21 सितम्बर 2024, शनिवार, भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, चतुर्थी, विक्रम संवत 2081
वन्देभारत, भारतीय रेल की एक महत्वाकांक्षी प्रीमियम इंटरसिटी रेल गाड़ी, जो देश के महत्वपूर्ण शहरोंका एक दिन में फेरा करा देती है।
वन्देभारत एक्सप्रेस चलाने का उद्देश्य यही था की देश के ऐसे प्रमुख शहर जो बिजनेस हब है या औद्योगिक इकाइयों से समृद्ध है या फिर बड़े धार्मिक यात्राओंके लिए प्रसिद्ध है, इन्हें एक दिन में साधे। मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, बनारस, पुणे इत्यादि ऐसे शहर है, जहाँ तेज परिवहन की मांग रहती है। मुम्बई – अहमदाबाद के बीच कई यात्री गाड़ियाँ रोजाना चलती है, फिर भी वहाँपर यात्रिओंकी और गाड़ियोंके लिए माँग बढ़ती ही रहती है। वहीं अवस्था अन्य महानगरों में भी चलते आ रही है। वाराणसी, अयोध्या, कटरा यह धार्मिक स्थलों के लिए भी यात्रिओंकी तेज एवं आरामदायक गाड़ियोंकी माँग रहती है। इसीके मद्देनजर वन्देभारत गाड़ियाँ ऐसे मार्गोंपर सफल है, यात्रिओंसे लबालब होकर चल रही है।
निम्नलिखित चार्ट देखिए,

उपरोक्त चार्ट में वन्देभारत गाड़ियोंके वातानुकूलित चेयर कार के सीटों का लेखाजोखा लिया गया है। कुछ गाड़ियाँ हाल ही में अर्थात 16 सितम्बर से ही शुरू की गई है अतः उन ने यात्री प्रतिक्रियाओं का असर दिखने के लिए कुछ अवसर लग सकता है।
भुबनेश्वर – विशाखापट्टनम, टाटानगर – ब्रम्हपुर, रीवा – भोपाल, कलबुर्गी – बेंगलुरु, उदयपुर – आगरा / जयपुर, दुर्ग – विशाखापट्टनम, नागपुर – सिकंदराबाद ई. कुछ ऐसी वन्देभारत गाड़ियाँ है, जिनमे यात्रिओंकी प्रतिक्रिया निराशाजनक है। रेल प्रशासन को आवश्यकता है, की जिन वन्देभारत गाड़ियोंमे पचास प्रतिशत से भी कम यात्री यात्रा कर रहे है तो उन गाड़ियोंका अभ्यास किया जाए, उनकी समयसारणी में, टर्मिनल स्टेशन में बदलाव कर कुछ फर्क पड़ सकता है, या उस मार्ग के लिए वन्देभारत जैसी प्रीमियम गाड़ी की आवश्यकता ही नही है यह देखा जाना चाहिए।
कुछ मार्ग ऐसे भी है, जहाँ वन्देभारत गाड़ियोंमे यात्रिओंकी प्रतिक्रिया उस्फूर्त है, गाड़ियाँ बिल्कुल फुल चल रही है। ऐसे मार्ग पर वन्देभारत गाड़ियोंके कोच बढाकर या अतिरिक्त गाड़ी चलाकर ज्यादा यात्रिओंकी व्यवस्था की जा सकती है। वाराणसी – दिल्ली और मुम्बई – अहमदाबाद के बीच यह प्रयोग सफल हुवा है। साथ ही इन्दौर – भोपाल वन्देभारत को नागपुर तक आगे बढ़ाकर यात्री सुविधा और संख्या में बढ़ोतरी मिली है। उदयपुर – जयपुर वन्देभारत को आगरा तक बढ़ाया गया है।
दरअसल किसी एक वन्देभारत जैसी प्रीमियम गाड़ी को चलाने के लिए उसी मार्ग की अन्य मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंकी समयसारणी को हिलाया जाता है। प्रीमियम गाड़ी है, तो उसे अन्य यात्री गाड़ियोंके मुकाबले परिचालनिक प्राधान्य भी दिया जाता है। एक तरफ देश मे उन्नत शिक्षा, औद्योगिकरण के चलते गांवों, छोटे शहरोंसे महानगरों की ओर यात्रिओंकी आवाजाही बढ़ रही है। लेकिन सभी यात्री प्रीमियम गाड़ियोंमे यात्रा नही कर सकते। महंगे किरायों और कम स्टोपेजेस के चलते वन्देभारत जैसी गाड़ियाँ आम यात्रिओंके लिए किसी उपयोग की नही। उन्हें डेमू, मेमू, इंटरसिटी या हाल ही में अहमदाबाद – भुज के बीच शुरू की गई वन्दे मेट्रो जैसे गाड़ियोंकी आवश्यकता है। ऐसी गाड़ियाँ, रोजगार पर पहुंचने वाले आम जनता के लिए उपयुक्त रह सकती है।
हालाँकि रेल प्रशासन वन्देभारत गाड़ियोंमे यात्रिओंकी संख्या बढ़े इसलिए प्रयास कर रही है। मगर साथ मे यह भी हो, जहाँ जिस तरह के व्यवस्था की माँग है, वह मिल जाए तो बेहतर है, अन्यथा केवल राजनीतिक माँग के चलते शुरू की गई इन प्रीमियम गाड़ियोंकी यात्री-रहित चलकर भद न बजे।
