04 जून 2025, बुधवार, जेष्ठ, शुक्ल पक्ष, नवमी, विक्रम संवत 2082
इस सुपरफास्ट टेक्नोलॉजी के युग मे दुनिया मे कोई काम मुश्किल नही सिवाय एक के, और जिसपर हर कोई सहमत होगा वह है, भारतीय रेल का तत्काल टिकट बुक करना, वह भी खास कर के ई-टिकट प्रणाली पर। चूँकि PRS, टिकट खिड़की पर लम्बी लाइन में लगना सर्वसाधारण यात्री के बस का नही होता।
एक अग्रगण्य दैनिक में, देश के जानेमाने पैथोलॉजी कम्पनी के प्रमुख की ‘तत्काल बुकिंग’ पर ट्विटर पर की गई टिप्पणी पर लेख छपा है। वही बात लिखी गई है, बिल्कुल वही अनुभव उकेरा गया है, जिसे हम, आप और प्रत्येक यात्री आईआरसीटीसी के वेब या ऍप पर ई-टिकिटिंग वाला तत्काल बुकिंग करते समय अनुभूति पाता है। बिकट अनुभव प्राप्ति के पश्चात टिकट बुकिंग कम्पनी को कुछ सलाहें दी गई है, कुछ सहयोग प्रदान करने की मंशा भी जताई गई है। ट्विटर पर, अनेकों उपभोगकर्ताओंने अलग अलग सलाहें, मशविरे दिए है। यहाँ उनका उल्लेख कर कुछ सफल प्राप्ति नही होने जा रही है, अतः हम उन बातों को वहीं छोड़ते है।
एक बहुत साधारण सी बात है, प्रत्येक यात्री गाड़ी के कुल आसन संख्या से लगभग 30% आसन तत्काल बुकिंग्ज के लिए रोके जाते है और उसकी बुकिंग गाड़ी के प्रारम्भिक स्टेशन से प्रस्थान के एक दिन पहले खोली जाती है। इसमे भी श्रेणियोंका वर्गीकरण कर लिया गया है। अभी वातानुकूलित वर्गों की तत्काल बुकिंग सुबह 10:00 बजे और ग़ैरवातानुकूलित वर्गों की बुकिंग 11:00 बजे शुरू की जाती है।
गाड़ियोंमे कोच संरचना के मानकीकरण के बाद 04 अनारक्षित और 01 एसएलआर, 01 जनरेटर वैन छोड़े तो अमूमन 6, 7 वातानुकूलित और 7 से 8 ग़ैरवातानुकूलित कोच आरक्षण के लिए उपलब्ध रहते है। जिसमे वातानुकूलित प्रथम श्रेणी में तत्काल टिकट उपलब्ध नही कराया जाता। वातानुकूलित टू टियर की 16 और वातानुकूलित थ्री टियर की 84 बर्थ और स्लिपर के लिए 192 बर्थ तत्काल के लिए उपलब्ध की जाती है। यह हमने वातानुकूलित टू टियर 1 कोच, वातानुकूलित थ्री टियर के 4 कोच और स्लिपर के 8 कोच की संरचना के निर्धारण से अनुमान लगाया है।
अब मजे की बात और आगे है। अमूमन प्रत्येक मेल/एक्सप्रेस और सुपरफास्ट गाड़ियोंमे कुल तत्काल आसनोंसे आधे अर्थात 50% आसन ‘प्रीमियम तत्काल’ के लिए रखे जाते है। जिसके लिए 50% टिकट के बाद, डायनामिक किराए लगने शुरू हो जाते है। गाड़ियोंके सम्पूर्ण मार्ग में प्रमुख स्टेशनोंके लिए जनरल GNWL, पुलिंग PQWL और रिमोट लोकेशन RLWL प्रकार के कोटे निर्धारित रहते है। अतः तत्काल आसनों के लिए जो जनरल एवं पुलिंग कोटे के स्टेशनों का गुट होता है उनके लिए तत्काल और प्रीमियम तत्काल दोनों तरह की बुकिंग्ज उपलब्ध होती है और रिमोट लोकेशन कोटे के स्टेशनोंके लिए केवल तत्काल टिकट बुकिंग उपलब्ध रहती है। हालाँकि गाड़ी से सम्बंधित क्षेत्रीय रेलवे तत्काल और प्रीमियम तत्काल आसनोंकी संख्या का निर्धारण करता है। कई सर्वसाधारण एक्सप्रेस गाड़ियोंमे प्रीमियम तत्काल बन्द कर सारे निर्धारित आसन तत्काल के लिए रखे जाते है तो कुछ गाड़ियोंमे तत्काल बुकिंग भी बन्द किया रहता है। आम तौर पर सभी विशेष गाड़ियोंमे तत्काल बुकिंग उपलब्ध नही रहता क्योंकि उनकी आम बुकिंग ही तत्काल दर से कराई जाती है।
