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दुर्भाग्यपूर्ण हादसा : बान्द्रा टर्मिनल स्टेशन पर यात्रिओंकी भगदड़; नौ यात्री घायल, दो गम्भीर

27 अक्टूबर 2024, रविवार, कार्तिक, कृष्ण पक्ष, एकादशी, विक्रम संवत 2081

दिनांक 27 अक्टूबर 2024, समय सुबह 2:45, बान्द्रा टर्मिनस रेलवे स्टेशन। 22921 बान्द्रा टर्मिनस गोरखपुर अंत्योदय (सभी अनारक्षित कोच) साप्ताहिक एक्सप्रेस अपने निर्धारित प्रस्थान समय 5:10 को रवाना होने के लिए सिद्ध हो रही थी। गाड़ी का खाली रैक, प्लेटफार्म क्रमांक एक पर लगने के लिए रेलवे यार्ड से निकलकर बस प्लेटफार्म पर बैक हो ही रहा था की हजारों यात्रिओंकी भीड़ जो बीती रात से गाड़ी में सवार होने की प्रतीक्षा कर रही थी, उमड़ पड़ी। गाड़ी के सभी दरवाजे, खिड़कियाँ बन्द अवस्था मे थे। मगर यात्रिओंकी भीड़ गाड़ी में चढ़ने के लिए बेताब थी। धक्कमपेल में कई यात्री प्लेटफार्म पर, पटरी पर गिर पड़े। खबर है, नौ यात्री इस भगदड़ में घायल हुए है, जिनमे दो की हालत गम्भीर है।

यह उधना रेलवे स्टेशन का दृश्य है। अमूमन त्यौहारों, छुट्टियों के दौरान महानगरों के सभी रेलवे टर्मिनल स्टेशन इसी तरह यात्री भीड़ से पटे रहते है।

मित्रों, कोई भी हादसे लापरवाही की वजह से होते है। दिवाली, छट पूजा की भीड़ रेलवे स्टेशनों, यातायात व्यवस्था में समा नही पा रही है। रेल प्रशासन ने कई अतिरिक्त गाड़ियोंका नियोजन किया है, उनको व्यापक प्रसिद्धि भी दी गई है। फिरभी रेल यात्री नियमित गाड़ियोंमे यात्रा करना ज्यादा पसन्द करते है। त्यौहारों, छुट्टियों में रेल यातायात पर इस तरह की भीड़ होना स्वाभाविक है, प्रति वर्ष होती है। रेल प्रशासन इस बात के लिए कोई अग्रिम तैयारी या सुरक्षा के दृष्टिकोण से नियोजन क्यों नही कर पाती, यह एक गम्भीर प्रश्न है।

रेल प्रशासन किस तरह ऐसी आपदाओं से, हादसोंसे यात्रिओंको बचा सकता है, आइए समझते है,

रेल प्रशासन अपनी विशेष गाड़ियोंका नियोजन तकरीबन 30 से 45 दिनों पहले कर लेता है और उनके परिचालन की घोषणा भी कर देता है। सभी विशेष गाड़ियाँ अतिरिक्त किराया दर से चलाई जाती है। इन गाड़ियोंमे वातानुकूलित, ग़ैरवातानुकूलित, आरक्षित, अनारक्षित सभी तरह के यात्री कोचेस रहते है। अंत्योदय या जनसाधारण वर्ग की तरह सम्पूर्ण अनारक्षित विशेष गाड़ियाँ भी इन बेड़ों में चलाई जाती है। ज्ञात रहें, यह हादसा भी अनारक्षित गाड़ी, अंत्योदय एक्सप्रेस पर ही हुवा है। दरअसल यह अनारक्षित गाड़ियोंमे यात्री भीड़ का कुछ भी पूर्वानुमान नही निकाला जा सकता, बस यह समझ कर चलें की इसमे इतनी यात्री क्षमता है और इतने यात्री ही सवार होंगे। इधर विशेष गाड़ियोंमें अतिरिक्त किराए और अनियमित परिचालन की वजह से यात्री उसे प्राधान्य नही देते और नियमित गाड़ियोंका रुख करते है।

रेल प्रशासन को चाहिए, संक्रमण काल के दौरान जिस तरह सभी अनारक्षित वर्गों को बिना किसी अतिरिक्त किराया लिए, मात्र पंधरह रुपए आरक्षित शुल्क लगाकर यात्रिओंके आसनोंको सुनिश्चित किया था उसी तरह सभी विशेष गाड़ियोंमे एक सप्ताह पूर्व आरक्षण शुरू कर यात्रिओंकी व्यवस्था करना चाहिए।

रेलवे प्लेटफार्म पर केवल आरक्षित यात्री का ही प्रवेश सुनिश्चित करना चाहिए और भीड़ के दौरान प्लेटफार्म टिकट का आबंटन बन्द किया जाना चाहिए।

रेल प्रशासन अपनी पूर्वघोषित विशेष गाड़ियोंके अलावा भी अतिरिक्त गाड़ियोंकी घोषणा करता है। यदि विशेष गाड़ियोंको अग्रिम बुकिंग कर चलाया गया तो रेल प्रशासन को भी यात्री माँग का अंदाजा आएगा और उस प्रकार नियोजन करते आएगा।

यह सभी त्यौहार, छुट्टी विशेष गाड़ियाँ लगभग एकतरफा अत्याधिक भीड़ और दूसरी तरफा बिल्कुल खाली अवस्था मे चलती है। रेल विभाग चाहे तो खाली अवस्था मे लौटती गाड़ियोंको मार्ग में अतिरिक्त ठहराव या नियमित गाड़ियोंकी प्रतिक्षासूची से लिंक कर नियमित गाड़ियोंकी भीड़ का नियोजन कर सकती है।

यह अत्यंत आवश्यक है की सभी विशेष गाड़ियाँ अपनी समयसारणी अनुसार चलाई जाए, ताकि यात्री उन्हें नियमित गाड़ियोंमें जगह उपलब्ध न होनेपर अपनी यात्रा के लिए चुने।

विशेष गाड़ियाँ चलाने के लिए नियमित टर्मिनल स्टेशन की जगह, वह स्टेशन से होकर गुजरें ऐसे स्टेशनोंसे या उससे निकटतम स्टेशन से चलाया जाना चाहिए। इससे नियमित टर्मिनल स्टेशनोंपर यात्री भीड़ का दबाव कम होने में मदद मिलेगी।

थोड़ी यात्रिओंमें अनुशासन की भी कमी है, यह बात निश्चित है मगर अग्रिम आरक्षण से इस समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। रेल प्रशासन उचित नियोजन हेतु,  भीड़ भरे अवसरों पर सभी नियमित अनारक्षित गाड़ियों और नियमित मेल/एक्सप्रेस के अनारक्षित कोच में भी केवल अग्रिम आरक्षण की पाबंदी ला सकता है।

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