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कुछ बड़ा होने वाला है?

28 जून 2024, शुक्रवार, आषाढ़, कृष्ण पक्ष, सप्तमी, विक्रम संवत 2081

आज कल इस डायलॉग, संवाद की फिर से चलती आ गई है। ‘कुछ बड़ा होने वाला है…’ अर्थात प्रश्न न पूछिए, बस देखते रहिए और अपने अपने तर्कों से समझते रहिए।

संक्रमण काल मे जब अचानक ही यात्री गाड़ियाँ बन्द कर दी गई थी तब अमूमन तीन, साढ़े तीन वर्ष भारतीय रेल अपने पुराने समयसारणी पर चलती रही। जै जरूरत पड़ती तो मीडिया, सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर परिपत्रक जारी कर दिए जाते थे। उस वक्त भारतीय रेल का ‘शून्याधारित समयसारणी’ का कार्यक्रम भी चल रहा था। हालांकि आज भी उस कार्यक्रम को अपनी मंज़िल, मुकाम मिला या नही मिला इसका कोई अधिकृत इकरारनामा सामने नही आया है। यात्री तो उसमे पिसे ही गए। गाड़ियाँ रद्द हुई, स्टापेजेस खत्म हुए, गाड़ियोंकी समयसारणीयाँ बेसमय की गई।

अब फिर से उसी तरह वर्ष 2023 की यात्री रेल समयसारणी ‘ट्रेन्स एट अ ग्लान्स’ और रेल कमर्चारियों की परिचालनिक समयसारणी, वर्किंग टाइमटेबल को 31 दिसम्बर 2024 तक विस्तारित कर दी गई है। अर्थात नई समयसारणी अब पहली जनवरी वर्ष 2025 से जारी की जाएगी।

यात्रीओंके लिए सोशल मीडिया में खबरें तो बहुत है। कहा जा रहा है, 800 गाड़ियोंमे अनारक्षित द्वितीय श्रेणी साधारण कोच के कम से कम 4 से 6 कोच उपलब्ध कराए जाएंगे। वर्ष 2025/26 में 50 नई वन्देभारत एक्सप्रेस, 50 नई अमृतभारत एक्सप्रेस और 50 वन्देभारत स्लिपर पटरियों पर लाने की कवायद शुरू है। मगर यह बातें अबतक सोशल मीडिया में ही है और सोशल मीडिया पाँच से पचास करने में बहुत माहिर है। 😊 नई  समयसारणी को लम्बित करने के पीछे हो सकता है, और भी कई गाड़ियोंके समयसारणी और संरचनाओं में व्यापक और अकल्पनीय बदलाव होना है।

खैर, और छह माह तक यात्रिओंको अपनी रेल यात्रा शुरू करने से पहले रेलवे की वेबसाइटों, ऍप और हेल्पलाइन 139 से सम्पर्क कर जान लेना होगा, समझ लेना होगा के उनकी नियोजित रेलगाड़ी में “कछु बदलाव तो नही न कर दिया है?” 😊😊

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अनधिकृत रेल यात्रियों पर रेल प्रशासन सख्त, अब हो रही है कार्रवाई!

21 जून 2024, शुक्रवार, जेष्ठ, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा, विक्रम संवत 2081

बीते सप्ताह हमारा लेख था, ‘अब ली जा रही है सुध … रेल मन्त्री ने अपना अंदाज़ बदला’ आचार संहिता समाप्त हुई, नवनिर्वाचित सांसदो को  विभिन्न कामकाज का आवंटन किया गया। कई मन्त्रियोंकी, पिछले पंचवार्षिक की जिम्मेवारी को जारी रखा गया। इसी तरह रेल मन्त्री भी फिर से अपना कामकाज संभालने मंत्रालय पहुँचे। चूँकि जायज़ा लिया जा रहा था, पहले रेल विभाग का परिचालन दुरुस्त करने की बात तय की गई। यात्री गाड़ियोंको निर्धारित समयानुसार चलाने पर ध्यान दिया गया।

अब अगले चरण में यात्री सुरक्षा, नियमितता और सुविधाओं पर कामकाज किया जा रहा है। दिनांक 13 जून को जारी इस पत्र को देखिए,

