा होगी।
कृषि उत्पाद, उर्वरक, कंटेनर, लौह अयस्क, स्टील, सीमेंट, पीओएल आदि वस्तुओं के परिवहन के लिए यह एक आवश्यक मार्ग है। क्षमता वृद्धि कार्य के परिणामस्वरूप लगभग 26 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) का अतिरिक्त माल यातायात होगा। पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का माध्यम होने के कारण, रेलवे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात (18 करोड़ लीटर) को कम करने और CO2 उत्सर्जन (138 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगा, जो कि 5.5 करोड़ वृक्षारोपण के बराबर है।
प्रस्तुत लेख Pib.gov.in के सहयोग से
ज्ञात रहे, केंद्रीय कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट को पहली बार मंजूरी दी है। अब इसका पूरा खर्च केंद्र वहन करेगा। इससे पहले केवल थर्ड पार्टी में एमओयू होकर प्रेस कांफ्रेंस हुई थी और बजट में प्रोजेक्ट आया था। पहले प्रोजेक्ट 10000 करोड़ का था, जो अब फाइनल लोकेशन सर्वे के बाद 18000 करोड़ से ज्यादा हो गया है।

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