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समीक्षा : नई गाड़ी, काचेगुड़ा – भगत की कोठी – काचेगुड़ा प्रतिदिन एक्सप्रेस की

27 जुलाई 2025, रविवार, श्रावण, शुक्ल पक्ष, तृतीया, विक्रम संवत 2082

अपने भारत देश मे लोकसंख्या इतनी व्यापक है की, कहीं से कही की यात्री गाड़ी चला लो, वह संपूर्ण नकारा तो होई ही नही सकती। उसे मार्ग में किसी न किसी खण्ड पर समर्थन जरूर मिलेगा।
गौरतलब यह जाँचा जाए की, गाड़ी प्रारम्भिक स्टेशन से गन्तव्य स्टेशन के बीच कितनी उपयोगी है।

17605/06 ट्रेन की बात की जाए तो यह गाड़ी सिकंदराबाद से अजमेर के लिए बिल्कुल उपयुक्त है मगर आगे इसे भगत की कोठी तक खींचना केवल गाड़ी को जोधपुर तक ले जाने का अट्टाहास साबित होता है। चूँकि कोई भी यात्री गाड़ी, दोनों समान गंतव्यों के बीच यदि अलग मार्गसे चलने की वजह से 12 घण्टे से ज्यादा समय लगाती है तो कोई भला उससे सम्पूर्ण यात्रा करना क्यूँ पसन्द करे? इन्ही दो स्टेशनोंके बीच सम्पर्क करानेवाली 22737/38 हिसार – सिकंदराबाद द्विसाप्ताहिक एक्सप्रेस जो वाया अहमदाबाद चल रही है 30, 32 घण्टे में यह यात्रा सम्पन्न कराती है और 17605/06 एक्सप्रेस 44 घण्टे में।

Photo courtesy : http://www.indiarailinfo.com

रेल प्रशासन को को उक्त स्टेशनोंके बीच तुरन्त सम्पर्कता देनी थी और अहमदाबाद स्टेशन के पुनर्निर्माण का आरेखन तय हो चुका था। सारी गाड़ियाँ अहमदाबाद स्टेशन की जगह पासपड़ोस में सरका दी गई थी। उस आरेखन के ढांचे मे न ही हिसार – सिकंदराबाद की द्विसाप्ताहिक आवृत्ति को बढ़ा कर प्रतिदिन करने की गुंजाइश थी ना ही इस नई यात्री सेवा को उक्त मार्ग पर डाला जा सकता था। इस स्थिति में मध्यप्रदेश के खण्डवा, उज्जैन, भोपाल, रतलाम होकर नई गाड़ी चलाने यह एक सरल पर्याय उपलब्ध था जिसे उन्होंने स्वीकार किया और गाड़ी पटरी पर तुरतफुरत निकल पड़ी।

अब आगे अर्थात अहमदाबाद मार्ग सुचारू हो जावे तब क्या यह गाड़ी 17605/06 का मार्ग बदलना सम्भव है? रेल तकनीकी स्वरूप में हाँ मगर रेल यात्रिओंकी भावना समझें तो नही! ऐसा करने से मार्ग के यात्रिओंकी भावना सीधे तौर पर आहत होती है। गाड़ी एक बार चलने लगे तो मार्ग के यात्री उसे अपने रोजमर्रा कार्यकलापों में ढाल लेते है और फिर उसमे होनेवाले अप्रत्याशित बदलावों से सहमत होना उन्हें बड़ा असहज लगता है।

दरअसल किसी यात्री को हिसार – सिकंदराबाद में मौका न मिल पाए तब इस गाड़ी में प्रारम्भ से गन्तव्य तक यात्रा करना उसकी केवल मजबूरी होगी। कम अंतर वाले यात्री तो अपने मौके ढूंढ ही लेते है। इधर अहमदाबाद से जोधपुर तक के जालौर, मोकलसर, मोदरान, समदड़ी, भीलड़ी मार्ग के यात्री सिकंदराबाद से सीधे जुड़ने हेतु ताकते रह गए। आगे उन्हें आश्वासित किया गया है, उन्हें भी सीधे सम्पर्कता देने वाली सेवा अवश्य मिलेगी।

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