रेल विभाग ने अनधिकृत यात्रिओंपर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश रेल सुरक्षा बल एवं रेलवे के वाणिज्यिक विभाग को दिए है। इस पत्र में महिला और दिव्यांग जनोंके लिए आरक्षित यानों में अनाधिकृत प्रवेश पर कार्रवाई करने की बात की गई है।

अनाधिकृत (unauthorised) और अवैध (illegal) इसमे फर्क समझिए। अनाधिकृत यात्री याने अपर्याप्त वैधता। जैसे अनारक्षित टिकट धारक यात्री का आरक्षित कोच, महिला/दिव्यांग कोच में पाया जाना, टिकट से अलग श्रेणी में पाया जाना और अवैध यात्री याने जिसके पास कोई भी वैध प्रमाण का न होना जैसे बिना टिकट यात्री या बिना वैध अनुमति के रेल परिसर में, रेल गाड़ी में व्यवसाय करना।

उपरोक्त पत्र में केवल महिला, दिव्यांग आरक्षित कोच में अनाधिकृत प्रवेशपर कार्रवाई की जाने का उल्लेख है। जबकि अनाधिकृत यात्रिओंके आरक्षित कोचों में प्रवेश की ढेरों शिकायतें अन्य आरक्षित यानों जैसे की द्वितीय श्रेणी शयनयान स्लिपर कोच एवं वातानुकूलित कोचों की हो रही है, जिसका कोई विशेष उल्लेख नही है।

दरअसल रेल यात्राओंमें आम रेल यात्रिओंको इन समस्याओं का भारी सामना करना पड़ रहा है। अनारक्षित टिकट धारक धड़ल्ले से आरक्षित शयनयान स्लिपर एवं वातानुकूलित कोचों में घुसपैठ करते है। रेल प्रशासन को इस मामलोंपर भी कड़ाई से काम करने की जरूरत है।

अमर्याद अनारक्षित टिकटोंकी बिक्री, यात्रियों द्वारा, PRS रेलवे काउंटर्स से जारी प्रतिक्षासूची के टिकट का चार्टिंग के बाद भी रद्द न करना और यात्री का उसी टिकटपर यात्रा करते रहना यह बड़ी तकनीकी समस्या है। चूँकि रेल नियम यह कहता है, प्रत्येक प्रतिक्षासूची टिकट चार्ट बनने के बाद और गाड़ी के स्टेशनसे प्रस्थान समय से 30 मिनट पहले रद्द करना आवश्यक है। अन्यथा उस टिकट की कोई धनवापसी नही दी जायेगी। अब टिकट, चार्टिंग के बाद प्रतिक्षासूची में रह जाता है तो ई-टिकट तो अपने आप रद्द हो जाता है और ई-टिकट धारक प्रतिक्षासूची यात्री बेटिकट हो जाता है मगर PRS टिकट में यह प्रावधान नही होने की वजह से वहीं प्रतिक्षासूची का टिकट लेकर यात्री आरक्षित कोच में सवार हो जाता है।

अब हम फिर से व्याख्या पर आते है, क्या PRS का प्रतिक्षासूची धारक यात्री आरक्षित कोच में अवैध है या अनधिकृत है? रेल प्रशासन यह कहता है, प्रतिक्षासूची टिकट धारक आरक्षित कोच में यात्रा न करें, अनारक्षित कोच में यात्रा कर सकता है। जिस तरह प्रतिक्षासूची का ई-टिकट अपनेआप रद्द हो जाता है, उसकी धनवापसी हो जाती है, रेल प्रशासन को चाहिए की PRS टिकट भी उसी तरह रद्द करार दिया जाए और वैसे यात्री को यदि यह यात्री आरक्षित कोच में पाया गया तो बिनाटिकट समझकर उसे दण्डित किया जाए। साथ ही द्वितीय श्रेणी में भी उसे बिनाटिकट ही समझा जाए अर्थात ई-टिकट के प्रतिक्षासूची टिकट धारक की ही तरह वह भी सर्वथा बिनाटिकट है। चूँकि टिकट रद्द कर उसकी धनवापसी लेना उसकी जिम्मेदारी थी, जिसका निर्वहन उसने नही किया और वह वैसे ही यात्रा कर रहा है।

