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रेल प्रशासन फिर एक बार ‘छुपी किराया वृद्धि’ की ओट में..

07 नवम्बर 2024, गुरुवार, कार्तिक, शुक्ल पक्ष, षष्टी, विक्रम संवत 2081

भारतीय रेल में पिछली किराया वृद्धि करीबन दस वर्ष पहले हुई थी। उसके बाद आज 2024 तक कोई भी सीधी रेल किराया वृद्धि नही की गई है। यह बात और है, रेल प्रशासन किराया तालिका के अलावा अन्य तरीकोंसे अतिरिक्त किराया बढ़ा ही देती है। जिसमे किराया तालिका वहीं के वहीं मगर किराए ज्यादा लागू होते है।

यह अन्य तरीके से किराया वृद्धि में उनके लिए सबसे सरल प्रक्रिया साधारण मेल/एक्सप्रेस की श्रेणी को बदल कर उसे सुपरफास्ट में बदलना या सवारी गाड़ी को एक्सप्रेस में बदलना। गौरतलब यह है, आजतक जितनी भी सवारी गाड़ियाँ एक्सप्रेस में बदली गई, उन में स्टोपेजेस उतने ही रहने के कारण एक्सप्रेस की ‘फिल’ कभी आई ही नही है।

01 जनवरी 2025 से नई समयसारणी दाखिल होने जा रही है और सुना जा रहा है, उस मे साधारण मेल/एक्सप्रेस से सुपरफास्ट एवं सवारी से मेल/एक्सप्रेस में बदलने वाली गाड़ियोंकी लम्बी सूची है। 11077/78 पुणे जम्मूतवी पुणे झेलम एक्सप्रेस, 11057/58 मुम्बई अमृतसर मुम्बई पठानकोट एक्सप्रेस, 15066/65 पनवेल गोरखपुर पनवेल, 11407/08 पुणे लखनऊ पुणे साप्ताहिक, 11079/80 लोकमान्य तिलक टर्मिनस गोरखपुर लोकमान्य तिलक टर्मिनस साप्ताहिक, 18237/38 कोरबा अमृतसर बिलासपुर छत्तीसगढ़, 11703/04 रीवा डॉ आंबेडकर नगर रीवा त्रिसाप्ताहिक इत्यादि सुपरफास्ट गाड़ियाँ बनने की सूची में नामजद है।

साधारण मेल/एक्सप्रेस से सुपरफास्ट बनाए जानेपर इन गाड़ियोंमे साधारण श्रेणी के किरायोंमें ₹15/-, स्लिपर क्लास में ₹30/-, वातानुकूलित थ्री टियर, वातानुकूलित टू टियर, वातानुकूलित चेयर कर में ₹45/- और वातानुकूलित प्रथम में ₹75/- प्रति सवारी सीधे जुड़ जाएंगे। लम्बी दूरी के सवारियों को अनुपात में यह वृद्धि कोई ज्यादा मायने नही रखेगी मगर कम अंतर के यात्रिओंको यह अतिरिक्त किराया और वह भी किसी अलग अनुभव अर्थात एक्सप्रेस से सुपरफास्ट में यात्रा करना बहुत खलेगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, भारतीय रेल का सुपरफास्ट श्रेणी का मानदंड। मात्र 55 kmph औसत से अपनी यात्रा पूर्ण करनेवाली गाड़ी सुपरफास्ट श्रेणी में ली जा सकती है। उपरोक्त दर्शाई गई गाड़ियाँ औसत 50 से 54kmph गति से अपनी यात्रा पूर्ण कर रही है। जो भी अतिरिक्त परिचालन समय दिया गया है, उसमे मामूली फेरफार किया जाए तो यह गाड़ियाँ सुपरफास्ट के मानदंड में सम्मिलित की जा सकेगी। जहाँ रेल विभाग अपने ट्रैकों की गतिसीमाएँ 130, 160 kmph कर रही है, गाड़ियोंके रैक उनके अनुकूल याने LHB युक्त किए जा रहे है और सवारी गाड़ियोंसे लेकर अमूमन सभी यात्री गाड़ियाँ 100, 130 की गति से दौड़ रही है। ऐसी अवस्था में रेल विभाग चाहे तो सुपरफास्ट का मानदंड ऊँचा कर सकती है।

एक तरफ रेल विभाग अपनी आय से जूझ रहा है और दूसरी ओर रेल यात्री किराया बढ़ाने के निर्णय को राजनीति आगे जाने नही देती। दूसरी तरफ उच्च श्रेणियों के किरायोंपर हवाई मार्ग के किरायोंका भी दबाव रहता है। हालात यह है, सुपरफास्ट चार्ज, विशेष गाड़ियोंमे अतिरिक्त किराए, सवारी गाड़ियोंका मेल/एक्सप्रेस में बदलना, आवश्यक डेमू/मेमू, इंटरसिटी गाड़ियोंके जगह महंगी प्रीमियम गाड़ियोंकी लॉन्चिंग यह सब एक तरह से किरायोंमें वॄद्धि के ही संकेत है। तत्काल, प्रीमियम तत्काल, किसी न किसी तरीके से यात्रिओंको वैसे भी अतिरिक्त किराया भुगतान करना पड़ता है। आम यात्री अब इस तरह तैयार हो चुका है, की उसे कमसे कम दस प्रतिशत किराया ज्यादा चुकाना पड़ सकें बशर्ते राजनीति न आड़ी आए।

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