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व्यथाएँ बहुत है…

15 मई 2025, गुरुवार, जेष्ठ, कृष्ण पक्ष, तृतीया, विक्रम संवत 2082

जिस तरह हम जानते है, हाल ही में हमारे यहॉं युद्धजन्य परिस्थितियाँ थी और सैनिकों की छुट्टियाँ रद्द कर उन्हें तुरन्त लौटने को कहा गया। भारतीय रेल में आम तौर पर भी आसानी से टिकट कन्फ़र्म नही मिलता तो इमरजेंसी में क्या हाल होते होंगे?

सैनिकोंको जब तुरन्त लौटने के आदेश आए तो गाड़ियोंमे कहीं आरक्षण उपलब्ध नही था। हालत यह थी की कई जवान खड़े खड़े या एडजस्टमेंट का सहारा लेकर यात्रा करते नज़र आए। सोशल मीडिया पर इस सन्दर्भ में कई पोस्ट वायरल है। हर कोई सैनिकोंकी परेशानी समझ रहा था, उनके प्रति सन्मान भी जता रहा था। रेल प्रशासन को नसीहतें और चेकिंग स्टाफ़ को जम कर कोसा जा रहा था। चेकिंग स्टाफ़ क्या कर लेगा, यदि गाड़ी पहले ही ओवरबुक्ड चल रही हो? वह भी अपना फर्ज़ पर कर्तव्यपथ पर ही तो है, उन्हें भी पहले से आरक्षित यात्रिओंकी सुविधाओं का ध्यान रखना है।

खैर, रेल प्रशासन इस तरह की मूवमेंट के मद्देनजर कुछ विशेष गाड़ियोंका प्रबन्ध कर सकता था या कुछ गाड़ियोंके प्रारम्भिक स्टेशन से ही दो द्वितीय श्रेणी कोचों को सेना के लिए आरक्षित कराया जा सकता था। आम तौर पर सेना प्रशासन जब उनको मूवमेंट रहती है तब रेल विभाग से ऐसा आवेदन कर अपना नियोजन कराते है। चूँकि यह मास-मूवमेंट नही था और अलग अलग जगहों से अलग अलग सैनिक रवाना हो रहे थे इसीलिए यह परेशानियाँ ज्यादा दिखाई दी।

हालाँकि आकस्मिक कारणों में सबसे बेहतर उपाय यह है की रेल विभाग विशिष्ट गाड़ियोंके तत्काल कोटे को सैनिकोंके लिए ब्लॉक करें। किसी भी मेल/एक्सप्रेस श्रेणी की गाड़ी में आम तौर पर 30% बर्थ तत्काल कोटे के लिए रखी जाती है। केवल एक सप्ताह के लिए विशिष्ट गाड़ियोंके तत्काल कोटे फ़्रिज करने से यह समस्या का हल निकल सकता है। वैसे सामान्य नागरिक भी खुद से यह निर्णय ले सकता है, की वह उन दिनों में तत्काल टिकट सैनिकोंके लिए छोड़ दे।

भारतीय रेल के सामान्य यात्रिओंकी आरक्षण टिकट को लेकर व्यथाएं कम नही है। सामान्यतः सीधे तौर पर आरक्षण मिलता बेहद मुश्किल है। तत्काल सीटें मिनटों में बुक हो जाती है। सस्ते और सुरक्षित यातायात साधन के चलते यह बात लाजिमी भी है।

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