आखिरकार जो दो-भाव ई-टिकट और PRS टिकट के प्रतिक्षासूची धारकों में हो रहा है उसे रेल प्रशासन को कहीं न कहीं पाटना तो पडेगा। यही प्रतिक्षासूची धारक आरक्षित यानों में बेखटके, बेखौफ यात्रा करते है और महीनों पहले या तत्काल किराए देकर आरक्षण किए हुए यात्रिओंकी परेशानी का सबब बनते है।

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अमृत भारत एक्सप्रेस की संरचना में सकारात्मक बदलाव

19 जून 2024, बुधवार, जेष्ठ, शुक्ल पक्ष, द्वादशी, विक्रम संवत 2081

अमृत भारत एक्सप्रेस भारतीय रेलवे द्वारा संचालित एक सुपरफास्ट एक्सप्रेस है। यूँ तो यह वन्देभारत प्रीमियम एक्सप्रेस की तरह ट्रेनसेट संरचना में ही ढाली गई है मगर वन्देभारत की तरह सेल्फ प्रोपेल्ड, वातानुकूलित और सिटिंग नही है।यह एक गैर-वातानुकूलित, दोनों सिरे पर लोको जोड़ के बनाया गया ट्रेन सैट है। इसमे प्रीमियम वाली बात तो रहेगी मगर सम्पूर्ण गाड़ी ग़ैरवातानुकूलित कोच संरचना से सज्जित है। आरक्षित स्लीपर एवं अनारक्षित साधारण द्वितीय श्रेणी सिटिंग कोच लगते है।

Photo courtesy : http://www.indiarailinfo.com

फिलहाल भारतीय रेल पर अमृत भारत श्रेणी की केवल दो गाड़ियाँ चल रही है।

1: 13433/34 सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया टर्मिनस बेंगलुरु – मालदा टाउन – सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया टर्मिनस बेंगलुरु साप्ताहिक अमृत भारत एक्सप्रेस

2: 15557/58 दरभंगा आनंदविहार टर्मिनस दरभंगा द्विसाप्ताहिक अमृतभारत एक्सप्रेस

इन दोनों ही गाड़ियोंमे 8 अनारक्षित द्वितीय श्रेणी, 12 स्लिपर कोच और दो एसएलआर कुल 22 कोच उपलब्ध है।

भारतीय रेल आनेवाले दिनोंमें अमृतभारत श्रेणी की करीबन 50 गाड़ियाँ शुरू करने जा रहा है और उसके कोच संरचना में भी उपर्युक्त बदलाव करने जा रहा है।

अमृत भारत एक्सप्रेस संशोधित कोच संरचना के साथ कुछ इस तरह रहेंगी, दोनों सिरों पर लोको और आगे…

1 एसएलआर
6 अनारक्षित द्वितीय साधारण जनरल
4 स्लिपर
1 नॉन एसी पेंट्री कार
4 स्लिपर
5 अनारक्षित द्वितीय साधारण जनरल
1 एसएलआर

कुल 22 कोच

नई संरचना में 8 की जगह 11 अनारक्षित द्वितीय श्रेणी जनरल कोच रहेंगे और वह दोनों सिरों की दिशामे रहेंगे। 12 की जगह 8 कोच स्लिपर आरक्षित शयनयान रहेंगे और मध्य भाग में पेंट्रीकार रहेंगी। दोनों सिरोंके लोको के साथ ही एसएलआर कोच रहेंगे, जिसमे गार्ड, दिव्यांग जन और लगेज/पार्सल की व्यवस्था होंगी।

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अब गाज़ गिरेगी सुपरफास्ट गाड़ियोंपर…. पहली जुलाई के नई समयसारणी में कई गाड़ियोंके गाड़ी क्रमांक बदल रहे है।

