20 फरवरी 2025, गुरुवार, फाल्गुन, कृष्ण पक्ष, सप्तमी, विक्रम संवत 2081
मित्रों, आज हम आपका ध्यान एक बेहद अहम बात की ओर खींचना चाहते है, यात्री रेल गाड़ियोंके कोचेस में स्वच्छता गृह के ऊपर पानी की टँकी होती है, जिसमे जगह जगह वॉटरिंग अर्थात जल भरण होता है, वह कितना स्वास्थ्यकारक अवस्था मे भरा जाता है। यात्री गाड़ियोंके कूड़े-कचरे की क्या परिणीति होती है, यह तो हम सब लोग अमूमन समझते है। ग़ैरवातानुकूलित कोचों की खिड़कियों, दरवाजों से यात्री ऐसे ही कूड़ा उछाल देते है और वातानुकूलित कोच से उसके सफाई कर्मी। यह बात और है, रेल प्रशासन हर कोच में डस्ट बिन लगाए रखती है, जिसकी परवाह यात्री करें भी मगर सफाई कर्मी तो बिल्कुल ही चलती गाड़ी से फेंकने में विश्वास करते है। चलिए, मुख्य मुद्दे पर लौटते है। निम्नलिखित तस्वीरों को देखिए,





यह तस्वीरें पश्चिम रेल के मुख्यालय, मुम्बई के बांद्रा टर्मिनस स्टेशन की है। यहाँपर प रे की कई गाड़ियाँ टर्मिनेट होती है, अपनी यात्रा प्रारम्भ करती है। यहाँ से चलनेवाली प्रत्येक यात्री गाड़ी में वॉटरिंग किया जाता है। भई, वॉटरिंग किए जानेवाला जल भले ही अत्यंत शुद्ध हो, उन्नत शुद्धिकरण संयंत्र से इन नलियों में पहुँचता हो मगर नलियोंके रखरखाव की स्थिति देखिए, उसपर गौर कीजिए। क्या यह दृश्य देखने के बाद आप इस मानसिकता में रह पाएंगे की इस पानी से कुल्ला भी कर सकें?
मित्रों, यह सिर्फ बान्द्रा टर्मिनस की नहीं, अमूमन प्रत्येक वॉटरिंग स्टेशन की स्थिति हो सकती है। इन बिकट और अत्यंत अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रेल कर्मी या अन्य अस्थाई ठेके पर काम करनेवाले व्यक्ति जल भरण का काम करते है और यही जल रेल के द्वितीय श्रेणी नए दीनदयालु कोच में लगे वॉटर फिल्टर्स द्वारा पीने के लिए भी उपलब्ध है। यह अलग बात है, की कई दीनदयालु कोच के वॉटर फिल्टर्स अब नदारद है।
कुल मिलाकर यह कह सकते है, जो चीजें हम देखते नही, सोचते समझते नही वह कितनी अजीबोगरीब और असहनीय हो सकती है। रेल विभाग के हर बड़े जंक्शन पर कचरा व्यवस्थापन किया जाता है। गाड़ियोंकी साफसफाई के ठेके दिए रहते है। वातानुकूलित, ग़ैरवातानुकूलित कोचों, पेंट्रीकार के डस्ट बिन खाली किए जाते है। फिर भी स्टेशनोंपर, पटरियों पर, कचरा, कूड़ा, गन्दगी हो ही रही है। अब यह कहना सहज है, इस बेतरतीब कूड़े-कचरे और गन्दगी के लिए जिम्मेदार उन रेलोंमें यात्रा करनेवाले यात्री भी है, जो अपना कचरा युँ ही खिड़कियों से उछाल देते है और वह सफाई कर्मी भी जिन्हे कोच सफाई का जिम्मा सौंपा गया है और बजाए कूड़ेदान में कचरा भर कर स्टेशन ऑथोरिटी के सौंपे, चलती गाड़ी से बाहर ढकेल देते है।
