11 जुलाई 2024, गुरुवार, आषाढ़, शुक्ल पक्ष, तृतीया/चतुर्थी, विक्रम संवत 2081
रेल प्रशासन ने अपने आरक्षित यात्रिओंके सुरक्षित और आरामदायक यात्रा की पुरजोर माँग और ढ़ेरों शिकायतोंके मद्देनजर, अपने ही पुराने नियमावली को कठोरता से पालन करने का आग्रह अपने वाणिज्यिक कर्मियोंको किया।
प्रतिक्षासूची टिकट धारकोंके लिए रेलवे के नियम ‘चार्ट प्रिपेयर होने के बाद चाहे किसी भी श्रेणी का टिकट हो, यदि उसका फाइनल स्टेटस वेटिंगलिस्ट रह जाता है तो उसका अस्तित्व सिवाय रिफण्ड के कुछ नही। ई-टिकट में रिफण्ड अपनेआप हो के टिकट की PNR रद्द हो जाती है। यदि यात्री के पास PRS काउंटर टिकट है, चाहे वह किसी भी श्रेणी की हो, उसे वह केवल द्वितीय श्रेणी अनारक्षित में ही यात्रा कर सकेगा।’
रेल विभाग में टिकट का आरक्षण दो पद्धति से किया जा सकता है। पहली इलेक्ट्रॉनिक याने डिजिटल ई-टिकट। इसमे टिकट का भुगतान भी डिजिटल तरीके से होता है अतः टिकट रद्दीकरण के मामलों में, धनवापसी के वक्त रेल विभाग जिस खाते से भुगतान हुवा है उसमें धनवापसी कर देती है। ऐसे टिकटोमें, टिकट चार्ट बनने के बाद भी प्रतिक्षासूची में रह जाने की अवस्था मे रेल विभाग उसे अपनेआप रद्द कर धनवापसी कर देती है। यात्री के पास रेल यात्रा के लिए कोई भी वैलिडिटी नही रह जाती। उसे यात्रा के लिए अन्य पर्याय, टिकट खोजना, खरीदना पड़ता है।
आरक्षण कराने का दूसरा पर्याय है, रेलवे के PRS काउंटर्स याने रेलवे स्टेशनोंपर उपलब्ध आरक्षण केन्द्र। यहाँ पर टिकट पेपर पर छपी हुई अवस्थामे, फिजिकल फॉर्मेट में मिलता है। रेल विभाग इस टिकट को अपने सिस्टम में भले ही रद्द कर दे मगर रद्दीकरण की धनवापसी, रिफण्ड अपनेआप नही कर सकता और इसी वजह से जब तक टिकट पर निर्धारित यात्रा समाप्त नही होती, टिकट सिस्टम में जीवित रहता है।
चूँकि यात्री का आरक्षण टिकट भले ही चार्टिंग के बाद प्रतिक्षासूची अवस्था मे बरकरार है, वह उसका रिफण्ड नही लेता है तो वह टिकट यात्रा के लिए अनुमतिप्राप्त होता है। बशर्ते ऐसा यात्री अनारक्षित कोच में यात्रा करें, और समय समय पर आरक्षित कोच पर तैनात टी टी ई, कन्डक्टर से अपने प्रतिक्षासूची का स्टेटस जान सकता है। यदि वह कर्मचारी, यात्री को कह दें, की यात्री उस आरक्षित कोच में यात्रा नही कर पाएगा या उसके टिकट का स्टेटस बदलने की अर्थात उसे आरक्षण मिलने की कोई उम्मीद नही है तो यात्री उस से प्रमाणित करता कर अपनी धनवापसी के लिए TDR दाखिल करा सकता है।
TDR याने टिकट डिपॉजिट रिसीट, जब टिकट रद्दीकरण की समयसीमा समाप्त हो जाती है, तब उसे टिकट कार्यालय में जमा कर एक रसीद मिलती है और उसका धनवापसी के भुगतान का निर्णय करने हेतु क्षेत्रीय मुख्यालय के पास भेज दिया जाता है।
यात्रिओंको पुरानी आदत थी, PRS टिकट लेकर आरक्षित कोच में यात्रा करते रहने की। दरअसल टिकट चेकिंग स्टाफ ऐसे यात्रिओंकी EFT एक्स्ट्रा फेयर टिकट बनाकर उसमें पैनाल्टी जोड़कर यात्री को गन्तव्य तक आरक्षित कोच में यात्रा करने का एक तरह का परमिट बनाकर दे देते थे, जिसे रेल विभाग ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है। अब पेनाल्टी बनाकर EFT बनाने वाला सिस्टम बन्द कर दिया गया है। प्रतिक्षासूची धारक आरक्षित कोच में टिकट चेकिंग के दौरान पाया जाता है तो उसे अब तक कि गई यात्रा का श्रेणी अंतर का किराया और दण्ड जोडकर वसूला जाएगा और उसे आनेवाले पहले स्टापेज पर अनारक्षित कोच में जाने के लिए कहा जाता है।
यात्रीगण से आग्रह है, अब किसी सम्भ्रम में न रहे। यदि आपका आरक्षित टिकट चार्टिंग के बाद प्रतिक्षासूची में रह जाता है तो उसे रद्द कर धनवापसी ले लीजिए। यही एकमेव और उचित पर्याय है।