12 जून 2024, बुधवार, जेष्ठ, शुक्ल पक्ष, षष्टी, विक्रम संवत 2081

जैसे ही आचार संहिता खत्म हुई, रेल प्रशासन के यात्री हित मे खटाखट निर्णय आने लगे है। ☺️ गौरतलब है, जिस गति से भारतीय रेल महकमें में सुपरफास्ट गाड़ियोंकी संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही थी, ऐसे लगता था की बची सभी मेल/एक्सप्रेस गाड़ियाँ मानो सवारी गाड़ियाँ ही बन गई है। केवल सुपरफास्ट का टैग लग जाने से यात्रिओंके रेल किराए में ₹15/- से लेकर ₹75/- का सुपरफास्ट अधिभार जोड़ दिया जाता था।

सुपरफास्ट गाड़ियोंकी व्याख्या, गाड़ी का सम्पूर्ण फेरा 55 किलोमीटर प्रति घण्टे की गति से पूर्ण किया गया हो यह है। जब गाड़ियोंकी अधिकतम गति 130 किलोमीटर प्रति घण्टे की पहुँच गई हो तो सुपरफास्ट गाड़ियोंके औसत गति की सीमा बढाई जाए यह जरूरी हो जाता है। चूँकि इस बारे में अभी आधिकारिक परिपत्र जारी नही हुवा है, मगर यह बात सीधी दिखाई दे रही है, प्रत्येक क्षेत्रीय रेलवे अपनी कुछ सुपरफास्ट गाड़ियोंको मेल/एक्सप्रेस श्रेणी में ला रहा है।

पूर्वतटीय रेलवे ECOR एवं पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे NFR के निम्नलिखित परिपत्रक देखिए।

पूर्वतटीय रेलवे ECOR

पूर्वतटीय रेलवे ने अपनी पाँच जोड़ी याने दस गाड़ियोंको सुपरफास्ट से साधारण मेल/एक्सप्रेस के गाड़ी क्रमांक से बदलने का निर्णय लिया है। यह बदलाव 01 जुलाई 2024 से लागू किए जा रहे है।

1: 12801/02 पुरी नई दिल्ली पुरी प्रतिदिन पुरुषोत्तम सुपरफास्ट एक्सप्रेस (18401/02)

2: 12892/91 पुरी बांगरीपोसी पुरी प्रतिदिन सुपरफास्ट एक्सप्रेस (18404/03)

3: 17488/87 विशाखापट्टनम कुड़ड़पा विशाखापट्टनम प्रतिदिन तिरुमला एक्सप्रेस (18521/22)

4: 18311/12 विशाखापट्टनम बनारस विशाखापट्टनम द्विसाप्ताहिक एक्सप्रेस (18523/24)

5: 18514/13 विशाखापट्टनम किरन्डुल विशाखापट्टनम प्रतिदिन एक्सप्रेस (18527/28)

पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे NFR : इस क्षेत्रीय रेल ने अपनी आठ जोड़ी गाड़ियोंके क्रमांक बदले जाने की सूचना दी है।

1: 12523/24 न्यू जलपाईगुड़ी नई दिल्ली न्यू जलपाईगुड़ी द्विसाप्ताहिक सुपरफास्ट (15725/26)

2: 12519/20 अगरतला लोकमान्य तिलक टर्मिनस अगरतला वातानुकूलित साप्ताहिक सुपरफास्ट (15660/59)

3: 12504/03 अगरतला सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया टर्मिनस बंगलुरू अगरतला वातानुकूलित द्विसाप्ताहिक हमसफ़र सुपरफास्ट (15674/73)

4: 12508/07 सिल्चर तिरुवनंतपुरम सिल्चर साप्ताहिक सुपरफास्ट एक्सप्रेस (15678/77)

5: 12510/09 गौहाटी सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया टर्मिनस बंगलुरू गौहाटी त्रिसाप्ताहिक सुपरफास्ट (15680/79)

6: 12514/13 सिल्चर सिकंदराबाद सिल्चर साप्ताहिक सुपरफास्ट एक्सप्रेस (15684/83)

7: 12516/15 सिल्चर कोयम्बटूर सिल्चर साप्ताहिक सुपरफास्ट एक्सप्रेस (15676/75)

8: 22504/03 डिब्रूगढ़ कन्याकुमारी डिब्रूगढ़ सप्ताह में पाँच दिवसीय सुपरफास्ट (15906/05)

निम्नलिखित चार गाड़ियोंमे उनके टर्मिनल स्टेशन के बदलाव के चलते गाड़ी क्रमांक बदले जाएंगे।

1: 13413/14 बालूरघाट बठिंडा त्रिसाप्ताहिक फरक्का एक्सप्रेस (15733/34)

2: 13483/84 बालूरघाट बठिंडा सप्ताह में चार दिवसीय फरक्का एक्सप्रेस (15743/44)

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आखिर क्यों हो रहे टिकट जाँच दल पर हमले? क्या रेल प्रशासन अपने रेल यात्रीओं के साथ साथ रेल कर्मियों के सुरक्षितता को भी दाँव पर लगा रही है?

