21 जून 2024, शुक्रवार, जेष्ठ, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा, विक्रम संवत 2081
बीते सप्ताह हमारा लेख था, ‘अब ली जा रही है सुध … रेल मन्त्री ने अपना अंदाज़ बदला’ आचार संहिता समाप्त हुई, नवनिर्वाचित सांसदो को विभिन्न कामकाज का आवंटन किया गया। कई मन्त्रियोंकी, पिछले पंचवार्षिक की जिम्मेवारी को जारी रखा गया। इसी तरह रेल मन्त्री भी फिर से अपना कामकाज संभालने मंत्रालय पहुँचे। चूँकि जायज़ा लिया जा रहा था, पहले रेल विभाग का परिचालन दुरुस्त करने की बात तय की गई। यात्री गाड़ियोंको निर्धारित समयानुसार चलाने पर ध्यान दिया गया।
अब अगले चरण में यात्री सुरक्षा, नियमितता और सुविधाओं पर कामकाज किया जा रहा है। दिनांक 13 जून को जारी इस पत्र को देखिए,

रेल विभाग ने अनधिकृत यात्रिओंपर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश रेल सुरक्षा बल एवं रेलवे के वाणिज्यिक विभाग को दिए है। इस पत्र में महिला और दिव्यांग जनोंके लिए आरक्षित यानों में अनाधिकृत प्रवेश पर कार्रवाई करने की बात की गई है।
अनाधिकृत (unauthorised) और अवैध (illegal) इसमे फर्क समझिए। अनाधिकृत यात्री याने अपर्याप्त वैधता। जैसे अनारक्षित टिकट धारक यात्री का आरक्षित कोच, महिला/दिव्यांग कोच में पाया जाना, टिकट से अलग श्रेणी में पाया जाना और अवैध यात्री याने जिसके पास कोई भी वैध प्रमाण का न होना जैसे बिना टिकट यात्री या बिना वैध अनुमति के रेल परिसर में, रेल गाड़ी में व्यवसाय करना।
उपरोक्त पत्र में केवल महिला, दिव्यांग आरक्षित कोच में अनाधिकृत प्रवेशपर कार्रवाई की जाने का उल्लेख है। जबकि अनाधिकृत यात्रिओंके आरक्षित कोचों में प्रवेश की ढेरों शिकायतें अन्य आरक्षित यानों जैसे की द्वितीय श्रेणी शयनयान स्लिपर कोच एवं वातानुकूलित कोचों की हो रही है, जिसका कोई विशेष उल्लेख नही है।
दरअसल रेल यात्राओंमें आम रेल यात्रिओंको इन समस्याओं का भारी सामना करना पड़ रहा है। अनारक्षित टिकट धारक धड़ल्ले से आरक्षित शयनयान स्लिपर एवं वातानुकूलित कोचों में घुसपैठ करते है। रेल प्रशासन को इस मामलोंपर भी कड़ाई से काम करने की जरूरत है।
अमर्याद अनारक्षित टिकटोंकी बिक्री, यात्रियों द्वारा, PRS रेलवे काउंटर्स से जारी प्रतिक्षासूची के टिकट का चार्टिंग के बाद भी रद्द न करना और यात्री का उसी टिकटपर यात्रा करते रहना यह बड़ी तकनीकी समस्या है। चूँकि रेल नियम यह कहता है, प्रत्येक प्रतिक्षासूची टिकट चार्ट बनने के बाद और गाड़ी के स्टेशनसे प्रस्थान समय से 30 मिनट पहले रद्द करना आवश्यक है। अन्यथा उस टिकट की कोई धनवापसी नही दी जायेगी। अब टिकट, चार्टिंग के बाद प्रतिक्षासूची में रह जाता है तो ई-टिकट तो अपने आप रद्द हो जाता है और ई-टिकट धारक प्रतिक्षासूची यात्री बेटिकट हो जाता है मगर PRS टिकट में यह प्रावधान नही होने की वजह से वहीं प्रतिक्षासूची का टिकट लेकर यात्री आरक्षित कोच में सवार हो जाता है।
अब हम फिर से व्याख्या पर आते है, क्या PRS का प्रतिक्षासूची धारक यात्री आरक्षित कोच में अवैध है या अनधिकृत है? रेल प्रशासन यह कहता है, प्रतिक्षासूची टिकट धारक आरक्षित कोच में यात्रा न करें, अनारक्षित कोच में यात्रा कर सकता है। जिस तरह प्रतिक्षासूची का ई-टिकट अपनेआप रद्द हो जाता है, उसकी धनवापसी हो जाती है, रेल प्रशासन को चाहिए की PRS टिकट भी उसी तरह रद्द करार दिया जाए और वैसे यात्री को यदि यह यात्री आरक्षित कोच में पाया गया तो बिनाटिकट समझकर उसे दण्डित किया जाए। साथ ही द्वितीय श्रेणी में भी उसे बिनाटिकट ही समझा जाए अर्थात ई-टिकट के प्रतिक्षासूची टिकट धारक की ही तरह वह भी सर्वथा बिनाटिकट है। चूँकि टिकट रद्द कर उसकी धनवापसी लेना उसकी जिम्मेदारी थी, जिसका निर्वहन उसने नही किया और वह वैसे ही यात्रा कर रहा है।
आखिरकार जो दो-भाव ई-टिकट और PRS टिकट के प्रतिक्षासूची धारकों में हो रहा है उसे रेल प्रशासन को कहीं न कहीं पाटना तो पडेगा। यही प्रतिक्षासूची धारक आरक्षित यानों में बेखटके, बेखौफ यात्रा करते है और महीनों पहले या तत्काल किराए देकर आरक्षण किए हुए यात्रिओंकी परेशानी का सबब बनते है।
