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तौबा करें इन विशेष गाड़ियोंसे..

12 नवम्बर 2024, मंगलवार, कार्तिक, शुक्ल पक्ष, एकादशी, विक्रम संवत 2081

भारतीय रेल त्यौहारों, छुट्टियों में अमूमन सभी व्यस्त रेल मार्गोंपर यात्रिओंकी भीड़ देखते हुए विशेष गाड़ियोंका संचालन करती है। रेल प्रशासन के नियमानुसार सभी विशेष यात्री गाड़ियोंमे अतिरिक्त किराया दर लागू रहता है। यह अतिरिक्त किराया दर तत्काल रेट से लेकर किलोमीटर रिस्ट्रिक्शन्स तक हो सकता है। किलोमीटर रिस्ट्रक्शन्स मतलब कम अन्तर के यात्री को भी निर्धारित अन्तर का किराया देना होगा। गौरतलब यह है, विशेष गाड़ियोंके द्वितीय साधारण वर्ग की टिकिटोंमें केवल सुपरफास्ट सरचार्ज के अलावा अतिरिक्त किरायोंका ज्यादातर दबाव नही होता।

अब मज़े की बात बताऊँ, यह विशेष गाड़ियाँ रेल विभाग के नियमित परिचालन में अतिरिक्त ही रहती है और इनकी प्राथमिकता न के बराबर रहती है। समझने की बात यह है, इनकी समयसारणी के हिसाब में यह गाड़ियाँ भले ही इनके प्रारम्भिक स्टेशन से चल दे मगर मार्ग में कहाँ और कितना रोकी जाएगी, गन्तव्य तक कब पहुँचेंगी इस पर मार्ग पर परिचालनिक दबाव कितना है इस पर निर्भर है। युँ समझिए, आपकी विशेष गाड़ी में भले ही सुपरफास्ट का टैग लगा हो, मार्ग की नियमित सवारी गाड़ी, मालगाड़ी भी उस पर भारी है। उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी, विशेष गाड़ी को नही।

आजकल तो इन विशेष गाड़ियोंका परिचालन इस कदर बेपरवाह हुवा है, की उसे गंतव्य स्टेशन पर उसके रैक को लौटने के समयपर ही लिया जाता है, ताकि गन्तव्य टर्मिनल स्टेशनोंपर उस विशेष गाड़ी को ज्यादा खड़ा न करना पड़े। उदाहरण के तौर पर 01924 वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी से हड़पसर सुपरफास्ट विशेष को लीजिए, यह गाड़ी झाँसी से शनिवार शाम 19:40 को निकलकर अगले दिन रविवार शाम 16:30 को हड़पसर पहुंचना निर्धारित थी और 01923 हड़पसर झाँसी रविवार शाम 19:30 को हड़पसर से रवाना होनी थी। तो 01924 को हड़पसर में स्विकार ही लगभग शाम आठ बजे करते है और वहीं से रैक पलटाकर 01923 बनाकर रवाना कर दिया जाता है। हम यहाँपर केवल एक उदाहरण दे रहे है मगर, कोई भी विशेष गाड़ी के परिचालनिक रिकॉर्ड को खंगालकर देख लीजिए, यह परिचालनिक पद्धति तमाम विशेष गाड़ियोंमे रेल प्रशासन अपना रहा है।

रेल विभाग इन विशेष गाड़ियोंके समयपालन पर बिलकुल भी गम्भीर नही है। जब यह गाड़ियाँ मार्ग में अपनी समयसारणी से परे हो जाती है तो लगातार पिछड़ते चली जाती है और एक ऐसे दुष्टचक्र में फँसती चली जाती है की इनकी परिचालन देरी अपने निर्धारित समयसारणी से दो-तीन दिन अर्थात 48 से 72 घण्टे देरी से भी चलते दिखाई देती है। रेल विभाग इन गाड़ियोंकी इतनी बेइंतहा देरी के बावजूद, गाड़ी के रैक को अपने डिपो में वापिस भेजना, यात्रिओंकी बुकिंग कायम रहना यह इसे चलाते रखने की मजबूरी है।

अब यात्रिओंकी परेशानी समझिए। जब यात्री अपनी टिकट बुकिंग हेतु वेबसाइट खंगालता है तो उसे नियमित गाड़ियोंके साथ यह अतिरिक्त किराया वाली विशेष गाड़ियाँ भी दिखाई देती है। इनकी समयसारणी और कम स्टोपेजेस की सूची भी उसे ललचाती है, की वह इसमे बुकिंग कर सकता है। मगर जो भुक्तभोगी यात्री इस मायाजाल से गुजर चुके है, विशेष गाड़ियोंके सुगम (?) परिचालन को भुगत चुके है, इससे से तौबा ही करते है। इन गाड़ियोंमे पेंट्रीकार नही रहती। साफसफाई के लिए कर्मचारी दल मौजूद नही रहने से कोच में गंदगी रहती है। नियमित टिकट जाँच दल नही रहता। पहले तो बेडरोल भी भी उपलब्ध नही कराए जाते थे, जिसे अब सुधारा गया है, वातानुकूलित यानों में बेडरोल उपलब्ध कराए जा रहे है। जिस यात्री को गन्तव्य स्टेशन पर निर्धारित समयपर पहुँचना है, तो वह इन विशेष गाड़ियोंकी समयसारणी पर कतई विश्वास न करें या एखाद दिन का मार्जिन बचाकर अपनी टिकट बनवाए।

हम रेल प्रशासन से अनुरोध करते है, विशेष गाड़ियोंकी समयसारणी इसी प्रकार से बनवाए जिस प्रकार वह चलाई जाती है। टर्मिनल स्टेशन पर जब वह यथार्थ में पहुंचाई जाती है, वह समय उसकी समयसारणी में डाला जाए तो हर्ज ही क्या है? कमसे कम यात्री के साथ धोखा तो नही होगा। इन गाड़ियोंको व्यर्थ ही सुपरफास्ट विशेष ऐसे विशेषणों से दूर रखा जाए। कई यात्री इन विशेष गाड़ियोंके अनियमित परिचालन के अभ्यस्त हो चुके है और जो भी यात्री पहली बार इनके मायाजाल में फँसता है, दोबारा कतई इन गाड़ियोंमे यात्रा नही करता। विशेष गाड़ियोंके परिचालन को निर्धारित समयसारणी के अनुसार चलाया जाए अन्यथा यात्री इन गाड़ियोंमें बुकिंग करने से तौबा करते नज़र आएंगे।

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