06 अप्रैल 2024, शनिवार, चैत्र, कृष्ण पक्ष, द्वादशी, विक्रम संवत 2080

हाल ही की, महज कुछ दिनों पहले, 02 अप्रैल के एक अप्रत्याशित हादसे की खबर है। द प रेल में 22643 एर्नाकुलम पटना द्विसाप्ताहिक एक्सप्रेस में अपनी ड्यूटी कर रहे चल टिकट निरीक्षक TTE के. विनोद को गाड़ी में यात्रा कर रहे यात्री ने कुछ टिकट सबन्धित विवाद के कारण चलती गाड़ी से धक्का देकर गाड़ी के बाहर गिरा दिया। TTE के. विनोद की मृत्यु हो गई। कुछ वर्ष पूर्व इसी तरह के, यात्री द्वारा गाड़ी से फेंके जाने के हादसे से उबरे एक TTE को उस अंधेरी रात में रेल कर्मचारी, चाबी वाले ने सहारा देकर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बच पाई। इसी तरह की एक घटना में चलती रेलगाड़ी में, एक कार्यरत TTE के हाथ पर यात्री ने काट लिया। प्लेटफार्म टिकट पुँछने पर एक महिला टिकट चेकर को 5-6 महिलाओं के गुट ने पिट डाला।

यह घटनाएं द प रेल विभाग की है, मगर अमूमन सम्पूर्ण भारतीय रेल पर तमाम रेल टिकट जाँच कर्मचारियों में इस तरह की यात्रिओंसे विवाद, हाथापाई की घटनाएं उनके रोजमर्रा के नौकरी का एक भाग बनकर रह गई है। गाड़ियोंके LHB करण और बदली हुई कोच संरचना के बाद इन घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है।

दरअसल नियमित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंमे रेल प्रशासन द्वारा नियत, कोच मानकीकरण कार्यक्रम अंतर्गत द्वितीय श्रेणी कोचों को कम कर वातानुकूल कोचों को बढ़ाया जा रहा है। एक तरफ द्वितीय श्रेणी अनारक्षित टिकटोंकी बिक्री पर कोई बंधन नही है। कम अंतर के यात्री को गाड़ियोंमे किसी तरह का आरक्षित टिकट नही मिल पाता और ना ही वह उच्च वर्ग के ज्यादा किराया वाले वातानुकूल श्रेणी में यात्रा करने का इच्छुक होता है। ऐसी स्थिति में अनारक्षित टिकट ही उसकी यात्रा का आधार बनता है। जब वह अनारक्षित द्वितीय श्रेणी का टिकट लेकर गाडी पर पहुँचता है, तो उसे अपनी आवश्यक यात्रा के लिए कहीं पैर धरने तक की जगह नही दिखती, आवश्यकता के आगे नागरी कर्तव्य की हार हो जाती है और वह यात्री साधारण कोचों की अपेक्षा खाली दिखाई देनेवाले वातानुकूल कोचों की तरफ रुख करता है। उसे पता होता है, यह अपराध है, उसे दण्ड हो सकता है मगर…

एक तरफ पता नही क्यों मगर रेल प्रशासन अपने यात्री किरायोंमे वर्षोँसे कोई वृद्धि नही कर रही, बस यात्रिओंके टिकटों पर ‘56% रियायत में सेवा दे रहे’ ऐसे मेहरबानी युक्त वाक्य छाप कर खुद का यात्री सुरक्षितता और आदर्श मेजबानी से पल्ला झाड़ लेती है। सड़क पर चल रहे निम्नतम वाहन से भी कई गुना सस्ती यात्रा रेल विभाग अपने यात्रिओंको परोस रही है।