अब हम मुख्य मुद्दे पर आते है। किसी एक गाड़ी के तत्काल बुकिंग की बात करते है तो सभी वातानुकूलित कोच में कुल मिला कर 100 बर्थ है। जिसमे अमूमन 40, 50 बर्थ प्रीमियम कोटे की निकल गई तो बची हुई मात्र 50 बर्थ के लिए ठीक 10:00 बजे लाखों यात्री टिकट बुक करने की कोशिश करते है। आईआरसीटीसी की बुकिंग्ज साइट पर एक मिनट में लगभग चौबीस हजार टिकट बुक होती है। अब आप खुद अपने टिकट बुक होने की सम्भावना जाँच लीजिए की मात्र 50 बर्थ और उस निर्धारित मिनट में 24000 टिकट छपने है। मान लीजिए, किसी एक मार्ग पर निर्धारित दिन के लिए दस गाड़ियाँ चल रही है। फिर भी 500 बर्थ और एक मिनट में 24000 हिट। समझ लीजिए कितना मुश्किल टास्क है, कन्फ़र्म टिकट का बुक हो जाना! जिसमे देश भर से लाखों PRS पर से भी उसी वक़्त और उतनी ही सीटों के लिए जद्दोजहद लगी रहती है।
मित्रों, चाहे बुकिंग्ज में कुछ गड़बड़ी होती है, भ्रष्टाचार है, कुछ और भी बाईपास मार्ग निकाल टिकट बुकिंग्ज चलती है, फिर भी ‘एक अनार और सौ बीमार’ वाली गती है, यह बात निश्चित है। जिसमे रेल प्रशासन हमेशा गैरकानूनी टिकट दलालोँ पर कार्रवाई करते रहता है।
दरअसल यह परेशानी अपार यात्री संख्या और उस अनुपात में गाड़ियोंकी कम उपलब्धता, रेल किराए इतने सस्ते की यात्री प्रीमियम तत्काल के डायनामिक रेट्स से भी नही हिचकता। क्योंकि परिवहन व्यवस्था में रेलवे ही सबसे सस्ता और सुरक्षित, आरामदायक परिवाहन है। कई समान मार्गोंपर चलने वाली बसेस के किराए इतने महंगे है कि रेलवे के डायनामिक प्रीमियम तत्काल के किरायों से मेल खाते है। इससे टिकट बुकिंग एजेन्ट्स, फर्जी दलालों की पौ बारह होती है। टिकटों की गारण्टी के मद्देनजर यात्री इन गैरकानूनी दलालों की तरफ मुड़ता है या जाली टिकट बुकिंग पर यात्रा करने पर उतारू हो जाता है। निर्धारित टिकट मूल्य से कई अतिरिक्त मूल्य देने के लिए भी तैयार हो जाता है।
इन सारी विद्यमान परिस्थितियों को देखते हुए इस बिकट तत्काल टिकट बुकिंग व्यवस्था का तुरन्त हल निकलना बहुत मुश्किल है। जब परिवाहन साधनों, बुनियादी निर्माणों में बढ़ोतरी होगी और यात्री गाड़ियाँ बढ़ेंगी तभी इसका कुछ हल निकल पाएगा। आधुनिक भारत तीव्र गति से सड़कों का निर्माण कर रहा है। रेल मार्ग इकहरे से दोहरे, तिहरे और चौपदरी किए जा रहे है। रेलवे के कमाऊं पूत, मालगाड़ियों के लिए समर्पित मार्ग अलगसे बनाए जा रहे है ताकि यात्री गाड़ियाँ बढाई जा सके। हवाई क्षेत्र के परिवाहन में भी यात्री संख्या के नए कीर्तिमान बन रहे है। हर तरह के परिवाहन व्यवस्था को चाकचौबंद करने की तमाम कोशिशें की जा रही है। मगर इनको जितना वक़्त लगना है, जरूर लगेगा और तब तक ‘तत्काल टिकट’ मिलना एक तरह की लॉटरी ही रहेगी।