भारतीय रेल की किसी भी एक ही यात्री गाड़ी के विभिन्न वर्गों में बहुत भारी अंतर है। द्वितीय श्रेणी साधारण यह निम्नतम किराया श्रेणी और वातानुकूल थ्री टियर इकोनॉमी इस उच्च श्रेणी के निम्नतम वर्ग के किरायोंमे 10 से 12 गुना का फर्क है। दूसरी बात टिकट उपलब्धतता की समझें तो द्वितीय श्रेणी के अनारक्षित टिकट चौबीसों घण्टे, बारह मास बड़ी आसानी से मिल रहे है। वहीं किसी भी वर्ग का आरक्षित टिकट चाहे वह महंगा वातानुकूल वर्ग का हो या ग़ैरवातानुकूलित शयनयान स्लिपर का हो आरक्षण के 120 दिन पहले, शुरू होते ही प्रतिक्षासूची में चला जाता है। 24 घण्टे पहले शुरू होनेवाला तत्काल टिकट निकालना याने ओलम्पिक खेल में उसेन बोल्ट को पछाड़ तमगा हासिल करने से भी दुश्वार है। ऐसे में यात्री अपनी सारी सद्बुद्धि दाँव पर लगाकर, अनारक्षित द्वितीय श्रेणी टिकट लेकर आरक्षित कोचों में चढ़ जाता है।

दूसरी तरफ रेल प्रशासन का बिना टिकट यात्रिओंसे जुर्माना वसूली का बढ़ता लक्ष्य रेल विभाग के टिकट जाँच दल की आफत बढ़ाता है। सम्पूर्ण गाड़ी में गिने चुने TTE, यात्रिओंसे खचाखच भरे कोचों में अपने कर्तव्य पालन करनेकी जद्दोजहद करते नजर आते है। यह बात नही है, की गाड़ी में रेल सुरक्षा कर्मी RPF नहीं होते, मगर उनकी भी सीमाएं है। वह यात्री सुरक्षा पर ध्यान दें की स्टाफ़ पर, रेल विभाग के साजोंसामान की रक्षा करें या उनका दुरुपयोग करनेवाले अवैध घुसपैठीयों पर ध्यान दे? यह सब झमेला अब अस्तव्यस्त हो चुका है। टिकट जाँच दल ग्रुप्स में काम कर रहे है या तो यात्री कोच पर हाजिर ही नही होते। या फिर रेलवे प्लेटफॉर्म पर खड़े खड़े रसीदें काट कर अपने लक्ष्य की पूर्तता कर लेते है।

रेल विभाग जो सिर्फ समयसारणी को शून्याधारित करने की नही बल्कि अपने पूर्ण टिकट व्यवस्थापन को भी शून्याधारित कर पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है। रेल विभाग में द्वितीय श्रेणी अनारक्षित टिकटोंकी अमर्याद बिक्री इस सारी समस्याओं की जननी है। छपे हुए प्रतिक्षासूची के आरक्षित टिकट इस समस्या की आग में तेल का काम करते है। द्वितीय श्रेणी साधारण को अनारक्षित की जगह आरक्षित सेवा 2S बनाना चाहिए। साथ ही अनारक्षित टिकट का आबंटन केवल 200 किलोमीटर तक की ही यात्रा का हों। रही बात आरक्षित वर्गों की, जैसे ही किसी गाड़ी का कोई आरक्षित वर्ग की बुकिंग फूल हो, उस गाड़ी का सम्बंधित वर्ग बुकिंग सूची से हटा दिया जाना चाहिए। कोई बुक्ड टिकट रद्द हो, टिकट बुकिंग के लिए उपलब्ध हो तो फिर से वह गाड़ी, वह वर्ग बुकिंग सूची में दिखना शुरू हो जाए। लम्बी लम्बी प्रतिक्षासूची चलाने की कोई आवश्यकता ही नही है।

रेल विभाग को अब मुफ्त में, 120 दिन पहले मिलने वाले प्रतिक्षासूची के धन का मोह यात्रिओंकी सुरक्षा और सुव्यवस्था के एवज पर त्यागने की नितांत आवश्यकता है।